गन्ना किसानों का भुगतान, ओलावृष्टि और बेमौसम बारिश की मार खाये किसानों को तत्काल मिले मुआवजा, सबको राशन, गैर पंजीकृत मजदूरों, मनरेगा श्रमिकों को आर्थिक राहत दे सरकार
प्रदेश के आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए अर्थशास्त्र और योजना निर्माण के जाने माने विशेषज्ञों की ‘आर्थिक पुनर्निर्माण टास्कफोर्स’ बनाने की मांग की
दिल्ली/लखनऊ. कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर किसानों, मजदूरों और छोटे उद्योगोंको तत्काल राहत देने की मांग की है. उन्होंने मजदूरों और छोटे उद्योगों की बदतर हो रही स्थिति पर मुख्यमंत्री से प्रदेश के आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए अर्थशास्त्र और योजना निर्माण के जाने माने विशेषज्ञों की एक ‘आर्थिक पुनर्निर्माण टास्कफोर्स’ गठित करने की सलाह दी है.
पत्र में प्रियंका गांधी ने कहा है कि कोरोना महामारी ने ज्यादातर क्षेत्रों की कमर तोड़ दी है। प्रदेश का हर एक तबका इस आपदा और इसके आर्थिक व सामाजिक दुष्प्रभावों से परेशान है। कोरोना आपदा की वजह से कई ऐसे आर्थिक व सामाजिक स्तर के मुद्दे हैं जिन पर तुरंत ध्यान देने से आम जन को बहुत राहत मिलेगी।
उन्होंने कहा कि किसानों की गेहूं की फसल की कटाई का समय चल रहा है। किसान बुरी तरह से परेशान हैं कि कटाई कैसे होगी। प्रदेश में कम्बाइन मशीनों से कटाई की इजाजत भी दे दी है परंतु अभी तक कम्बाइन मशीनों के मालिक प्रशासन से भयभीत हैं। ज्यादातर इन मशीनों के चालक दूसरे प्रदेशों से आते हैं। उनके आने की व्यवस्था की जाए। सही सूचना के अभाव में और जुर्माने के डर से किसान रात-बिरात गेहूं काट रहे हैं।
उन्होंने पत्र में गन्ना किसानों का बकाया तत्काल भुगतान करने के साथ ही साथ आगामी फसल की खरीद की गारंटी करने की बात लिखी है।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि विगत दिनों में उत्तर प्रदेश के किसानों के ऊपर ओलवृष्टि और बेमौसम बारिश की मार पड़ी थी। उत्तर प्रदेश सरकार मुआवजा देने की भी घोषणा की थी, लेकिन अभी तक किसानों को मुआवजा नहीं मिला है। उन्होंने ओलावृष्टि और बारिश से हुई फसलों की बर्बादी का मुआवजा सभी किसानों को तुरंत दिए जाने की बात पत्र में प्रमुखता से लिखा है। ताकि किसानों को कुछ राहत मिल सके।
महासचिव ने पत्र में लिखा है कि कोरोना महामारी अपने साथ एक आर्थिक तबाही भी लेकर आई है। उत्तर प्रदेश का काँच उद्योग, पीतल उद्योग, कालीन उद्योग, बुनकरी, फ़र्नीचर उद्योग, चमड़े का उद्योग, होजरी उद्योग, डेयरी, मिट्टी बर्तन उद्योग, फिशरी-हेचरी उद्योग, अन्य घरेलू उद्योग सभी को तेज झटका लगा है। प्रदेश के लाखों बुनकरों की हालत अत्यंत खराब है। देश और प्रदेश में एक आर्थिक इमरजेंसी की स्थिति पैदा हो गई है।
उन्होंने मजदूरों और छोटे उद्योगों की बदतर हो रही स्थिति पर मुख्यमंत्री से आग्रह करते हुए लिखा है कि प्रदेश के आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए अर्थशास्त्र और योजना निर्माण के जाने माने विशेषज्ञों की एक ‘आर्थिक पुनर्निर्माण टास्कफोर्स’ गठित की जाए। इस आपदा के साथ आने वाली आर्थिक सुनामी से मुकाबला करने के लिए इस टास्कफोर्स का काम आर्थिक पुनर्निमाण का रास्ता तैयार करना होगा।
प्रियंका गांधी ने पत्र में मुख्यमंत्री को आगाह किया है कि अभी भी बहुत मजदूर परिवारों को राशन व नकदी की किल्लत है। काफी मजदूरों का पंजीकरण न होने से उनको किसी भी राहत योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि बिना पंजीकृत मजदूरों को भी आर्थिक मदद की गारंटी की जाए।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि कई जगह राशन न मिलने की शिकायतें आ रहीं हैं बिना राशनकार्ड धारकों को भी राशन देने की गारंटी की जाए और राशन में चावल के साथ गेंहू, दाल, तेल, नमक और मसाला पाउडर भी दिया जाए।
श्रीमती प्रियंका गांधी ने मनरेगा मजदूरों के संदर्भ में पत्र में लिखा है कि सक्रिय मनरेगा मजदूरों को फ्री में राशन मिल रहा है, यह सराहनीय पहल है। किंतु उनको कोई आर्थिक राहत नहीं मिली है। उन्होंने पत्र में कहा है कि मनरेगा मजदूरों के लिए घोषित 611 करोड़ रुपया उनका पिछला बकाया था। अब जरूरी है कि मनरेगा मजदूरों के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा की जाए।