गोरखपुर. जिले में 10 जून से लेकर 22 जून तक क्षय रोगी (टीबी रोगी) खोजने के लिए एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान चलाया जाएगा. इस अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग पौने पांच लाख से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगा और उनमें से टीबी के रोगियों को ढूंढ निकालेगा.
सीएमओ डा. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत गोरखपुर में एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान का यह छठवां चरण है. पिछले पांच चरणों में जनपद की पचास फीसदी आबादी तक स्वास्थ्य विभाग पहुंच चुका है और प्रत्येक चरण में टीबी के रोगी खोजे गए और उनका इलाज हुआ. उन्होंने कहा कि जनसहयोग से यह अभियान और भी सफल होगा. लोगों को चाहिए कि जब एक्टिव केस फाइंडिंग के लिए टीम उनके गांव या मोहल्ले में पहुंचे तो आगे बढ़ कर मदद करें और टीबी रोगियों को चिह्नित करवाएं.
पौने सात सौ से ज्यादा लोग खोजेंगे मरीज
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. रामेश्वर मिश्र ने बताया कि छठवें चरण के अभियान के लिए विस्तृत माइक्रोप्लान तैयार किया जा रहा है। इस अभियान में कुल 230 टीम लगाई जाएंगी। एक टीम में अधिकतम तीन सदस्य होते हैं। करीब पौने सात सौ से ज्यादा लोग टीम का हिस्सा बन कर टीबी मरीज खोजेंगे। एक दिन में 11 हजार से ज्यादा परिवारों के बीच टीम जाएंगी और टीबी मरीज ढूढेंगी।
टीबी यानी क्षय रोग को जानिए
-प्रत्येक 10 में से 7 व्यक्ति इसके बैक्टेरिया से प्रभावित है। प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ने पर इन 7 में से कोई व्यक्ति इसकी चपेट में आ सकता है।
– बच्चों में टीबी की रोकथाम के लिये उनके पैदा होने के बाद अतिशीघ्र बीसीजी का टीका लगवाना आवश्यक है।
– टीबी का एक मरीज 10-15 लोगों को इसका बैक्टेरिया बांट सकता है।
– यह बीमारी टीबी मरीज के साथ बैठने से नहीं होती बल्कि उसके खांसी, छींक, खून व बलगम के संक्रमण से होती है।
– मुंह पर रूमाल रख कर, बलगम को राख या मिट्टी से डिस्पोज करके व सही समय पर टीबी की जांच व इलाज से हम इसे मात दे सकते हैं।
पोषण के लिए मिलता है पैसा
एक्टिव केस फाइंडिंग के तहत जो टीबी मरीज चिह्नित किए जाते हैं, उन्हें सबसे पहले नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र भेजा जाता है। वहां मेडिकल आफिसर ट्रीटमेंट काउंसलर के निर्देशन व ट्रीटमेंट सपोर्टर की देखरेख में इलाज किया जाता है। क्रिटिकल मामलों में उच्च चिकित्सा केंद्र पर मरीज को भेज कर उसका पूरी तरह से निशुल्क इलाज होता है। पुनरीक्षित क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत ऐसे मरीजों को इलाज के दौरान पोषण हेतु खाते में 500 रूपये प्रतिमाह भेजे जाते हैं।