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 आइसा ने निर्भया की याद में निकाला कैंडल मार्च, महिलाओं पर हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई 

प्रयागराज। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने 16 दिसंबर को निर्भया रेप और हत्याकांड कि बरसी पर कैंडल मार्च निकाला और देश में लगातार बढ़ती यौन हिंसा की घटनाओं पर रोक लगाने की मांग की। कैंडल मार्च इलाहाबाद विश्वविद्यालय के महिला छात्रावास गेट से शुरू होकर बालसन चौराहे पर गांधी प्रतिमा के समीप पहुंचकर सभा में बदल गया।

सभा में अपनी बात रखते हुए आइसा की विश्वविद्यालय इकाई की अध्यक्ष साक्षी मिश्रा ने कहा कि निर्भया हत्याकांड के बाद से पूरे देश में यौन हिंसा के खिलाफ एक आंदोलन उठ खड़ा हुआ जिसने तत्कालीन सत्ता को बेदखल कर दिया। उसके बाद आई भाजपा की सरकार में भी यौन हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। शर्मनाक बात तो यह है कि सरकार बलात्कारियों के पक्ष में खड़ी हो जाती है। इसके खिलाफ एकजुट होकर इस मर्दवादी जातिवादी सरकार को सत्ता और समाज से बेदखल करना होगा।

सभा में बात रखते हुए आइसा के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष मनीष कुमार ने कहा कि वर्तमान सरकार मनुस्मृति को लागू कर महिलाओं को घरों में कैद कर देना चाहती है और पुरुषों के वर्चस्व को स्थापित करना चाहती है जिसके खिलाफ हमें लड़कर समतामूलक समाज की अवधारणा को स्थापित करना होगा।

स्नातक की छात्रा मंत्सा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में भी महिलाओं को कैद करके रखा जाता है।शनिवार व रविवार को विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश पर प्रतिबंध रहता है जबकि लड़कों को कहीं भी आने-जाने दिया जाता है जो साफ तौर पर लैंगिक भेदभाव को दर्शाता है। स्नातक के छात्र अभिराम ने कहा कि विश्वविद्यालय के हॉस्टल में लड़कियों को कैद करके रखा जाता है, उन्हें लड़कों के बराबर के अधिकार नहीं दिए जाते जो बेहद ही शर्मनाक बात है।

 स्नातक की छात्र बंदना ने कहा कि वर्तमान व्यवस्था में मर्दवादी सोच हावी हो चुकी है जिसमें महिलाओं के साथ शोषण और अपराध आम बात हो गई है जिसको लेकर हमारी सरकार भी निष्क्रिय दिखाई पड़ती है। स्नातक के छात्र विकास ने कहा कि विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति के माध्यम से लड़कियों को फीस वृद्धि कर शिक्षा से मेडिकल करने की कोशिश की जा रही है। छात्र अमित ने कहा कि पूंजीवाद कभी भी महिलाओं को पुरुषों के बराबर का दर्जा नहीं दे सकता है और ना ही पूंजीवाद की कभी भी महिला बराबरी की कोई मंशा भी रही है इसलिए जरूरी है कि इस पूंजीवादी सामंती समाज को ध्वस्त करना होगा। सभा का संचालन शशांक ने किया।