जेल में बंद अमन मणि के लिए दोनों बहनें चुनावी मोर्चे पर
जवाब में अमन मणि की सास सारा सिंह का इमोशनल विडियो
मनोज कुमार सिंह / सैयद फरहान अहमद
नौतनवा (महाराजगंज), 12 फरवरी। नौतनवा -कोल्हुई के बीच चंडी थान से बरवां कला गांव जाने के लिए मानव रहित रेल क्रांसिंग पार करनी पड़ती है। गांव पहुंचते ही लोग बताते हैं कि लखन यादव के घर मीटिंग चल रही है। वहां पहुंचने पर लखन यादव के घर के सामने करीब 100 जुटे हैं। सामने तनुश्री त्रिपाठी और उनके चचेरे भाई अनय मणि बैठे हैं। एक नौजवान ग्रामीणों से कहता है कि आपसे मंत्री जी (अमर मणि त्रिपाठी) की बेटी तनुश्री बात करेंगी।
तनु श्री घर के अंदर बैठी महिलाओं को बाहर आाने के लिए कहती हैं। कुछ महिलाएं बाहर आती हैं। इसके बाद अपना बोलना शुरू करती हैं- ‘ हम आप लोगों के बीच इसलिए आए हैं क्योंकि हमारा भाई अमनमणि इस समय आ नहीं सकता। आप लोग अच्छे से जानते हैं कि हमारा परिवार आज से नहीं बीसों सालों से राजनितिक षड़यंत्र का शिकार रहा हैं। यह पहली बार नहीं हैं जब हमारे परिवार से किसी को फंसाया जा रहा हैं। आज हमारा परिवार एक बहुत ही मुश्किल दौर से गुजर रहा हैं। पांच लोगों के परिवार में से 3 लोग जेल में हैं। अमन मणि को एक झूठे केस में जेल में रखा गया हैं। इस तरह हमें मजबूर किया गया हैं जहां हम अपने घर में रहते पढ़ाई लिखाई करते आज हमें आकर यह काम करना पड़ रहा है। आज हमारे परिवार पर संकट हैं। हमारे पिता जी जिस तरह आप लोगों के संकट में खड़े हुए आज आप हमारे साथ खड़े हो जाइये। हमें आशीर्वाद दीजिए ताकि हमारा भाई जेल से बाहर आ सके। हम अपने माता-पिता के बीच घर लौट सकेंगे। ’
तनुश्री के भाषण के बाद सभी लोग आशीर्वाद देने के लिए दोनों हाथ उपर उठाते हैं। इसके बाद बैठक खत्म हो जाती है और फाच्र्यूनर सवार होकर अनय मणि और तनुश्री दूसरे गांव निकल जाते हैं।
कवयित्री मधुमिता की हत्या में आजीवन कारावास की सजा काट रहे अमरमणि त्रिपाठी का परिवार अपने सियासी जिंदगी के सबसे कठिन दौर में हैं। वह अपनी पत्नी मधु मणि के साथ जेल में तो हैं ही राजनीतिक विरासत को आगे आया बेटा अमनमणि भी पत्नी की हत्या के आरोप में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार होकर जेल पहुंच गया है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि अमन मणि को किसी भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया।
ऐसे संकट में अमरमणि त्रिपाठी की दोनों बेटियां तनुश्री और अलंकृता मोर्चे पर आ डटी हैं। दोनों नौतनवां विधानसभा में धुआंधार प्रचार से अपने परिवार के पक्ष में सहानूभूति का ज्वार खड़ा करने की कोशिश कर रही हैं और विपक्षियों के पास इसकी काट करने का कोई उपाय नहीं दिख रहा है।
तनुश्री और अलंकृता की मदद के लिए उनके दो चचेरे भाई अनय मणि त्रिपाठी और अनंत मणि त्रिपाठी भी आगे आए है। अनय मणि त्रिपाठी, अमरमणि त्रिपाठी के बड़े भाई राजन मणि के बेटे हैं तो अनंत मणि उनके छोटे भाई अजीत मणि त्रिपाठी के बेटे हैं। ये सभी की आयु 30 वर्ष के अंदर है। 27 वर्षीय तनुश्री ने लंदन यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशन्स में एमए किया है तो 24 वर्षीय अलंकृता ने दिल्ली से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया है। 28 वर्षीय अनय मणि इंजीनियर हैं तो 24 वर्षीय अनंत एलएलबी, एलएलएम हैं।
दोनों बहनों ने जनवरी के मध्य से ही नौतनवां आकर चुनाव प्रचार शुरू कर दिया। दोनों बहनों और भाइयों ने दो टीम बना ली है। एक टीम तनुश्री और अनय मणि की है तो दूसरी अलंकृता व अनंत की। दोनों टीमांे के साथ अमरमणि त्रिपाठी के विश्वस्त लोगों का जत्था होता है। दोनों टीमें सुबह नौ बजे दो अलग दिशाओं में प्रचार के लिए निकल जाती हैं और रात दस बजे तक लौटती हैं। तनुश्री लक्ष्मीपुर ब्लाक क्षेत्र जाती हैं तो अलंकृता रतनपुर ब्लाक क्षेत्र में। पूरे दिन गांव-गांव जाकर जन सम्पर्क व छोटी मीटिंग होती है। इस दौरान तीन से चार नुक्कड़ सभाएं होती हैं। सभाओं में तनुश्री-अलंकृता कमोवेश एक ही बात बोलती हैं। अपने पिता के विकास कार्यों का बखान और अपने पूरे परिवार को राजनीतिक षडयंत्र के तहत फंसाए जाने की दास्तान। वे तयशुदा स्क्रिप्ट से एक लाइन दूसरा नहीं बोलती हैं।
