– प्रत्येक माह की दस तारीख को होगा आयोजन
-3300 आंगनबाड़ी केन्दों पर आयोजित होंगे कार्यक्रम
देवरिया।
गर्भावस्था से लेकर दो वर्ष तक की आयु वाले बच्चों के परिवारों को पोषण व्यवहार सीखाने के लिए नयी पहल हुई है। इसके लिए बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से जनपद के 3300 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर प्रत्येक माह की 10 तारीख को ग्रामीण पोषण दिवस मनाया जायेगा है।
डीपीओ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि कुपोषण का अधिकतम प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु व उसके जीवन के पहले दो वर्षों पर सबसे अधिक पड़ता है। इसके बाद प्रयास करने पर भी कुपोषण को दूर करना कठिन होता है। गर्भधारण से लेकर जीवन के पहले दो साल की अवधि अर्थात जीवन के पहले 1,000 दिन पोषण के दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह अवधि बच्चों के सुपोषित भविष्य की नींव रखने हेतु सुनहरा अवसर प्रदान करती है। इसके लिए आवश्यक है कि समाज और परिवार में गर्भवती महिलाओं और बच्चों को संतुलित व पौष्टिक आहार देने के प्रति जागरुकता के साथ–साथ समझ बढ़े। इसी उदेश्य को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक माह की 10 तारीख को जनपद के 3300 आंगनवाड़ी केन्द्रों पर ग्रामीण पोषण दिवस मनाये जाने का निर्णय लिया गया है।
इन गतिविधियों का होगा आयोजन
डीपीओ ने बताया पोषण दिवस के दिन केंद्र पर आने गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं, बच्चों और उनके परिवार वालों के बीच ऊपरी पूरक आहार पर चर्चा, स्वस्थ बच्चा बच्ची प्रतियोगिता (हेल्दी बेबी शो), स्वस्थ मां प्रतियोगिता के साथ–साथ 08 माह पूर्ण कर चुकी गर्भवती व 06 माह से ऊपर वाली धात्री मां हेतु मानक के बारे में लोगों को प्रोत्साहित करने सम्बन्धी गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। ग्रामीण पोषण दिवस के दिन ही केंद्र पर मातृ समिति की बैठक भी आयोजित की जाएगी, जिसमें केंद्र पर चिन्हित कुपोषित एवं अति कुपोषित बच्चों के पोषण स्तर में सुधार हेतु आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, ग्राम सभा की महिला सदस्य एवं मातृ समिति सदस्यों के बीच परिचर्चा की जाएगी।
प्यार के साथ बच्चे को दें आहार
न्यूट्रीशियन अनामिका मिश्रा ने बताया कि छह माह के बाद ऊपरी आहार की शुरुआत करनी चाहिए, लेकिन इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि जो भोजन दे रहे हैं, वह पौष्टिक तथा उसका गाढ़ापन उचित हो। जैसे–जैसे बच्चे की आयु बढ़ती जाये, भोजन की बारंबारता व मात्रा उपयुक्त होनी चाहिए। बच्चे के भोजन में उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, रेशेयुक्त पदार्थ व सूक्ष्म पोषक तत्व की समुचित मात्रा हो। भोजन दिखने में भी आकर्षित दिखना चाहिए तथा माताओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे को आहार खिलाते समय उनका पूरा ध्यान बच्चे पर ही हो। टीवी व मोबाइल देखते हुये खाना नहीं खिलाना चाहिए। ऊपरी आहार में घर में उपलब्ध स्थानीय व मौसमी खाद्य पदार्थों जैसे दाल, चावल, केला, आलू, हरी पत्तेदार सब्जियां, पीले फल व सब्जियां, सूजी तेल या घी का ही उपयोग करना चाहिए। बाजार में उपलब्ध रेडीमेड भोजन से बचना ही चाहिए।