गोरखपुर। माह रमजान 24 या 25 अप्रैल से शुरू हो रहा है। मगर अभी तक न रमजान कैलेंडर छपे हैं और न ही रमजान कार्ड। रमजान माह में सहरी व इफ्तार की बहुत अहमियत है। वक्त से सहरी करने व रोजा इफ्तार करने के लिए तमाम मदरसे, निजी संस्थाएं व आमजन द्वारा रमजान सहरी-इफ्तार कार्ड व कैलेंडर छपवा कर बांटा जाता है। अबकी यह काम मुश्किल दिख रहा है।
रमजान कैलेंडर व कार्ड छपवाने वाले तमाम मदरसे दुविधा में हैं कि कहीं ऐसा न हो कि कैलेंडर व कार्ड छपवा लिया जाए और बंट ही न पाए। इसलिए मदरसे वाले एहतियात बरत रहे हैं। हालांकि कैलेंडर व कार्ड छपने के लिए एक महीना पहले ही चला जाता है लेकिन इस बार किताबत (डिजाइन) हो गई है मगर छपने के लिए लॉकडाउन हटने का इंतजार किया जा रहा है।
रमजान माह से दो हफ्ता पहले कैलेंडर व कार्ड बंटना शुरु हो जाता था। अबकी लॉकडाउन का असमंजस लगा हुआ है। इसी बीच सोशल मीडिया पर रमजान के दिनों में की जाने वाली इबादतों व जकात के बारे में जागरुकता फैलाई जा रही है।
अल मदीना किताबत घर मियां बाजार के कातिब हाफिज मोहम्मद अहमद अशरफी ने बताया कि उनके यहां मंडल के 50 से 60 मदरसों के कैलेंडर व कार्ड बनने आये हैं। सबकी डिजाइन तैयार है। जिसमें 15 की डिजाइन बननी बाकी है। मदरसे वालों को लॉकडाउन खुलने का इंतजार है। कैलेंडर व कार्ड छपवाने की लागत 8 से 10 हजार रुपये आती है। कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं है। कहीं ऐसा न हो कि कैलेंडर व कार्ड छप जाए और बंट न पाए।
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की वजह से जलसे व जलसों के तमाम पोस्टर कैंसिल हो गए और रमजान कैलेंडर व कार्ड पर भी ग्रहण लग गया है। हमारा धंधा चौपट हो गया है। काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। अगर एक दो दिन के लिए भी लॉकडाउन खुला तो भी कैलेंडर व कार्ड छपना मुश्किल है।
मदरसा जियाउल पुराना गोरखपुर गोरखनाथ के प्रधानाचार्य मौलाना नूरुज्जमा मिस्बाही ने कहा कि एक महीना पहले ही 4000 रमजान कैलेंडर व 2000 रमजान कार्ड छपने का आर्डर दिया था। डिजाइन तैयार भी है। अगर लॉकडाउन बढ़ेगा तो छपवाना बहुत मुश्किल होगा। लॉकडाउन खुलेगा तभी गौर किया जायेगा।
मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार के प्रधानाचार्य हाफिज नजरे आलम कादरी ने कहा कि 2500 रमजान कैलेंडर व 2000 रमजान कार्ड छपने के लिए फरवरी माह में दे दिया था। डिजाइनिंग हो चुकी है। लॉकडाउन बढ़ा तो इतना नहीं छपवा पायेंगे। हां इतना जरुर करेंगे 500 रमजान कैलेंडर मस्जिदों में लगवा देंगे और करीब 500 रमजान कार्ड घरों में बंटवा देंगे ताकि लोगों को सहरी व इफ्तार का वक्त पता करने में दिक्कत न हो। छपायी का 15 से 20 हजार रुपया लग जाता है। इन कैलेंडरों व कार्डों पर सहरी व इफ्तार के वक्त के अलावा सहरी-इफ्तार के समय की दुआ, मदरसे का विवरण व चंदा देने की अपील आदि लिखी रहती है। कई दीनी मसलों पर रोशनी डाली जाती है। कैलेंडर व कार्ड का बहुत लाभ अवाम को मिलता है। कार्ड वगैरा सोशल मीडिया पर भी डाला जायेगा ताकि अगर कैलेंडर व कार्ड छप व बंट न सका तो कम से कम सोशल मीडिया के जरिए सहरी व इफ्तार का वक्त पता कर लेंगे।