गोरखपुर।. मुल्क की फिज़ा में मॉब लिंचिंग का शोर है. अराजक तत्व राम का नाम लेकर हत्याएं कर रहे हैं. फिर भी मुल्क की अमन पसंद अवाम दिल से दिल मिलाने में लगी हुई है. इसका नज़ारा देखना हो तो चले आईए थाना तिवारीपुर के पिपरापुर मोहल्ले में। नवाज देवबंदी के शेर “बन ही जाएगें, मंदिर-ओ-मस्जिद, दिल से दिल को मिलाओ तो पहले” पर अमल करते हुए यहां के कई मुसलमान परिवार पूरे दिल से कांवड़ यात्रियों के लिए बोल बम झोला तैयार करने में जुटे हुए हैं.
ये परिवार पंद्रह वर्षों से बोल बम झोला बना रहे हैं. कांवड़ यात्रा जारी है. कांवड़ियों की सहूलियत के लिए बोल बम झोला बनना भी जारी है. पहली जुलाई से यह काम शुरु हुआ जो अब अपने अंतिम पड़ाव की ओर है.
पिपरापुर के रहने वाले गौहर हुसैन का पूरा परिवार दिन रात झोला सिलने में लगा हुआ है. उनके घर की महिलायें व बच्चे भी जुटे हुए हैं. इसके अलावा महबूब हुसैन, इनायतुल्लाह, इफ्तेखार हुसैन, इलियास, मंसूर आलम, सुमैरा, मेहताब आलम, मोईद, गुड्डू सहित दर्जनों नाम हैं जो बोल बम झोला सिलने में लगे हुए हैं.
गौहर हुसैन ने बताया कि उनके यहां दो तरह का बोल बम झोला सिला जाता है साइज व सहूलियत के हिसाब से. पहले कपड़ा खरीदा जाता है। फिर भोलेनाथ की तस्वीर छपवायी जाती है. कपड़ों की कटिंग, सिलाई, पैकेजिंग, सप्लाई करना पड़ता है. एक सप्ताह में करीब 50-60 दर्जन झोला तैयार हो जाता है. यह झोला पांडेयहाता व खलीलाबाद के बरदहिया बाजार में बिकने के लिए ले जाया जाता है.
थोक में एक दर्जन झोला 165 से 170 रुपया में बिक जाता है. गौहर हुसैन के परिवार के दस बारह लोगों के अलावा कई कारीगर भी झोला सिलने में लगे रहते हैं. गौहर कहते हैं कि सीजन की अच्छी आमदनी भी होती है और हिन्दू भाईयों के लिए झोला तैयार करके जो सुख की अनुभूति होती है उसे लफ़्जों में बयां करना मुमकिन नहीं है.
इस मोहल्ले के कई और परिवार भी इस कार्य में लगे हुए हैं. यह झोला कांवड़ियों को बहुत सहूलियत देता है. इसी में खाना-पानी, कपड़ा आदि जरुरत का सामान रखकर कांवड़िए अपनी धार्मिक यात्रा पूरी करते हैं. मोहल्ला बहरामपुर स्थित बहादुर शाह जफ़र कालोनी के कई मुसलमान घरों में कांवड़ियों के लिए कपड़ा, झोला आदि बनाया जाता है.