लखनऊ. देश भर में भारी विरोध के बावजूद संसद के दोनों सदनों द्वारा विवादित नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित करवाने को रिहाई मंच ने संविधान विरोधी करार दिया है। सरकार की तानाशाही के खिलाफ समान विचारधारा वाले संगठनों के साथ मिलकर असहयोग आंदोलन चलाने और पूरे देश में चल रहे जनांदोलनों को धार देने के लिए यात्रा का ऐलान किया है। शहीद राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां के शहादत के दिन 19 दिसंबर को नागरिकता संशोधन विधेयक और एनआरसी के खिलाफ राजधानी लखनऊ में विशाल जन प्रतिरोध का आयोजन किया गया है। रिहाई मंच कई संगठनों के साथ मिलकर सर्वोच्च न्यायालय में इस असंवैधानिक विधेयक के खिलाफ याचिका भी दायर करने जा रहा है.
यह निर्णय रिहाई मंच द्वारा आयोजित एक बैठक में लिया गया. बैठक में रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि सरकार ने विधेयक को पूरे देश में व्यापक विरोध के बावजूद दोनों सदनों से भले ही पारित करवा लिया हो लेकिन जनता ने बड़ी संख्या में इसके खिलाफ सड़कों पर आकर स्पष्ट कर दिया है कि उसने इसे नकार दिया है। सरकार जन भावनाओं के निरादर की सारी सीमाएं लांघ चुकी है। बहुमत के अहंकार में नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों ने देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी लेकिन यह सरकार अपनी गलतियों से सीखने के बजाए जनता के दमन पर आमादा है। नागरिकता विधेयक के खिलाफ आंदोलित असम और त्रिपुरा में कश्मीर की भांति इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद कर दी गई हैं और अर्धसैनिक बलों को तैनात कर जनता दमन किया जा रहा है। हम इसका विरोध करते हैं।
लोकतंत्र के प्रमुख स्तंभ मीडिया को एडवाइजरी के जरिए सीएबी और एनआरसी
विरोधी आंदोलनों को न दिखाने के सवाल पर मुहम्मद शुऐब ने कहा कि हमने
इमरजेंसी देखी है और जेल भी काटा है। मुल्क को बचाने के लिए एक बार फिर
छात्र-नौजवान, मजदूर-किसान जेलों को भर देगा। राज्यसभा में विधेयक पारित
होने के बाद जिस तरह से भाजपा समर्थकों ने पटाखे फोड़े और जश्न मनाते हुए
उन्हें टीवी पर दिखाया गया है। वह टकाराव की स्थिति पैदा करने वाला है
जिसके लिए सीधे तौर पर सरकार और उसका गोदी मीडिया जिम्मेदार होगी।
जनाक्रोश के बीच प्रायोजित जश्न मनाकर यह दिखाने का प्रयास किया जा रहा
है कि देश की जनता इस संशोधन से बहुत खुश है। यही काम इस सरकार ने कश्मीर मामले में आत्मघाती कदम उठाते हुए भी किया था। सरकार द्वारा आधी रात को जीएसटी बिल पारित कराए जाने के बाद भी इसी तरह के जश्न का माहौल बनाया गया था आज उसके दुष्परिणाम देश के सामने हैं।
वक्ताओं ने कहा कि सवर्ण आरक्षण के जरिए सामाजिक न्याय पर हमला बोलने
वाली इस सरकार ने नागरिकता संशोधन विधेयक के जरिए सेक्युलिरिजम पर हमला बोलकर लोकतंत्र को ढहाने की जो कोशिश की उसे यह देश बर्दाश्त नहीं करेगा। हर मोर्चे पर विफल सरकार जनता को इस तरह के मुद्दों में उलझाकर रखना चाहती है ताकि रसातल में जाती अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा
आदि जैसे ज्वलंत सवालों से जनता का ध्यान हटाया जा सके। नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ रिहाई मंच जिलेवार विरोध प्रदर्शन जारी रखेगा और समान विचार वाले संगठनों के साथ मिलकर असहयोग आंदोलन छेड़ेगा। उन्होंने कहा कि कानून के जानकार इस बात पर लगभग एकमत हैं कि यह विधेयक संविधान की मूल भावना के खिलाफ है इसलिए रिहाई मंच कानूनी लड़ाई में हस्तक्षेप करते हुए विधेयक को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने का काम करेगा।
बैठक में राजीव यादव, हसन अब्बासी, सृजनयोगी आदियोग, ज्योती राय, गोलू
यादव, वीरेन्द्र कुमार गुप्ता, मनोज, श्यामू, सूरज, शानू, शाहआलम, डा0
एमडी खान, रामकृष्ण, शिवाजी राय, शबरोज मोहम्मदी, शुऐब अहमद, जीशान अहमद, फैजान मुसन्ना, मुहम्मद शकील कुरैशी, शफीक अब्बासी, शादाब जाफरी आदि शामिल रहे।