गोरखपुर. इंसेफेलाइटिस से दिव्यांग हुए बच्चों के चिकित्सकीय निदान एवं पुनर्वास हेतु बीआरडी मेडिकल कालेज परिसर में आयोजित दो दिवसीय शिविर के दूसरे व आखिरी दिन महराजगंज और कुशीनगर जिले से आये 248 मरीजों का परीक्षण किया गया और उनकी जरूरतों के मुताबिक चिकित्सकीय परामर्श, उपकरण, फालोअप आदि की व्यवस्था की गई.
शिविर के दूसरे दिन महाराज जनपद से 130 व कुशीनगर जनपद से 118 मरीज आये. इनमें 68% मानसिक रोग से ग्रसित पाए गए तथा 32% शारीरिक रूप से अस्वस्थ पाए गए. इनमें लगभग 10% रोगी ऐसे थे जिनमें शारीरिक और मानसिक दिव्यांगता के साथ-साथ देखने में तथा 30% के आस पास मरीजों में बोलने या सुनने की भी समस्या थी.
दोनों दिन शिविर में देवरिया, कुशीनगर, गोरखपुर तथा महाराजगंज जनपद से आये हुए कुल 459 दिव्यांग बच्चों की चिकित्सा और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की गयी .
शिविर के लिए मरीजों के चिन्हीकरण, उनके आवागमन की निःशुल्क व्यवस्था, चिकित्सीय और पुनर्वास सम्बन्धी कार्य सरकारी स्तर पर किया गया जबकि शिविर के आयोजन, प्रचार-प्रसार तथा दोनों दिन उपस्थित लगभग 3000 लोगों के चाय-पान और भोजन की निःशुल्क व्यवस्था सामाजिक संस्था पहल और उसकी अपील पर नागरिक समूहों ने की.
शिविर संयोजक डॉ. बी. के. श्रीवास्तव ने बताया कि शिविर में एक ही पंडाल के नीचे सरकार की विभिन्न चिकित्सीय योजनाओं और पुनर्वास कार्यक्रमों हेतु गठित विभागों, गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग, मेडिसिन, मानसिक रोग, न्यूरो, आँख, नाक कान गला, हड्डी रोग के विशेष चिकित्सकों तथा अपर निदेशक गोरखपुर स्तर के विशेष चिकित्सकों द्वारा गहन परीक्षण किया गया. साथ ही सी.आर.सी. गोरखपुर, मनोविकास केन्द्र, डी.डी.आर.सी. और पी.एम्.आर. विभाग के चिकित्सकों द्वारा बच्चों का परीक्षण किया गया.
आई. एम. ए. के चिकित्सकों तथा विभिन्न सामाजिक संस्थाओं और संवेदीजनों के सहयोग से ‘पहल’ एवं सी.आर.सी. गोरखपुर, भारत सरकार ने मरीजों को समस्त संभव पुनर्वास एवं चिकित्सीय सेवाएँ उपलब्ध करायी.
मरीजों के रजिस्ट्रेशन से लेकर उन्हें इलाज के लिए चिकित्सकों तक ले जाने के कार्य में फातिमा स्कूल ऑफ़ नर्सिंग की 40 प्रशिक्षु नर्सों तथा सेंट जोसेफ़ डिग्री कॉलेज की 40 छात्राओं ने सहयोग किया. इसके अतिरिक्त सी.आर.सी. गोरखपुर की ओर से पहली बार 10 श्रवण बाधित बच्चों को कार्यकर्ता के रूप में शामिल किया ताकि समाज में एक सन्देश दिया जा सके की दिव्यांग भी समर्थ हैं.
शिविर में टाटा ट्रस्ट द्वारा प्रत्येक मरीजों को हेल्थ किट (मच्छरदानी, साबुन, क्रीम आदि) दिया गया. पूर्वांचल शुद्ध जल सेवा संस्थान की ओर से निःशुल्क पेय जल की व्यवस्था की गयी. शिविर में आये रोगी बच्चों के जलपान हेतु नाइन फाउंडेशन की तरफ से 1100 जलपान पैकेट वितरित किये गए. विश फाउंडेशन ने भी शिविर के आयोजन में सहायता की.