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कुपोषण दूर करने के लिए देवरिया जिले में लगाए जा रहे 8500 सहजन के पौधे 

देवरिया। बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए एकीकृत बाल विकास विभाग (आईसीडीएस) ने सहजन के पौधे पेड़ को ढाल बनाया है। जिन घरों में कुपोषित बच्चे हैं वहां सहजन का पौधारोपण किया जा रहा है। । आंगनबाड़ी केंद्रों में भी इसके पौधे लगाए जा रहे हैं। सहजन के फल-फूल और पत्तियों में भरपूर पोषण तत्व  मौजूद रहता है। जिले में इस साल सहजन के 8500 पौधे रोपने का लक्ष्य है।
एकीकृत बाल विकास विभाग ने सहजन के पौधे के सहारे कुपोषण से बचाव की योजना तैयार किया है। जिला कार्यक्रम अधिकारी कृष्णकांत राय ने बताया पोषण माह का मुख्य उद्देश्य बच्चों को बौनेपन और कुपोषण की समस्या से उबारना और उन्हें शारीरिक एवं मानसिक तौर से मजबूत बनाना है। इस बार जिले के 17 ब्लॉक में 8500 सहजन के पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
हर ब्लॉक में पांच-पांच सौ सहजन के पौधे लगाए जा रहे हैं। यह पौधे वन विभाग द्वारा उपलब्ध कराये जा रहे हैं। उन्होंने बताया सहजन का पौधा 6 महीने में ही पेड़ बनकर फल व फूल देने लगेगा। कुपोषित बच्चों के परिजनों को इसकी सब्जी खाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। सहजन  में भरपूर मात्रा में विटामिन व जरूरी पोषक तत्व होते हैं। इसके उपयोग से कुपोषण दूर किया जा सकता है। गर्भवती  के लिए भी इसका सेवन लाभदायक  है। हर आंगनबाड़ी केंद्र में भी सुरक्षित स्थान पर कम से कम दो-दो पौधे  लगाए जा रहे हैं। इससे कुपोषण के साथ-साथ पर्यावरण को भी फायदा होगा।
पौष्टिक गुणों की खान है ‘‘ सहजन ’’
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि सहजन में संतरे से सात गुना विटामिन सी होता है। गाजर से चार गुना अधिक विटामिन ए होता है। दूध से चार गुना अधिक कैल्शियम होता है। केले से तीन गुना अधिक पोटेशियम होता है और दही से तीन गुना अधिक प्रोटीन होता है।  सेहत के नजरिये से इसकी फली, हरी और सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी-काम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इनका सेवन कर कई बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है, इसका बॉटेनिकल नाम ‘‘मोरि¬गा ओलीफेरा’’ है। जो लोग इसके गुणकारी महत्व को जानते है इसका सेवन जरूर करते हैं।