-चिंगी शहीद तुर्कमानपुर में जश्न-ए-गौसुलवरा
-मतदान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने की अपील
गोरखपुर, 24 जनवरी। इस्लाम एक मात्र ऐसा धर्म हैं जिसमें औरतों को हक दिया गया। अमीरों के माल में गरीबों को हक दिया गया। पड़ोसी का हक दिया गया । इस्लाम ने मानवता के हर एक कर्तव्य का एक बेहतरीन नजरिया दिया है। इस्लाम तरक्की पसंद मजहब है। नबी-ए-पाक उनके सहाबा व औलिया अल्लाह हमारे आदर्श है।
यह बातें बतौर मुख्य अतिथि अल जामियतुल अशरफिया अरबी यूनिवर्सिटी मुबारकपुर के मौलाना मसऊद अहमद ने कही। मौका था मंगलवार को तुर्कमानपुर के चिंगी शहीद निकट पोस्ट आफिस पर अली अहमद राईन की सरपरस्ती में जश्न-ए-गौसुलवरा व इस्लाहे माअशरा कांफ्रेंस का।
उन्होंने कहा कि औलिया अल्लाह का फैज सभी पर है। औलिया की जिदंगी हमारे लिए नमूना है। उस पर अम्ल करके अल्लाह और नबी-ए-पाक की नजदीकी हासिल की जा सकती है। हजरत गौसे पाक ने इस्लाम को फैलाया। पूरी जिदंगी, नबी की पाकीजा सुन्नतों पर अम्ल कर कुर्बें इलाही हासिल किया। उनका पैगाम सभी के लिए है। दिल को अल्लाह के जिक्र से खाली नहीं रखना चाहिए। बगैर इल्म यानी इल्में दीन के विलायत नामुमकिन है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में ऐसा कहीं भी नहीं कहा गया की सिर्फ मुस्लिमों की मदद करो , ये इंसानियत के लिए है। इस्लाम में हर इंसान की मदद करने की गुज़ारिश है।
उन्होंने मुस्लिम समाज से मतदान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने की अपील की। कहा कि वोट डालना आपका हक हैं। ऐसा नुमाइंदा चुनिए जो आपके समाज व मुल्क के बेहतरी के लिए कार्य कर सकें। खुद भी मतदान कीजिए घर वालों व पास-पड़ोस में भी जागरुकता लाईये। आप का वोट कीमती हैं इसकी कद्र कीजिए।
अध्यक्षता करते हुए सिराहौज सन्डीला शरीफ के सज्जादानशीन पीरे तरीकत सैयद मुहम्मद लईक ने कहा कि नबी-ए-पाक की शिक्षा है कि मजदूरों का पसीना सूखने से पहले उनकी मजदूरी दे दो । अगर कोई भर पेट खाना खा के सो गया और उसके पड़ोस में कोई भूखा सोया तो बेशक सजा का हक़दार है और महशर के मैदान में उससे पूछा जायेगा । अगर कोई मरीज़ है उसकी मदद करो, बूढ़े की मदद करो , गरीबों की मदद करो , मजदूरों के कामो में हाथ बटाओ। सबके ख़ुशी व गम में शामिल होना चाहिए । किसी के ऊपर जुल्म होता देख आप खामोश नहीं रह सकते। कार्यक्रम की शुरूआत तिलावत कुरआन पाक से हुई। नात शरीफ मुमताज टांडवी ने पढ़ी – ” नाना बुलंद है नवासा बुलंद हैं। “
रईस अनवर ने नात पढ़ी
माहो खुर्शीद ने भी जिससे ज्य़ा पायी है ।
या नबी आप के जलवों की रानाई है।।
एक भी फूल ना था दस्ते खिज्रा से महफूज।
उनकी आमाद से गुलस्तिां में बहार आयी है।
अमीर हम्जा ने पढ़ा-
मेरी जिदंगी मेरी आबरू ये अता-ए-रसूल है
जहां जिक्र तेरा हो या नबी वहां रहमतों का नुजूल है।
संचालन मौलाना मकसूद आलम ने किया। कार्यक्रम समाप्ति पर सलातो सलाम पढ़ मुल्क व दुनिया में अमनों सलामती की दुआं मांगी गयी। म्यांमार, फलीस्तीन व सीरिया के मुसलमानों के लिए खास दुआ की गयी। इस मौके पर इंजीनियर सेराज अहमद, एडवोकेट मेराज अहमद, शहनवाज अहमद, मोहम्मद वसीम, अली अहमद, मकबूल अहमद, मुबारक अली, मौलाना मकबूल, मौलाना अयाज अहमद, मोहम्मद सैफ , फिरोज अहमद राईन, मोहम्मद अहमद कादरी, कारी हिदायतुल्लाह, दिलदार खान, मनोज, मनौव्वर अहमद, हाफिज हुसैन आलम, हाफिज नूर आलम, अतहर, हाफिज कलाम, मौलाना असलम, नवेद आलम, नूर मोहम्मद, तनवीर अहमद, आतिफ, रफीउल्लाह, वलीउल्लाह, इबरार अहमद, मौलाना शम्सुज्जमा, तसलीम अहमद, शब्बीर, इरशाद अहमद, सलमान, मोहम्मद कैफ, जुबैर अहमद, नुरूल होदा, मोहम्मद कमर, शाह फैसल सहित तमाम लोग मौजूद रहे।