गोरखपुर। मशहूर कथाकार मुंशी प्रेमचंद आपको याद होंगे। उनकी रचना ईदगाह भी। उस रचना का पात्र हामिद भी आपके किसी दरीचे में महफूज होगा जो अपनी बुजुर्ग दादी के लिए ईदी के पैसे से चिमटा खरीदकर ले जाता है और खूब दुआएं पाता है।
सोमवार को मुंशी प्रेमचंद वाली ईदगाह हजरत मुबारक खां शहीद पर न ईद-उल-फित्र की नमाज हुई, न ही मेला लगा और न ही कोई हामिद आया लेकिन इसी शहर के कुछ नौजवानों ने हामिद का पात्र जीवित कर यह अहसास दिला दिया कि हामिद आज भी जिंदा है और लोगों की खिदमत कर रहा है। ईद की नमाज बाद में पढ़ी पहले सैकड़ों मजदूरों की खिदमत कर दुआएं हासिल कीं। मजदूरों के कदमों को चूमा अपने हाथों से चप्पल पहनायी।
ईद-उल-फित्र के दिन जमुनहियाबाग व जाफ़रा बाजार के 12 से 15 नौजवान नूर मोहम्मद, इरशाद अहमद, आसिफ महमूद, सैयद फैसल हुसैन, मुस्तकीम, शालू, फैज, इलू, सैफ, सालिक, फुरकान खान आदि सुबह 4:30 बजे कालेसर जीरो प्वाइट पहुंच गये। उनके पास करीब 90 जोड़ा चप्पलें, 1000 पानी की बोतलें, 1000 पीस पांव रोटी, चार कंटेनर चाय, 800 पैकेट बिस्कुट, कई दर्जन केला था। यह सब सामान उन्होंने अपनी ईदी के पैसों से जमा किया था।
अलसुबह इन नौजवानों ने हाइवे पर पहुंचकर करीब 600 प्रवासी मजदूरों की दिल से खिदमत की। किसी को अपने हाथों से चप्पल पहनायी। किसी को पानी की बोतल दी। किसी को चाय, पांव रोटी, बिस्कुट व केला देकर खूब दुआएं लीं। हर प्रवासी को ईद-उल-फित्र की मुबारकबाद पेश की। प्रवासी मजदूरों ने मुस्कुरा कर इन नौजवानों का हौसला बढ़ाया। नौजवानों ने सोशल डिस्टेंसिंग व लॉकडाउन के हर एक नियम का पूरी मुस्तैदी से पालन किया। पांच नौजवान तो पीपीई किट में नज़र में आए। अपना फर्ज निभाकर नौजवान सुबह करीब 7 बजे घर पहुंचे और नहा धोकर शुकराने की नमाज अदा कर घर वालों से ईद मुबारक बोला।
इन नौजवानों की अगुवाई जमुनहियाबाग के नूर मोहम्मद ने की। उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों के खराब हालात व मुंशी प्रेमचंद के हामिद पात्र से प्रेरित होकर ईद के दिन कुछ अलग करने की सूझी। दोस्तों से मशवरा किया। सभी ने साथ दिया। सभी दोस्तों ने पैसा इकट्ठा किया। सारा सामान खरीदा। मिलकर मजदूरों की खिदमत की। खूब दुआएं लीं। नौजवानों की उम्र 20 से 25 साल है। कोई का व्यवसाय कर रहा है तो कोई पढ़ायी। नौजवानों ने ईद के दिन करीब 600 मजदूरों की खिदमत कर सही मायने में ईद मनायीं। वहीं शाम के वक्त प्लीज हेल्प ग्रुप के मनोव्वर अहमद, समीर अहमद, नोमान, आसिफ हुसैन, कलीम, समीर सिद्दीकी, गोलू, रमजान अली, मो. कलीम अशरफ, शेरु, आसिफ अंसारी आदि ने बिस्कुट, भूजा, पानी की बोतल, गुड़ मजदूरों में वितरित किया। मजदूरों की सेवा कर ईद मनायी।