गोरखपुर. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने आक्सीजन कांड में निलम्बित बीआरडी मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग के प्रवक्ता डॉक्टर कफ़ील खान का निलम्बन तुरंत समाप्त कर उनके ख़िलाफ़ सारे केस वापस लेने तथा बीआरडी मेडिकल कॉलेज की आक्सीजन त्रासदी की जाँच केंद्रीय एजेन्सी से कराने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है.
आईएमए के अध्यक्ष डॉक्टर संतानु सेन और सचिव डॉक्टर वी अशोकन ने प्रधानमंत्री को यह पत्र 22 अगस्त को लिखा है.
इस पात्र में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा डॉक्टर कफ़ील खाने और उनके पूरे परिवार के पिछले दो साल के उत्पीड़न पर ध्यान देने का आग्रह किया गया है.
आईएमए ने लिखा है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट रूप से कहा गया है कि डॉक्टर कफ़ील खान के खिलाफ चिकित्सा लापरवाही / भ्रष्टाचार तथा ऑक्सीजन टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने का कोई सबूत नही पाया गया है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के हलफनामे मेंऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी को स्वीकार किया है. उच्च न्यायालय ने 30 अप्रैल 2018 को अपने फैसले में कहा कि तरल ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी आपूर्तिकर्ता को बक़ाया भुगतान न करने के कारण हुई और इसकेपरिणामस्वरूप इतने सारे बच्चों की मृत्यु हो गई. हाल ही में एक आरटीआई में उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वीकार किया है की बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10, 11,12 अगस्त 2017 को 54 घंटे तक तरल ऑक्सीजन की कमी थी और डॉ0 कफील खान ने बच्चों को बचाने के लिए वास्तव में जम्बो ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की थी.
डॉ0 कफील खान अपने विभाग में सबसे जूनियर डॉक्टर थे और उन्होंने अपने ड्यटी से आगे बढ़ते हुए मासूम बच्चों की जान बचाने का कार्य किया
पात्र में कहा गया है कि विभागीय कार्रवाई की रिपोर्ट में भी डॉक्टर कफ़ील के ख़िलाफ़ मेडिकल नेग्लिजेन्स /भ्रष्टाचार के कोई सबूत नहीं मिले और जाँच अधिकारी ने माना की डॉक्टर कफ़ील खान का ऑक्सिजन सप्लाई/पेमेंट/ ऑर्डर/टेंडर/मेंट्नेन्स से कोई लेना देना नहीं था और उन्हें असली दोषियों को बचाने के लिए ये सारे आरोप लगाए गए.
आईएमए के अध्यक्ष और सचिव ने कहा कि आईएमए इस मुश्किल समय में डॉक्टर कफ़ील खान के साथ मज़बूती से खड़ा और हर सम्भव सहायता का आश्वाशन देता है . पत्र में आईएमए ने प्रधानमंत्री से डॉक्टर कफ़ील खान का निलम्बन तुरंत समाप्त कर उन्हें उनकी नौकरी बाइज़्ज़त वापस करने, उनके ऊपर हुए उत्पीड़न के लिए नुकसान भरपाई करने, उनके ऊपर चलाए गए सभी केस कोर्ट से वापस लिए जाने और बीआरडी आक्सीजन त्रासदी की जाँच केंद्रीय एजेन्सी से कराने की मांग की है.