वाराणसी, 7 जुलाई। गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर शान्ता सिंह का आज रात आठ बजे बीएचयू के गहन चिकित्सा केन्द्र में निधन हो गया। वह तीन वर्ष से अस्वस्थ चल रही थीं। वह 86 वर्ष की थीं।
हजारी प्रसाद द्विवेदी की शिष्या तथा नामवर सिंह की सहपाठी रही प्रो श्रीमती शान्ता सिंह मध्यकालीन एवं प्राचीन काव्य की मर्मज्ञ थीं। अपभ्रंश भाषा और साहित्य के अलावा उन्होने चन्द्रबरदाई, सूरदास एवं नाभादास पर महत्वपूर्ण किताबें लिखी हैं ।
गोरखपुर विश्वविद्यालय में चार दशक तक अध्यापन करते हुए उनकी सुदीर्घ शिष्य परम्परा रही है। वह 1988 से 1992 तक हिन्दी विभाग की अध़्यक्ष रहीं। गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रेमचन्द पीठ के निर्माण तथा हिन्दी पत्रकारिता का पाठ्यक्रम शुरु करवाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।वह प्रेमचन्द साहित्य संस्थान एवं साखी पत्रिका की संस्थापक थीं। प्रो शान्ता सिंह के निधन से एक पीढी का अवसान हो गया ।
प्रोफेसर सिंह अपने पीछे पति डा रामभूषण सिंह , दो बेटियों प्रो शुभा ऱाव एवं मनीषा सिंह, दामाद संजीव तथा आनन्द प्रताप राव व पौत्र पौत्रियों का भरा पूरा परिवार छोड गयी है। उनका अंतिम संस्कार कल वाराणसी में किया जाएगा।