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सामंती वर्चस्व और पुलिस की लापरवाही का परिणाम है शिवधनी निषाद की हत्या : भाकपा माले 

गोरखपुर। भाकपा माले ने गीडा थाना क्षेत्र के अमटौरा गाँव में शिवधनी निषाद की गोली मार कर हत्या की घटना को सामंती वर्चस्व और पुलिस की लापरवाही का परिणाम बताया है। पार्टी ने कहा है कि दो दशक से इस क्षेत्र में दलितों-पिछड़ों पर हमले की घटनाएं हो रही हैं। सामंती वर्चस्व को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है इसलिए उनके खिलाफ प्रशासन और पुलिस कार्रवाई नहीं करती है। भाकपा माले ने शिवधनी निषाद की हत्या के आरोपियों पर रासुका लगाने, उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने, एक करोड़ मुआवजा देने ,मृतक परिजनों के बसने के लिए 10 डिसमिल जमीन, प्रधानमंत्री आवास व  लाइसेंसी असलहा देने तथा गीडा थानाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

भाकपा माले नेताओं ने चार दिसंबर को अमटौरा गांव जाकर शिवधनी निषाद के परिजनों से मिल और न्याय की लड़ाई में साथ देने का भरोसा जताया।

भाकपा माले राज्य स्थाई समिति के सदस्य राजेश साहनी ने कहा कि तीन दिसंबर को दोपहर में गोरखपुर मुख्यालय से 18 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम गीडा थाना क्षेत्र के अमटौरा गांव में सामंती ताकतों ने 55 वर्षीय शिवधनी निषाद की घर में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी और उनकी पत्नी को घायल कर दिया। हमलावरों ने शिवधनी निषाद कि हत्या करने के बाद उनके घर में आग लगा दी।

उन्होंने कहा कि 2006 में इन्हीं लोगों ने शिवधनी का घर जला दिया था। इस घटना की शिवधनी ने केस दर्ज कराया था लेकिन तीन-चार साल बाद इन लोगों ने डरा धमकाकर मुकदमा सुलह कर लिया था। उसके बाद कई बार शिवधनी के साथ मारपीट की गई।

श्री साहनी ने कहा कि पुलिस घटना के दिन से ही परिजनों पर घटना को रफा-दफा करने का दबाव बनाने लगी। अमटौरा, बेलवा डाढ़ी कैली और कटका सामंती वर्चस्व का गांव है। पिछले दो दशक से सामंती ताकतें निषादों, पिछड़ों व दलितों पर हमला करते रहे हैं। वर्ष 2002 में कटका में निषादों के ऊपर सामूहिक तौर पर गोली चलाकर दो लोगों की हत्या एवं दर्जनों को घायल कर दिया गया था। इस घटना में पुलिस ने पाँच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है। घटना के दिन  मुख्यमंत्री भी शहर में मौजूद थे लेकिन मृतक परिजनों और लोगों द्वारा बार-बार मांग करने पर भी मुख्यमंत्री या उनका कोई प्रतिनिधि परिजनों को ढांढस बंधाने नही आया। डीएम ने मोबाइल से मांग मान लेने का आश्वासन दिया और दाह संस्कार करा दिया गया।

भाकपा माले नेताओं ने कहा कि पुलिस प्रशासन में कोई भी कार्यवाही करने की मंशा में नहीं दिख रही है। यह देखते हुए इंडिया गठबंधन के घटक दलों और सामाजिक संगठनों की ओर से पुलिस पर कार्यवाही का दबाव बनाने के लिए आंदोलन की रणनीति बनायी जा रही है।

अमटौरा गांव जाने वाले भाकपा माले नेताओं में बजरंगी लाल निषाद, शिव भोले निषाद, सुभाष पाल एडवोकेट, हरि गोविंद निषाद आदि शामिल थे।

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