बहराइच। गिरजा पुरी स्थित सेवार्थ फाउंडेशन कार्यालय पर 25 सितम्बर को वन अधिकार आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं की बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता वन अधिकार आंदोलन के अध्यक्ष शंकर सिंह ने की।
बैठक में उपस्थित लोगों ने बाढ़ और कटान के संबंध में सरकार की उपेक्षा पर सवाल उठाए और कहा कि सिर्फ लाई चना बांटकर लोगों को संतुष्ट कर दिया जाता है और प्रतिवर्ष हजारों एकड़ जमीन घाघरा नदी में समाहित हो जाती है। बाढ़ और कटान की समस्या का स्थाई समाधान नहीं किया जा रहा है जिसके कारण बड़े पैमाने पर किसान अपनी जमीन खोते चले जा रहे हैं और उन्हें पलायन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी ने कहा कि वन अधिकार आंदोलन, बहराइच बाढ़ पीड़ितों के साथ है और उनके मुद्दे को राज्य तथा केंद्र स्तर तक पहुंचायेगा और जब तक कोई स्थाई समाधान नहीं होता है तब तक लगातार संघर्ष किया जाएगा।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए शंकर सिंह कहा कि गिरजा पुरी बैराज बनने के बाद बहराइच के हिस्से में सिर्फ दुर्भाग्य आया है। लोग जमीन से हाथ धो रहे हैं और उनके मकान घाघरा नदी में समाहित हो रहे हैं। इस समस्या को कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के समक्ष उठाया गया लेकिन किसी ने भी पर ध्यान नहीं दिया है। पिछले वर्ष सिंचाई विभाग के द्वारा अस्थाई पर्कयूपाइन बनाया गया पर वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और इस बार की बाढ़ में कट गया। यदि समस्या का कोई स्थाई समाधान नहीं होता है तो हमें शासन प्रशासन के समक्ष अपनी बात रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
बैठक में बोलते हुए ग्राम स्तरीय वन अधिकार समिति, हनुमान गढी रेतवा की अध्यक्ष कांति देवी ने कहा कि हनुमान गढी जो कि वनभूमि पर बसा हुआ था बैराज बनने के कारण आज की तारीख में लापता हो गया और उसमें रहने वाले लोग अब बेघर हो कर 12 गांवों में अपने रिश्तेदारों की जमीन पर रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम अपील करते हैं कि लोगों को लाई, चना, आलू जैसे अस्थाई राहत के लेने के बजाए तटबंध निर्माण के लिए एकजुट होना चाहिए।
बैठक को श्री राजेंद्र, रामनरेश, सुकई ,राम समझ मौर्य, सूरज देव सहित कई अन्य कार्यकर्ताओं ने संबोधित किया। इस अवसर पर दर्जनों गांवों के कार्यकर्ता मौजूद रहे।