कुशीनगर। थारु जनजाति के लोगो ने अपने समाज से ऐतिहासिक वस्तुओं व धरोहरों का संरक्षण करने का कार्य शुरू किया है। इस दिशा में बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बगहा दो प्रखंड के हरनाताड पंचायत ने महादेवा गांव में थारु संस्कृति संरक्षण संग्रहालय की स्थापना की है। यहां पर 200 से 250 साल पहले तक की वस्तुओ को सहेज कर रखा गया है।
संग्रहालय के अध्यक्ष हरिहर काजी ने बताया की संग्रहालय के सदस्य पुरानी वस्तुओ के बारे में जानकारी करते हैं और उन्हें खोजने का काम करते हैं। जब पता चल जाता है तो उसको संग्रहालय के लिए मांग लिया जाता है। जरूरत पड़ने पर खरीदा भी जाता है। संग्रहालय के सदस्य चंदा इकट्ठा कर खर्च का इंतजाम करते हैं।
उन्होंने बताया की बहुत बार यह सुनने को मिलता था कि पुरानी वस्तुएं बहुत काम की थी। बैल गाड़ी अभी जैसी है वैसी पहले नही थी। इन्ही सब को ध्यान में रखते हुए इस संग्रहालय की नीव रखी गई थी जो आज एक मूर्त रूप ले चुकी है।
महादेवा स्थित संग्रहालय में खुटकी, जतरी, कोईन, मोना, डोकनी, झापा, गेडहरा, बेऊगी, मतझोपी हैं। इसके साथ ही डालिया, पइन, घन्नो, बेवा, डेली, गेदरा, प्राचीन लकड़ी के पहियों वाली बैलगाड़ी, धान से चावल निकलने के लिए ढेका सहित दर्जनों वस्तुएं संरक्षित की गई हैं।