लोकरंग

जोगिया जनूबी पट्टी स्वागत के लिए तैयार ,आज रात होगा लोकरंग का आग़ाज़

कुशीनगर। लोक संस्कृति के जन पक्षधर सशक्त रूप के सामने लाने के उद्देश्य से वर्ष 2008 से जोगिया जनूबी पट्टी गाँव में शुरू हुआ लोकरंग का 18 वां आयोजन आज शुरू हो रहा है। आज रात 8.30 बजे लोकरंग की स्मारिका के लोकार्पण और मुख्य अतिथि जाने माने वैज्ञानिक एवं शायर गौहर रजा के वक्तव्य से दो दिवसीय समारोह आग़ाज़ होगा।

कुशीनगर के दर्शकों को इस बार भोजपुरी इलाके के लोक गीत , लोक नृत्य के साथ -साथ उत्तराखंड का गढ़वाल व कुमाऊंनी  और असम के कार्बी-आंगलोंग आदिवासी समुदाय का लोक नृत्य तथा मध्य प्रदेश का गुडुम्ब बाजा नृत्य देखने को मिलेगा। विश्वप्रसिद्ध कबीर गायक, पद्मश्री प्रहलाद सिंह टिपानिया, का मालवा शैली में कबीर गायन भी सुनने को मिलेगा।

लोकरंग में शामिल होने के लिए कलाकारों के दल जोगिया जनूबी पट्टी में पहुँचने लगे हैं। कलाकारों का ग्रामवासी माला पहनाकर और टीका लगाकर स्वागत कर रहे हैं।

गुरुवार को हुई बारिश से आयोजन स्थल और गाँव में भित्ति चित्र बनाने , पोस्टर लगाने सहित तमाम तैयारियों में बाधा आयी लेकिन उत्साही युवकों ने आधी रात तक काम कर पूरे गाँव को मनमोहक रूप दे दिया। कहीं कविता पोस्टर लगे हैं तो दीवारों मार उकेरे गए चित्र महिलाओं की बढ़ती अग्रणी भूमिका को दर्शा रहे हैं। गाँव के प्रवेश द्वार से आयोजन स्थल तक लगाई गई रंग-बिरंगी झंडियों ने सतरंगी छटा बिखेर रही हैं।

गाजीपुर की मशहूर चित्रकला समूह संभावना कला मंच से जुड़े चित्रकार सुधीर सिंह , राजकुमार गुप्ता की अगुवाई में 10 अप्रैल को ही गाँव पहुँच गए । उन्होंने गाँव के बखारों , मिट्टी की दीवारों पर भित्ति चित्र, पेंटिंग, इंस्टॉलेशन एवं मंच सज्जा के माध्यम से आज के जनमानस की मनोदशा, नस्लवाद, जातिवाद, रंगभेद, महिला उत्पीड़न आदि मुद्दों को  उकेरा है ।

संभावना कला मंच की टीम में सुधीर सिंह एवं राजीव कुमार गुप्ता के साथ बृजेश, शिवांशी शर्मा, प्रिया मोर्य, रीति सिंह, शालिनी, सोनाली, आदित्य भारद्वाज, रवि प्रकाश सिंह और आंचल शामिल है l

आज का कार्यक्रम 
लोकरंग 2025 का उद्घाटन देश के जाने-माने वैज्ञानिक और शायर गौहर रजा करेंगे। कार्यक्रम 11 अप्रैल की रात्रि 8ः30 बजे से शुरु होगा। गांव की महिलाएं गारी गायन से सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत करेंगी। आरा ( बिहार ) के राजू रंजन अपने जनगीतों के साथ उपस्थित होंगे तो नैनीताल, उत्तराखण्ड से ‘नई दिशाएं समिति’ के लोक कलाकार गढ़वाली लोकनृत्यों की प्रस्तुतियां देंगे। विश्व के सुप्रसिद्ध कबीर गायक, पद्मश्री प्रहलाद सिंह टिपानिया, मालवा शैली में कबीर गायन करेंगे। असम के कार्बी-आंगलोंग आदिवासियों द्वारा ‘रितनांग चिंगड़ी डांस’ प्रस्तुत किया जायेगा। ईप्टा पटना की टीम पहली रात असगर वजाहत लिखित नाटक ‘ वीरगति ‘ का मंचन करेगी। इसके निर्देशक तनवीर अख्तर होंगे।

गोष्ठी 

लोकरंग के दूसरे दिन, 12 अप्रैल को सुबह 11 बजे से  ‘ लोकसंस्कृति, मिथक और विज्ञान ’ विषय पर विचार गोष्ठी होगी जिसमें देश के प्रमुख साहित्यकार-लेखज-संस्कृतिकर्मी  भाग लेंगे जिसमें जाने माने कवि प्रो. दिनेश कुशवाह, कोलकाता से डाॅ. आशा सिंह, इलाहाबाद से डाॅ. अर्पिता चौधरी, फैजाबाद से प्रो. अनिल सिंह, बनारस से डाॅ. रवि शंकर, डाॅ. महेन्द्र प्रसाद कुशवाहा, अरुणाचल प्रदेश से डाॅ. मोतीलाल, और लखनऊ से बी.आर विप्लवी आदि प्रमुख हैं।

12 अप्रैल की रात में होगा निमसो केरुंग डांस

दूसरी रात का सांस्कृतिक कार्यक्रम में बिहार की लोक शैली पुरबी, निर्गुण और बिदेशिया की प्रस्तुति आरा के राजू रंजन करेंगे। कुशीनगर की फरुवाही की प्रस्तुति रामवृक्ष कुशवाहा की टीम करेगी तो गौरी बाजार की सद्गुरु कबीर भजन मंडली द्वारा निर्गुन गायन की प्रस्तुति होगी।

असम की कर्बी आंगलोंग आदिवासी ग्रुप द्वारा निमसो केरुंग डांस प्रस्तुत किया जायेगा। जबलपुर के ‘आदिवासी गोंड एवं धूलिया जनजाति लोकनृत्य ग्रुप’ द्वारा गुडुम्ब बाजा नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा। नैनीताल की टीम, ‘नई दिशाएं समिति’ दूसरी रात्रि में कुमाऊंनी लोक नृत्य प्रस्तुत करेगी। मुम्बई से आ रही टीम-‘कहानीबाज थिएटर सोसाइटी’ द्वारा ‘उजबक राजा तीन डकैत’ नाटक प्रस्तुत किया जायेगा, जिसके लेखक अलखनन्दन और निर्देशक मोहन सागर हैं।

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