नेपाल के राष्ट्र कवि माधव प्रसाद घिमिरे के निधन पर नेपाल और भारत दोनों देशों के साहित्य प्रेमियों ,साहित्यकारों ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।
त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमाण्डु केंद्रीय हिंदी विभाग की अध्यक्षा डॉ संजीता वर्मा राष्ट्र कवि को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहती हैं कि नेपाली भाषा साहित्य और छंद के दुर्लभ नक्षत्र राष्ट्र कवि माधव प्रसाद घिमिरे सूर्य के समान चमकते हुए एक सितारे थे। मैं अपनी और विभाग की ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित करती हूं। डॉ वर्मा कहती हैं कि पूर्व प्रधामंत्री सूर्य बहादुर थापा के प्रधानमंत्रित्व काल मे उन्हें पहले “छंद शिरोमणि”और तत्पश्चात “राष्ट्र कवि”की उपाधि से नवाजा गया।
भारत के ख्यातिलब्ध साहित्यकार अष्टभुजा शुक्ल कहते हैं वो स्वच्छंदतावादी भावधारा और परिष्कारवादी शैली के कुशल नेपाली कवि ,साहित्यकार व गीतकार थे।शताधिक वर्षों की आयु जीने वाले अदम्य,जिजीविषा के नेपाल के राष्ट्र कवि माधव प्रसाद घिमिरे को हिंदी साहित्य की ओर से विनम्र प्रणति। अवधि सांस्कृतिक विकास परिषद नेपाल के महामंत्री दिग्विजय मिश्रा कहते है घिमिरे जी बहुत सरल स्वभाव के सहज व्यक्तित्व थे।वो कविता ,खंडकाव्य,गीत,नाटक,कथा ,अनुवाद लेख आदि अनेको विधाओं में वो अपनी कलम चलाते थे।
शायर नज़ीर मलिक खिराजे अकीदत पेश करते हुए कहते हैं कि कवि और उसकी रचनाएं है हमेशा की लिए जन-स्मृतियों में दर्ज हो जाती हैं। कवियों की आवाजो को कभी भी दबाया नहीं जासकता।कवि संसार से चले जाते हैं लेकिन उनकी कृतियाँ ,रचनाएं हमेशा जीवित रहती हैं। वो इतिहास की सबसे उल्लेखनीय कथाओं में सुनी और पढ़ी जाती हैं।
यशभारती से सम्मानित मणीन्द्र मिश्र कहते हैं कि नेपाल के राष्ट्र कवि का जाना हम सबके लिए दुख दायी है।वो साहित्य के संसार मे सदैव अमर रहेंगे उनकी कालजयी रचनाएं समाज को आइना दिखाती रहेंगीं। भारत के बलरामपुर के जाने माने कवि अनिल गौड़ कहते हैं वो बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे लेकिन उनके लेखन का मूल केंद्र विंदु कविता काव्य ही था।
हिंदी मंच नेपाल की गायत्री कुमार शाह कहती हैं कि घिमिरे जी की कविताओं में राष्ट्रीयता का संचार होता था। कवि /लेखक और प्रासंगिक साहित्यिक संस्था बलरामपुर ,यूपी के अध्यक्ष डॉ पीसी गिरी कहते हैं कि नेपाल के राष्ट्रकवि माधव प्रसाद घिमिरे के निधन का समाचार दुखदायी है। वे नेपाल के बहुप्रतिष्ठित रचनाकार थे।उन्हें सुदीर्घ जीवन का सौभाग्य मिला था।वे साहित्य के वास्तविक अर्थ अर्थात जिसमें सबका हित हो, को जीवन में चरितार्थ करने वाले व्यक्ति थे।उनकी रचनाओं में नेपाली जनजीवन के चित्रण के साथ मानवता को सुदृढ करने की भावाभिव्यक्ति सर्वत्र दिखाई पड़ती है।उन्होंने अपने अनेक काव्यसंग्रहों द्वारा नेपाली साहित्य-संसार को समृद्ध किया है।बलरामपुर की साहित्यिक संस्था ‘प्रासंगिक’ की ओर से मैं माधव प्रसाद घिमिरे के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त करता हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें तथा उनके परिवार को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें।
लेखक/कवि सय्यद आसिम रऊफ, मो0 कामिल खान,ज्ञानेंद्र द्विवेदी दीपक,पूर्व सांसद चंद्र शेखर त्रिपाठी,नियाज़ कपिलवस्तवी,जी एच कादिर, पंडित लखनवी,हसन काज़मी,रोहित मीत, डॉ अनिल गौड़ ,मलिकजादा जावेद,मलिकज़ादा परवेज़,प्रदीप अली सिंगर,रागिनी श्रीवास्तव, डॉ शेहाब ज़फर,इरशाद अहमद खान,आदि ने राष्ट्र कवि घिमिरे को श्रद्धांजलि अर्पित की है।