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फूड मैनेजमेंट भविष्य के लिए बड़ी चुनौती-माइक पांडेय

गोरखपुर। मशहूर पर्यावरण व वाइल्ड लाइफ फिल्मकार माइक पांडेय ने कहा है कि पारिस्थितिकी में हरेक जीव, वनस्पति का महत्वपूर्ण योगदान है। मामूली दिखने वाले पेड़-पौधे, कीट-पतंगे पृथ्वी पर जीवन को सुगम बनाने में मदद करते हैं। इसलिए हमें इनके बारे में जानना-समझना चाहिए और उनके संरक्षण के प्रति कार्य करना चाहिए.

श्री पांडेय होटल विवेक में 13 नवम्बर की शाम महानगर पर्यावरण मंच के सदस्यों से बातचीत कर रहे थे. श्री पांडेय मूल रूप से गोरखपुर जिले के बभनौली गांव के रहने वाले हैं. वह एक पारिवारिक आयोजन में गोरखपुर आए हुए थे. लगभग 300 फिल्में बनाने वाले माइक पांडेय को तीन बार ग्रीन आस्कर अवार्ड मिल चुका है.

महानगर पर्यावरण मंच के सदस्यों ने श्री पांडेय से पर्यावरण के मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की. श्री पांडेय ने कहा कि आने वाले दिनों में फूड मैनेजमेंट एक बड़ी चुनौती साबित होने जा रही है. हमने अपनी लालच में भोजन तक को खतरनाक बना डाला है. कीटनाशक और रिफाइंड आयल के बेतहाशा प्रयोग से खाद्य पदार्थ जहरीले होते जा रहे हैं और मनुष्य तमाम घातक बीमारियों की चपेट में आ रहा है. हमने विज्ञान की सबसे बड़ी देन प्लास्टिक को भी घातक बना दिया है.

उन्होंने अपनी फिल्मों के जरिए कीट-पतंगों व वनस्पतियों की पारिस्थितिकि में महत्वपूर्ण भूमिका की चर्चा करते हुए कहा कि हरेक जीव महत्वपूर्ण है और एक-दूसरे पर निर्भर करता है. सभी एक श्रृखला की कड़ी हैं. एक कड़ी के विलुप्त होने या उसके अस्तित्व पर खतरा आने पर पूरे जीव-जगत पर खतरा आता है.

उन्होंने प्लास्टिक के अंधाधुंध प्रयोग व पानी के जबर्दस्त दोहन के प्रति सचेत करते हुए खेती की तकनीक में आ रहे बदलाव के बारे में लोगों को बताने की अपील की. उन्होंने युवा पीढ़ी को इको एजुकेशन से जोड़ने के लिए कार्य करने के बारे में भी बताया.

महानगर पर्यावरण मंच के सदस्यों ने श्री पांडेय से कहा कि वे पर्यावरण व वाइल्ड लाइफ के मुद्दो पर अप्रैल 2020 में गोरखपुर में फिल्म फेस्टिवल व बातचीत का कार्यक्रम रखना चाहते हैं जिनमें उनसे सहयोग की अपेक्षा है. श्री पांडेय ने इस आयोजन में न सिर्फ अपनी उपस्थिति के प्रति आश्वस्त किया बल्कि हर तरह का सहयोग देने का भी आश्वासन दिया.

केन्या में जन्में माइक पांडेय ने शुरूआती दिनों में बतौर प्रशिक्षु हालीवुड के फिल्मों में काम किया। इसके बाद वह हिन्दी फिल्म ‘ रजिया सुल्तान ‘, ‘ बेताब ‘, ‘ गजब’ से जुड़े। इसके बाद उनका झुकाव पर्यावरण व वाइल्ड लाइफ फिल्मों के निर्माण की तरफ हुआ। उन्होंने अपने कैरियर में 300 से अधिक फिल्में बनाईं।

उनकी फिल्म ‘ द लास्ट माइग्रेशन – वाइल्ड एलिफेंट कैप्चर इन सर्गुजा (1994) को वाइल्ड स्क्रीन पंडा एवार्ड मिला. इसी अवार्ड को ग्रीन आस्कर एवार्ड कहा जाता है. यह पुरस्कार पाने वाले वह पहले एशियन प्रोड्यूसर व डायरेक्ट थे. उनकी अन्य महत्वपूर्ण फिल्मों के नाम हैं- शोरे ऑफ साइलेंस: व्हेल शार्क इन इंडिया (2000), वैनिशिंग जायंट्स (2004). व्हेल शार्क इन इंडिया फिल्म के बाद ही भारत सरकार ने व्हेल शार्क के शिकार को प्रतिबंधित करने का कानून बनाया.

माइक एच पाण्डेय कल रामगढ़ ताल, निर्माणाधीन चिड़ियाघर और वनटांगिया गांव आजादनगर भी गए. उनके साथ वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर अनिल तिवारी भी थे. प्राणी उद्यान की कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर डीबी सिंह ने उन्हें निर्माण कार्यो से अवगत कराया.

बैठक में गोरखपुर इनवायरमेंट एक्शन ग्रुप के अध्यक्ष डा. शीराज वजीह, एमजी इंटर कालेज के प्रबंधक मंकेश्वर पांडेय, वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. सुरहिता करीम, इंटेक की गोरखपुर इकाई के संयोजक महावीर कंदोई, सह संयोजक अंचित्य लाहिरी, पत्रकार मनोज कुमार सिंह, नितिन कुमार जायसवाल, ओम प्रकाश यादव, अनिल कुमार तिवारी, डा. वीके श्रीवास्तव, राकेश कुमार श्रीवास्तव, चंदन प्रतीक, डा. सुमन सिन्हा, शैवाल शंकर श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे.

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