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अपने खिलाफ शिकायत की खुद जांच करेंगे कुलपति , प्रोफेसर ने सत्याग्रह की चेतावनी दी

गोरखपुर। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश सिंह के खिलाफ की गई शिकायत की जांच राज्यपाल/कुलाधिपति के विशेष कार्याधिकारी ने कुलपति को ही सौंप दी है। राज्यपाल/कुलाधिपति के विशेष कार्याधिकारी द्वारा भेजे गए पत्र में कुलपति प्रो राजेश सिंह से अपने ही खिलाफ की गई शिकायत की जांच कर  कार्यवाही से अवगत कराने को कहा गया है।

विशेष कार्याधिकारी द्वारा भेजे गए इस पत्र पर क्षोभ जताते हुए शिकायत कर्ता प्रो कमलेश कुमार गुप्त ने कहा है कि यदि एक सप्ताह में कुलपति को नहीं हटाया जाता है तो वे सत्याग्रह प्रारंभ करेंगे।

कुलाधिपति के विशेष कार्याधिकारी द्वारा यह पत्र 22 नवम्बर को भेजा गया है। इस पत्र में कहा गया है कि ‘ गोरखपुर विशविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रो कमलेश कुमार गुप्त द्वारा 25 अक्टूबर को राज्यपाल/ कुलाधिपति के विशेष कार्याधिकारी को भेजे गए पत्र का अवलोकर करें। इस संबंध में मुझे आपसे यह कहने का निर्देश हुआ है कि प्रश्नगत प्रकरण में जांचोपरान्त विधि अनुसार कार्यवाही कर कृत कार्यवाही से प्रत्यावेदक को भी अवगत कराने का कष्ट करें। ’

यह पत्र कुलपति को सम्बोधित है। इस पत्र से सवाल उठ रहा है कि कुलपति के खिलाफ की गई शिकायत की जांच स्वंय कुलपति कैसे कर सकते हैं ?

कुलपति के खिलाफ राजभवन को शिकायत करने वाले हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्त ने भी इस पर सवाल उठाया है। उन्होंने राज्यपाल के विशेष कार्याधिकारी द्वारा भेजे गए इस पत्र को अपने फेसबुक वाल पर शेयर करते हुए टिप्पणी लिखी है कि क्या जिस व्यक्ति के विरुद्ध शिकायत की गई हो, उसी को जांच सौंपी जा सकती है ? यह न्याय का कौन-सा सिद्धांत है, जिसमें कुलपति जी अपने विरुद्ध की गई शिकायतों की खुद जांच करके जांचोपरांत विधिक कार्यवाही करके कृत कार्यवाही से मुझे अवगत कराएंगे।

 

 

 

प्रो गुप्त ने कहा है कि यदि एक सप्ताह के भीतर कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह को कुलपति पद से नहीं हटाया गया, तो वे प्रशासनिक भवन परिसर में अवस्थित दीनदयाल उपाध्याय प्रतिमा के समक्ष सत्याग्रह करेंगे।

प्रो गुप्त ने अपने पोस्ट में लिखा है कि उन्होंने कुलपति प्रो राजेश सिंह की प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं, अधिनियम, परिनियम, अध्यादेशों, शासनादेशों के लगातार उल्लंघन, कुलपति पद में निहित शक्तियों के घोर दुरुपयोग और गैरलोकतांत्रिक कार्यशैली के विरुद्ध कुलाधिपति से कई बार साक्ष्यों सहित शिकायत की थी। कुलाधिपति सचिवालय की ओर से प्रेषित पत्र में मुझसे शपथ पत्र और साक्ष्यों सहित शिकायतें कुलाधिपति सचिवालय को प्रेषित करने को कहा गया। मैंने शपथपत्र व साक्ष्यों के साथ शिकायती पत्र भेजा और प्रोफेसर राजेश सिंह जी को कुलपति पद से तत्काल हटाने और उनके कार्यकाल में हुई विश्वविद्यालय की समस्त आय और व्यय की जाॅंच कराने की माॅंग की।

 

एक माह से अधिक की अवधि बीत जाने के बाद कुलाधिपति सचिवालय से संपर्क करने पर कई दिनों की कोशिशों के बाद बताया गया कि उक्त संदर्भ में 22 नवंबर को मेरे पास कोई पत्र भेजा गया है। मैंने डाकखाने में पता किया तो कोई पत्र नहीं आया था। फिर संपर्क करके मैंने आर्टिकल नंबर पूछा, जिससे संबंधित पत्र की स्थिति के बारे में पता किया जा सके, तो यह कहा गया कि पत्र साधारण डाक से गया होगा। मुझसे मेरा ईमेल पूछा गया, तो यह सूचित करते हुए कि मेरे पत्र में ईमेल लिखा है, मैंने अपना ईमेल नोट करा दिया।

छह दिसम्बर को को कुलाधिपति सचिवालय से संपर्क करने पर बताया गया कि कार्यवाही प्रक्रिया में है। आठ दिसम्बर को मेरे ईमेल पर यह संदेश आया है।
प्रो गुप्त ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में कुलाधिपति सचिवालय की भूमिका संदिग्ध है और बेहद आपत्तिजनक है। ऐसे में न्याय मिल पाना लगभग असंभव है। इसलिए विश्वविद्यालय और विश्वविद्यालय परिवार की रक्षा के लिए हमें न्याय पाने के दूसरे रास्तों की तलाश करनी होगी। हमारा विश्वविद्यालय नष्ट हो रहा है। विश्वविद्यालय की छवि बुरी तरह धूमिल हो रही है। प्रोफेसर राजेश सिंह का एक दिन भी कुलपति के पद पर रहना विश्वविद्यालय और संबंधित महाविद्यालयों के हित में नहीं है।

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