लखनऊ। भाकपा (माले) संभल हिंसा के खिलाफ 30 नवंबर को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन करेगी। पार्टी ने पूरे मामले को संघ-भाजपा की सुनियोजित साजिश बताया है और योगी सरकार को हिंसा का जिम्मेदार ठहराया है।
माले की राज्य इकाई ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि संभल हिंसा सामान्य हिंसा नहीं, बल्कि राज्य प्रायोजित है। पांच निर्दोष मुस्लिम युवाओं की पुलिस ने दिनदहाड़े हत्या की है। दर्जनों प्रदर्शनकारी घायल हैं। ऊपर से प्रदर्शनकारियों को ही जिम्मेदार बताकर प्रशासन कहानियां गढ़ रहा है।
माले ने कहा कि गहरी साजिश रची गई है। सम्भल लोकसभा में ही कुंदरकी विधानसभा है, जहां उपचुनाव के मतदान (20 नवंबर) से ठीक एक दिन पहले मस्जिद का विवाद खड़ा किया गया। याचिका दायर करने के महज कुछ घंटे की सुनवाई के भीतर अदालत से सदियों पुरानी मस्जिद का सर्वे आदेश प्राप्त कर लिया जाता है। तुरत-फुरत प्रशासन की मदद से मतदान की पूर्व संध्या पर सर्वे किया जाता है। उपचुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा की अप्रत्याशित जीत होती है। मतगणना के ठीक अगली सुबह लोगों को बिना विश्वास में लिए दूसरा सर्वे किया जाता है। भारी हिंसा होती है। ये सब महज इत्तेफाक नहीं हो सकता। मुख्यमंत्री की चुप्पी और संसद के जारी सत्र में संभल हिंसा पर बहस से केंद्र सरकार का भागना बहुत कुछ कहता है। मृतकों को न्याय दिलाने और साजिश का भंडाफोड़ करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दखल जरुरी है।
जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन कर पार्टी जिन मांगों को उठाएगी और राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजेगी, उनमें प्रमुख हैं : संभल हिंसा की जिम्मेदार योगी आदित्य नाथ सरकार को दंडित करें। मृतकों को न्याय मिले, पांच निर्दोष मुस्लिम युवाओं की मौत के जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज हो। साम्प्रदायिक हिंसा भड़काने के लिए वादी विष्णु शंकर जैन और भड़काऊ नारे लगाने वाले उकसावेबाजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। मुस्लिमों के खिलाफ दर्ज फर्जी मुकदमे वापस लिये जाएं, गिरफ्तार लोगों की रिहाई हो। अल्पसंख्यकों और उनके उपासना स्थलों को सांप्रदायिक निशाना बनाने पर प्रभावी रोक लगे। संभल के डीएम, एसपी सहित मंडलायुक्त को भी जांच की जद में लाया जाए। मजिस्ट्रेटी जांच दिखावा है, सर्वोच्च न्यायालय इस सुनियोजित हमले को रोकने, जिम्मेदारों को सजा देने और पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का कड़ाई से अनुपालन कराने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करे।