गोरखपुर, 7 फरवरी। गोरखपुर विश्वविद्यालय के एससी, एसटी व ओबीसी वर्ग के शिक्षक व कर्मचारियों ने आज बैठक कर विश्वविद्यालय में आरक्षित वर्ग के शिक्षकों-कर्मचारियों की समस्याओं पर विचार किया। बैठक में इतिहास विभाग के अध्यक्ष की नियुक्ति के सम्बन्ध में कुलपति द्वारा वरिष्ठता पर निर्णय देते हुए की गई टिप्पणी नाराजगी जाहिर करते हुए तीव्र प्रतिवाद किया गया। इस टिप्पणी में कुलपति अशोक कुमार ने लिखा है कि यदि एक ही चयन समिति एससी, एसटी व ओबीसी एवं सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति करती है और नियुक्त अभ्यर्थी एक ही दिन कार्यभार ग्रहण करते हैं तो इन अभ्यर्थियों में सामन्य वर्ग का अभ्यर्थी हमेशा ओबीसी एससी एसटी वर्ग के अभ्यर्थियों से वरिष्ठ होंगे।
बैठक में कहा गया कि इस टिप्पणी को आधार बनाकर कुलपति ने इतिहास विभाग में वरिष्ठता क्रम का उल्लंघन कर नियुक्ति की। कुलपति ने जिस आधार पर निर्णय लिया उसका विश्वविद्यालय के नियम व परिनियम में कोई प्रावधान नहीं है और यह संविधान की समानता की भावना के भी विरूद्ध है। इसलिए विश्वविद्यालय के आरक्षित वर्ग के शिक्षक व कर्मचारी इसका एकमत से विरोध करते हैं और इसे निरस्त करने की मांग करते हैं।
गोरखपुर न्यूज़ लाइन ने इस प्रकरण पर विस्तार से खबर प्रकाशित की थी। इस खबर को यहाँ पढ़ा जा सकता है।
बैठक में निर्णय लिया गया कि कुलपति की इस टिप्पणी व निर्णय के विरूद्ध 8 फरवरी को शाम चार बजे उनसे मिलकर विरोध पत्र दिया जाए।
बैठक में हाल में गठित पिछड़ा वर्ग कल्याण परिषद के अध्यक्ष प्रो आरबी पटेल और दीदउ अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण संघ के अध्यक्ष प्रो गोपाल प्रसाद के अलावा प्रो कमलेश गुप्ता, प्रो अनिल यादव, प्रो चन्द्रभूषण, प्रो उदय सिंह, डा. आलोक गोयल, डा. अहमद नसीम, मुस्तफा अंसारी आदि उपस्थित थे।