पीएचसी कैटेगरी में यूपी की एकमात्र डेरवा पीएचसी एनक्वास के लिए हुयी है चयनित
कायाकल्प में दो बार रह चुकी है विजेता, एनक्वास में चयन के लिए है अब पूरा जोर
गोरखपुर। गोरखपुर जनपद मुख्यालय से करीब 75 किलोमीटर दूर डेरवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) का नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस सर्विसेज (एनक्वास) के लिए मूल्यांकन शुरू हो गया है। भारत सरकार की दो सदस्यीय टीम ने मंगलवार को पीएचसी के एक-एक ब्लाक का सघन निरीक्षण किया और वहां उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी ली।
पूरे प्रदेश में पीएचसी कैटगरी में डेरवा ही एक मात्र पीएचसी है जिसका चयन एनक्वास के लिए हुआ है। यह पीएचसी दो-दो बार कायाकल्प अवार्ड की विजेता रह चुकी है। पिछले एक महीने से एनक्वास में चयन के लिए जिले के स्वास्थ्य महकमे ने दिन रात तैयारी की है।
भारत सरकार की टीम में सेंटर फार हेल्थकेयर मैनेजमेंट हैदराबाद से एसोसिएट प्रोफेसर डा. भावना गुलाटी और नयी दिल्ली से नर्सिंग आफिसर सुनील शर्मा आए हुए हैं। टीम को पीएचसी की भौतिक उपलब्धियों के साथ-साथ यहां का रिकार्ड मैनेजमेंट, फीडबैक सिस्टम समेत एक-एक बिंदु की सघन जांच करनी है। पहले दिन टीम ने ओपीडी, आईपीडी, नेशनल प्रोग्राम, लेबर रूम, इंफेक्शन कंट्रोल, लैब और एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़े प्रत्येक बिंदु का गहनता से परीक्षण किया।
जिले के क्वालिटी एश्योरेंस मैनेजर डा. मुस्तफा ने डेरवा पीएचसी के अतीत से लेकर वर्तमान तक की स्थिति का पीपीटी के माध्यम से टीम के सामने प्रस्तुतिकरण दिया।
इस अवसर पर मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डा. श्रीकांत तिवारी, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. नंद कुमार, डा. एनके पांडेय, जिला मलेरिया अधिकारी डा. एके पांडेय, एनएचएम के डिवीजनल प्रोग्राम मैनेजर अरविंद पांडेय भी मौजूद रहे।
डेरवा पीएचसी इसलिए है खास
डेरवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 1998 की बाढ़ में डूब गया था। जब बाढ़ का पानी उतरा तो हालात काफी दयनीय थे। परिसर में बड़ी-बड़ी घासें हुआ करती थीं और विषैले जानवर घूमते थे। बमुश्किल 100 मरीजों की ओपीडी होती थी। इस समय इस पीएचसी की ओपीडी 250 के करीब है। आनबेड आक्सीजन का इंतजाम है। नर्सिंग बेल, पब्लिक एनाउंसमेंट सिस्टम, केएमसी कार्नर, ब्रेस्टफीडिंग कार्नर समेत दर्जनों ऐसी सुविधाएं यहां उपलब्ध हैं जो इसे एक संपूर्ण अस्पताल का दर्जा देती हैं।
वित्तीय वर्ष 2018-2018 में कायाकल्प योजना के तहत 84.7 अंकों के साथ पीएचसी कैटगेरी में डेरवा को यूपी में पहला अवार्ड मिला है। इसके पिछले वित्तीय वर्ष में भी 79.4 अंकों के साथ यह पीएचसी कायाकल्प अवार्ड पा चुकी है।
2.8 लाख की आबादी की सेवा
डेरवा पीएचसी आसपास के गांवों में रहने वाली 2.8 लाख की आबादी को स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर रही है। यहां प्रतिदिन 10 ओपीडी और 10 आईपीडी के मरीजों का फीडबैक लिया जाता है। करीब 206 गांवों के लोग यहां इलाज के लिए आते हैं। पीएचसी में जनप्रतिनिधियों की मदद से विश्रामालय का भी इंतजाम किया गया है। पूरी पीएचसी सीसीटीवी कैमरे से लैस है।