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दीपदान महोत्सव आयोजन समिति पावा महोत्सव का आयोजन करेगी

गोरखपुर/कुशीनगर। दीपदान महोत्सव आयोजन समिति कुशीनगर (D-MASK) ने 15 दिसंबर को पावा मल्ल गणराज्य की राजधानी टीला उस्मानपुर (पावा गणराज्य पुरातात्विक स्थल), महावीर जैन परिनिर्वाण स्थल टीला, पुरैना, पुष्करणी पोखरा, घाघी नदी पर स्थित कुकुत्था स्थान (वर्तमान कुलकुला देवी स्थान) आदि पुरातात्विक स्थलों का दौरा किया। कमेटी ने दीपदान, खीरदान जैसे महोत्सव की तर्ज पर पावा महोत्सव मनाने पर सहमति जताई।

बौद्ध विद्वान एवं इतिहासकार डॉ. श्याम सुन्दर सिंह और डॉ. रमाकांत कुशवाहा ने संयुक्त रूप से बताया कि टीला उस्मानपुर ही पावा गणराज्य है।  डॉ. श्यामसुंदर सिंह ने बताया कि इतिहासकारों द्वारा आठ पुरातात्विक बौद्ध स्थलों को पावा गणराज्य के रूप में चिन्हित करने का प्रयास किया है, परन्तु उन स्थलों की तथागत बुद्ध के ऐतिहासिक आख्यानों से संगति नहीं बैठती है। प्राचीन उत्तरापथ पर स्थित टीला उस्मानपुर ही वास्तविक पावा गणराज्य है जिसे पुरातात्विक विभाग ने अवशेष 57 एकड़ जमीन को चारदीवारी से घेर रखा है। उन्होंने बताया कि खुदाई में जमीन से 6 फ़ीट अंदर 14 फ़ीट की प्राचीन इटों से निर्मित सड़क ही उत्तरापथ है, जिस रास्ते से तथागत बुद्ध कुसीनारा में परीनिर्वान पूर्व विभिन्न स्थलों से गुज़रे थे। उन्होंने राजा चुंद के यहाँ सुकरमद्दव की सब्जी खाई थी, जो एक प्रकार की जंगली सुरन/ओल जैसी सब्जी थी, जिससे उनको अतिसार की बीमारी हो गई। अश्वघोष ने अपने ग्रन्थ में सुकरमद्दव का अनुवाद सूअर का मांस कर दिया, और वहीं से यह भ्रान्ति स्थापित हो गई।

डॉ सिंह ने कहा कि बुद्ध ने उसके बाद पावा से उतरापथ पर चलते हुए 6 किमी दूर 52 एकड़ में फैले पुष्करनी तालाब पर स्नान कर प्रवचन दिया और घाघी नदी पर स्थित कुकुत्था स्थान को पार कर मल्लों के कुसीनारा गणराज्य पहुंचें। इस दौरान वे 24 बार अतिसार के शिकार हुए।

दोनों विद्वानों ने आग्रह किया कि जिस प्रकार D-MASK कमेटी कुशीनगर में दीपदान और खीरदान जैसे कार्यक्रम करती है, वैसे ही पावा में पावा महोत्सव जैसे कार्यक्रम आयोजित कर इसे व्यापक फलक पर लाने की दिशा में काम करे। उन्होंने बुद्ध पुरातात्विक स्थलों को विरुपित होने से बचाने के लिये प्रशासनिक स्तर से सहयोग दिलाने में सहयोग माँगा जिस पर कमेटी ने गंभीरता पूर्वक विचार कर पावा महोत्सव कराने पर सहमति दी और अन्य सहयोग का आश्वासन दिया।

दोनों विद्वानों ने बताया कि कुसीनारा से धातु प्राप्त कर पावा गणराज्य के गणराजा ने इसी जगह पर अग्नि संस्कार किया, उनके अग्नि संस्कार में लोगों ने श्रद्धा से अपने-अपने घरों से घी, तेल, लकड़ी लाकर आहुति दी जिसे आज भी पुराने लोग सम्मत कहते हैं। तथागत बुद्ध के उस पवित्र राख को लोग अपने घरों में छिड़कते हैं एवं माथे पर लगाते हैं। बाद में इसे होलिका जैसे मिथकीय चरित्रों से जोड़ दिया गया।

उन्होंने होली के एक दिन पूर्व पावा महोत्सव मनाने पर बल दिया।

इस कार्यक्रम में D-MASK का प्रतिनिधि मंडल एवं अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया, जिसमें D-MASK संरक्षक रामसिंह, अध्यक्ष देवेंद्र प्रताप सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. रवीन्द्र पीएस, महासचिव एसपी सिंह, संगठन मंत्री महेंद्र प्रताप मल्ल, प्रभारी कोषाध्यक्ष मारकंडे सिंह मिंटू, वरिष्ठ सदस्य आदित्य प्रताप सिंह, प्रदेश अध्यक्ष ई. आर. एल. सिंह, देवरिया D-MASK पदाधिकारी व्यास सिंह एवं प्रदुम्न सिंह, समाजसेवी एवं उपाध्यक्ष सैंथवार मल्ल महासभा विश्वजीत सिंह, मनोज कुमार सिंह पप्पू, समाजसेवी एवं भारतीय किसान यूनियन (समाज) के महासचिव अरविन्द सिंह, प्रदेश प्रवक्ता डॉ. राम किशुन सिंह के नाम उल्लेखनीय है।

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