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जहरीली टाफी खिलाकर चार बच्चों की हत्या के केस में तीन अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा

कुशीनगर। ढाई वर्ष पहले जहरीली टाफी खिलाकर चार बच्चों की हत्या के केस में जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुशील कुमार ने तीन अभियुक्तों को 30 जनवरी को आजीवन कारावास और 25 हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई।

कसया थाना क्षेत्र के कुड़वा दिलीपनगर गाँव में सिसई गुरमिहा टोला में 23 मार्च 2022 की सुबह रसगुल्ला के तीन बच्चे- मंजना (5 वर्ष), स्वीटी (3 वर्ष), समर (2 वर्ष) और उसके भाई के बेटी के पुत्र अरुष (5 वर्ष) जहरीली टाफी खाने से बीमार पड़े और अस्पताल ले जाने के बाद चारों बच्चों की मौत हो गई। जहरीली टाफी रसगुल्ला के घर के अहाते में मिली थी। रसगुल्ला की माँ मुखिया देवी 23 मार्च 2022 की सुबह छह बजे घर के आहाते में झाडू लगा रही थी कि एक पत्री में चार टॉफी व नौ रूपये सिक्के के रूप में मिले। चारों बच्चों ने ने उसकी माँ से टॉफी लेकर खा ली। टाफी खाने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ गई और अस्पताल पहुंचे -पहुंचते सभी की मृत्यु हो गई।

रसगुल्ला के अनुसार घटना के दो दिन पूर्व प्रेम पुत्र जोगिन्दर, बाला पुत्र जोगिन्दर व चाबस पुत्र राजबली ने पुरानी रंजिश को लेकर उसे जान से मारने की धमकी दी थी। इन्हीं लोगों ने टॉफी में जहर मिलाकर उसके घर में रख दिया जिसको खाने से चारों बचों की मृत्यु हो गयी। घटना के कुछ देर पहले तीनों अभियुक्त प्रेम, बाला व चाबस उसके घर के सामने खड़े दिखे थे।

रसगुल्ला के अनुसार उसकी बहन गन्ना देवी की ननद मीरा देवी की शादी अभियुक्त प्रेम के साथ दस वर्ष पहले हुई थी, जिससे कोई बच्चा नहीं हुआ था। प्रेम नशेडी था जिससे परेशान होकर मीरा देवी उसका साथ छोड़कर चली गयी। प्रेम को यह शंका था कि वह और उसके परिजन उसकी औरंत मीरा को चढ़ाकर भगा दिये हैं। इसी बात को लेकर प्रेम उससे तथा उसके घरवालों से दुश्मनी रखता था। प्रेम इस घटना से पहले कई बार परिवार खत्म करने की धमकी दिया था लेकिन हम लोगों ने ध्यान नहीं दिया था। प्रेम प्रसाद ने ही अपने भाई बाला व चाबस के साथ मिलकर साजिश के तहत बच्चों को जहर देकर हत्या कर दिया।

जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुशील कुमार की अदालत में जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि दोषसिद्धों के द्वारा मासूम बच्चों को जहर देकर नृशंस हत्या कारित की गयी है। अतः अभियोग की गम्भीरता को दृष्टिगत रखते हुए दोषसिद्धों को अधिकतम दण्ड से दण्डित किया जाय।

दोषसिद्धों व उनके अधिवक्ता द्वारा यह कथन किया गया है कि दोषसिद्ध घर का अकेला कमाने वाला व्यक्ति हैं एवं कम से कम सजा से दण्डित किये जाने की याचना की गयी।

अदालत ने दोषसिद्ध प्रेम प्रसाद, बाला प्रसाद व चाबस, को भारतीय दण्ड संहिता की धारा-302/34 के अन्तर्गत आजीवन कारावास व बीस हजार रूपये का अर्थदण्ड, धारा-328/34 के अन्तर्गत दस वर्ष का कठोर कारावास एवं पाँच हजार रूपये का अर्थदण्ड और धारा 506 के अन्तर्गत एक वर्ष के कारावास की सजा सुनाई।

अर्थदण्ड अदा न करने की स्थिति में तीन माह के कठोर कारवास की अतिरिक्त सजा भुगतानी होगी। सभी सजायें साथ-साथ चलेंगीं।

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