पूर्व केंद्रीय मंत्री राजमंगल पाण्डेय की स्मृति में कुशीनगर में कवि सम्मेलन व मुशायरा का आयोजन
कुशीनगर. ‘ मोहब्बत करने वालों की हिमायत मैं ही करता था/ हिमायत शर्त थी, क्योंकि मोहब्बत मैं भी करता था/ नही जो अब रहा वो मेरा/तो मैं भी कब रहा उसका, सियासत वो भी करता रहा, सियासत मैं भी करता था. ‘
मशहूर शायर डॉ. कलीम कैसर ने जब अपने गजल की यह पंक्तियाँ सुनाई तो पांडाल में खूब तालियाँ बजीं. डॉ. कलीम कैसर शुक्रवार की रात पूर्व केंद्रीय मंत्री प.राजमंगल पांडेय की पुण्यतिथि पर आयोजित कवि सम्मेलन व मुशायरा में अपनी गजल पढ़ रहे थे.
प्रगतिशील साहित्यकार समिति के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम में डॉ. कलीम की एक और रचना ‘ जो दुआ रूह से जबां तक है, उसका फैलाव आसमां तक है’ भी बेहद सराही गई.
डॉ. विष्णु सक्सेना की रचना ‘ चांदनी छत पर जब उतारोगे, तन सजाओंगे, मन सवारोंगे, मैं मिलूंगा वहीं कहीं तन्हा, जिस किसी मोड़ पर पुकारोगे ‘ को भी जबरजस्त दाद मिली. डॉ. सक्सेना की दूसरी रचना ‘ चाहे सूखा गुलाब दे देते, गालियां बेहिसाब दे देते, उम्र भर देखते न सूरत पर, मेरे खत का जवाब दे देते ‘ ने भी वाहवाही बटोरी.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते पूर्व सांसद राजेश पांडेय ने सामाजिक विकृतियों पर प्रहार करती कविता ‘ए नियन्ता सृष्टि के क्या हो रहा इस धरा पर, कलुष अमृत पी रहा, प्रेम नश्वर हो गया है ‘ सुनाई तो माहौल गम्भीर हो गया।
समिति के अध्यक्ष काशीनाथ मिश्र की श्रृंगार रस से भरी कविता ‘ शाम हुई घिर आए बादल, गोरी तेरा मीत न आया, आज की बारिश फैला देगी आंख का काजल बस्ती-बस्ती ‘ ने विरहणी की पीड़ा उजागर की.
कार्यक्रम का शुभारंभ अना देहलवी की सरस्वती वंदना से हुआ. डॉ. नसीम निकहत, सुश्री नुसरत अतीक, विजय तिवारी,शंकर कैमरी, अखिलेश, राज कौशिक, भावना द्विवेदी द्वारा प्रस्तुत गीत , गजल, कविता, छंद, शेर व मुक्तक भी सराहे गए.
कार्यक्रम का संचालन हरिनारायन हरीश ने किया. अतिथियों का स्वागत समिति के अध्यक्ष काशीनाथ मिश्र व उपाध्यक्ष प्रभुनाथ मिश्र ने किया. इसके पूर्व विधायक पवन केडिया, जटाशंकर त्रिपाठी, रामानंद बौद्ध, आईपीएस धर्मदेव मिश्र, पूर्व कुलपति विभूतिनारायण राय, जस्टिस टी पी त्रिपाठी, टी पी पाठक आईएएस आदि ने पूर्व केंद्रीय मंत्री के व्यक्तिव व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए पूर्वांचल के विकास में उनके योगदान को अतुलनीय बताया.