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वन अधिकार कानून का उल्लंघन है मूर्तिहा वन बस्ती के लोगों को बेदखल करने की नोटिस

बहराइच।  सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी ने मूर्तिहा वन बस्ती में रह रहे वन निवासियों के बेदखल करने का विरोध किया है और कहा है कि वन अधिकार कानून का सरासर उल्लंघन कर लोगों को बेदखल करने की नोटिस दी गई है।

उन्होंने कहा कि बहराइच जिले के मोतीपुर तहसील अंतर्गत कतरनियाघाट वन्यजीव प्रभाग के मुर्तिहा रेंज में भारत-नेपाल सीमा को जोड़ने वाले मार्ग पर मूर्तिहा छावनी नाम की वन बस्ती है। यहां पर लंबे अरसे से नौ वन निवासी परिवार निवास करते हैं जिनके पूर्वज ब्रिटिश काल में अंग्रेजो द्वारा टांगिया पद्धति से वृक्षारोपण करने के लिए पूर्वांचल से लाए गए थे। वर्ष 1976 में कतरनिया घाट वन क्षेत्र को सेंचुरी घोषित होने से पूर्व सभी परिवार पूरी तरह वनों पर निर्भर थे। सेंचुरी के नियमों की सख्ती के कारण उन्हें वन निर्भरता छोड़कर छोटी-छोटी दुकानें चलाकर जीवन चलाने पर मजबूर होना पड़ा।

जंग हिन्दुस्तानी ने कहा कि इन परिवारों को अब विभाग की दोहरी मार झेलना पड़ रहा है। पहले वन विभाग उनके घरों के सामने पक्की दीवाल खड़ी कर के उन्हें उनकी आजीविका से दूर करने का प्रयास किया। अब उन्हें उजाड़ने के लिए सशस्त्र सीमा बल व राजस्व अधिकारियों को भ्रमित कर उजाड़ने का प्रयास किया जा रहा है। पिछले दिनों मुर्तिहा छावनी पर रह रहे वननिवासियों को रेंजर ने घर छोड़ चलकर चले जाने के लिए धमकाया और कहा कि माह के अंत तक उजाड़ दिया जाएगा। रेंजर के द्वारा दी गई धमकी से गांव के लोग सहमे हुए हैं।

उन्होंने कहा कि 13 दिसंबर 2005 से पूर्व जो भी व्यक्ति किसी भी प्रकार से वनभूमि पर निवास कर रहा है, उसे जब तक मान्यता नहीं दी जाती है और संबंधित ग्राम सभा द्वारा संकल्प पारित कर के सत्यापन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है तब तक  उसे उसके कब्जे की वन भूमि से बेदखल नहीं किया जा सकता है। यह वन अधिकार कानून 2006 की धारा 4 उपधारा 5 में स्पष्ट लिखा गया है। रेंजर मूर्तिहा द्वारा मुर्तिहा छावनी के वन निवासियों को बेदखल करने के लिए दी गई नोटिस वन अधिकार कानून का सरासर उल्लंघन है। मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव/ अध्यक्ष, राज्यस्तरीय निगरानी समिति को पूरे प्रकरण से अवगत कराया जा रहा है।