गोरखपुर। उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी ने वर्ष 2020 के लिए गुरुवार को अवार्ड्स की घोषणा कर दी। इन अवार्ड्स में पहली बार गोरखपुर शहर के 11 उर्दू साहित्यकारों व पत्रकारों को अवार्ड के लिए चुना गया है। वर्ष 2017 के बहुत समय बाद अवार्ड घोषणा से उर्दू अदब में खुशी की लहर है। दबे स्वरों में साहित्यकारों ने अवार्ड राशि बढ़ाने की मांग भी उठाई है।
उचवां मोहल्ला के रहने वाले एएमयू के उर्दू विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष व सर सैयद अकादमी के पूर्व निदेशक प्रो. असगर अब्बास को उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी का सर्वोच्च पुरस्कार ‘मौलाना आजाद अवार्ड’ मिला है। प्रो. अब्बास ने प्रारंभिक व परास्नातक तक की शिक्षा गोरखपुर में रहकर हासिल की। ‘सर सैयद अहमद खान की पत्रकारिता’ पर उर्दू में पीएचडी की। अलीगढ़ में रहकर शिक्षण कार्य किया।
तिवारीपुर के रहने वाले प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद हुसैन को उर्दू अदब में असीम योगदान के लिए ‘क़ौमी सतह पर प्रेमचंद अवार्ड’ के लिए चुना गया है। जेएनयू व जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य किया। कई किताबें लिखीं।
रसूलपुर के रहने वाले युवा पत्रकार मोहम्मद आतिफ आज़मी उर्दू अख़बार ‘इंकलाब’ में कार्यरत हैं। इन्हें अकादमी ने प्रिंट मीडिया श्रेणी में युवा पत्रकार के तहत चुना है। निष्पक्ष पत्रकारिता में मोहम्मद आतिफ एक नुमाया नाम हैं। एएमयू से पढ़ाई मुकम्मल करने के बाद देश की राजधानी दिल्ली में पत्रकारिता की शुरुआत की। दबे कुचलों की आवाज बने। जिस वजह से वर्ष 2014 में नेशनल अवार्ड फॉर जर्नलिज़्म उर्दू पत्रकारिता मिला। इसके अलावा अन्य ढेरों पुरस्कार मिला। आतिफ अपनी क़लम से कई सालों से गोरखपुर में उर्दू पत्रकारिता को नया आयाम देने में लगे हुए हैं।
रेती के रहने वाले युवा पत्रकार इरफ़ान सिद्दीक़ी रोज़नामा आग व तहज़ीब चैनल में बतौर ब्यूरो चीफ कार्यरत हैं। इन्हें अकादमी ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया श्रेणी में युवा पत्रकार के तहत चुना है। तमाम सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक मुद्दों पर निष्पक्ष रूप से लिखने वाले इरफान सिद्दीकी ने उर्दू पत्रकारिता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
जंगे आज़ादी पर एक दर्जन किताबें लिखने वाली तिवारीपुर की मशहूर लेखिका डॉ. दरख्शा ताजवर, बसंतपुर के रहने वाले डॉ. सलीम अहमद, नशेमनहाता के रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार व संपादक डॉ. अकबर अली बिलग्रामी, उर्दू हस्तलिपि विद्वान नौशाद अहमद को उर्दू अदब में बेहतरीन ख़िदमात के लिए पुरस्कृत करने का निर्णय अकादमी ने लिया है। वहीं जमीर अहमद पयाम, आसिम गोंडवी, आलम गोरखपुर की लिखी किताबों पर भी अवार्ड की घोषणा की गई है।