लखनऊ। रिहाई मंच ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए किसानों द्वारा अपनी मांगों के समर्थन में 8 दिसंबर को आहूत भारत बंद को सफल बनाने की अपील की है।
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब एडवोकेट ने कहा कि नए कृषि कानूनों ने पार्टनरशिप फर्म, कंपनी, कोआपरेटिव सोसाइटी, सोसाइटी, असोसिएशन, फर्म गेट, कारखाना क्षेत्र, वेअर हाउस, भंडार, कोल्ड स्टोरेज और निगम, व्यापारी व प्रायोजक जैसे कुछ शब्द दिए हैं। उन्होंने कहा कि अब प्रायोजक किसानों से अनुबंध करेगा और अपनी शर्तों पर बीज–खाद, प्राद्योगिकी और अनाज, फल, सब्ज़ी, अंडा, मुर्गी, बकरी, मछली, जूट, कपास जैसे उत्पाद खरीदेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार पूंजीपति ही हर स्याह सफेद का मालिक हो जाएगा। उत्पाद की गुणवत्ता वही तय करेगा। विवाद होने की हालत में पहले तहसील स्तर का अधिकारी फैसला करेगा और फिर अदालती लड़ाई। उन्होंने कहा कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने राज में इसी तरह की खेती कराई थी जिससे किसान तबाह हो गया था।
मंच अध्यक्ष ने कहा कि ऐसी हालत में किसनों के सामने दो ही विकल्प थे कि या तो वह अपने लिए उसी प्रकार की गुलामी को स्वीकार कर लें या अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़े। किसानों ने अपने लिए दूसरा रास्ता चुना है खेत, खलिहान और संविधान बचाने की इस लड़ाई का रिहाई मंच पूरी तरह समर्थन करता है।
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि किसानों द्वारा सरकार की तरफ से लाए गए तीनों विधेयकों को रद्द करने की मांग पूरी तरह जायज़ है और उसके खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से विरोध दर्ज करवाना उनका अधिकार है। लेकिन केंद्र सरकार और भाजपा शासित राज्य सरकारों, खासकर हरियाणा सरकार द्वारा सड़क मार्ग खुदवा कर किसानों को रोकने का प्रयास तानाशाही रवैया है। उन्होंने कहा कि यह इस बात का संकेत है कि सरकार किसानों की जायज़ मांगों पर विचार करने के बजाए आंदोलन को येन केन प्रकारेण खत्म करवाना चाहती है। उन्होंने कहा कि हम किसान आंदोलन का समर्थन करते हैं और 8 दिसंबर को किसानों द्वारा बंद के आह्वान को सफल बनाने की अपील करते हैं।