चुनाव मैनेजमेंट का जिम्मा संभाल रहे अमरमणि की करीबी रंगीलाल बताते हैं कि दोनों बहनों ने पूरे क्षेत्र का भ्रमण कर लिया है। ऐसा कोई प्रमुख चैराहा नहीं है जहां उनकी नुक्कड़ सभाएं न हो चुकी हों। नामांकन के बाद बड़ी सभाएं शुरू होंगी।
अमनमणि को नामांकन के लिए हाईकोर्ट से अनुमति मिल गई है। वह 13 फरवरी को नामांकन करेंगे। उनकी जमानत पर हाईकोर्ट में सुनवाई 27 फरवरी को होगी। ऐसे में वह जेल से ही चुनाव लड़ेंगे और तनुश्री-अलंकृता उनके प्रचार की कमान संभालेंगी।
बसपा ने यहां से एजाज खान को प्रत्याशी बनाया है तो भाजपा ने समीर त्रिपाठी को लेकिन सभी जानते हैं कि नौतनवां विधानसभा में पार्टियां महत्वपूर्ण नहीं होती। यहां मुकाबला दो परिवारों में ही होता रहा है। ऐसा ढाई दशक से हो रहा है। एक तरफ पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनका परिवार होता है तो दूसरी तरफ पूर्व सांसद अखिलेश सिंह और उनका परिवार। अमरमणि 1989 से अब तक चार बार तो अखिलेश सिंह दो बार यहां से विधायक रह चुके हैं। इस समय उनके भाई कौशल सिंह उर्फ मुन्ना सिंह विधायक हैं। अखिलेश सिंह अब महाराजगंज संसदीय क्षेत्र की राजनीति करते हैं और वे एक बार सांसद भी रह चुके हैं। अखिलेश सिंह ने जनता पार्टी से राजनीतिक कैरियर शुरू किया और इसके बाद से समाजवादी पार्टी में ही रहे जबकि अमरमणि लगातार दल बदलते रहे हैं। भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी से राजनीति की शुरूआत करते हुए वह कांग्रेस, बसपा, सपा में रह चुके हैं। उन्होंने पहला चुनाव 1980 में लड़ा। नौ वर्ष बाद 1989 में वह पहली बार विधायक बने। इसके बाद के दो चुनाव 1991 व 1993 वह अखिलेश सिंह से हारे। फिर उन्होेने 1996 के बाद से तीन चुनाव लगातार जीते। उनके बेटे अमन मणि 2012 का चुनाव सपा से लड़े लेकिन हार गए। हत्या के आरोप में गिरफ्तार होने के बावजूद शिवपाल यादव ने इस बार अमनमणि को सपा का उम्मीदवार बनाया था लेकिन अखिलेश यादव ने उनका टिकट काट दिया और मुन्ना सिंह को दे दिया।
अमरमणि के दोनों बेटियों के प्रचार में आने के बाद से सभी दल उन्हें घेरने की कोशिश में लग गए है। विपक्षी दलों की ओर से सबसे बड़ा प्रहार अमन मणि त्रिपाठी की सास सीमा सिंह की वीडियो अपील को सोशल मीडिया में वायरल कर किया गया है। सीमा सिंह का एक वीडियो जारी हुआ है जिसमें वह नौतनवां के लोगों से अमनमणि को वोट न देने की अपील करते हुए कहती हैं कि अमनमणि ने उनके बेटी की हत्या की है।
यह स्थिति ठीक 2007 के चुनाव की तरह है। उस वक्त अमर मणि त्रिपाठी मधुमिता हत्याकांड में जेल में थे और जेल में रहते चुनाव लड़ रहे थे। मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने खुद नौतनवां आकर कई सभाएं की और लोगों से अमरमणि त्रिपाठी को वोट न देने की अपील की फिर भी अमरमणि चुनाव जीत गए। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि निधि की सभाओं ने उल्टा असर कर दिया।
एक दशक बाद नौतनवा में राजनीतिक हालात उसी तरह बन गए हैं। अब अमरमणि की तरह उनका बेटा अमनमणि चुनाव लड़ रहा है और उनकी दोनांे बहनें चुनाव का मोर्चा संभाले हए हैं। विरोधी सारा सिंह की मां की भावनात्मक अपील का वीडियो जारी कर रहे हैं और घर की लड़कियों को चुनाव मैदान में लाने पर तंज कस रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि इतिहास फिर से अपने को दोहराएगा कि बदल जाएगा लेकिन एक बात तो तय है कि तनु-अलंकृता ने चुनौती खड़ी कर दी है। अमरमणि-अमनमणि के समर्थक दोनों के प्रचार अभियान से आश्वस्त हैं कि जीत उनकी झोली में आ रही है। अमरमणि-अमनमणि के समर्थक तनुश्री में नेता बनने की पूरी संभावना देख रहे हैं। अमरमणि के एक कट्टर समर्थक कहते हैं कि ‘ तनु बहिनी को टिकट देने के लिए हर पार्टी तैयार थी। वह लड़ती तो जीत में कोई संदेह ही नहीं रहता लेकिन उनकी राजनीति में दिलचस्पी नहीं है। वह अपने भाई के लिए जनता के बीच में आई हैं।
एक तरह से नौतनवा में एक बार फिर सेइमोशन, संस्पेंस, थ्रिल और ड्रामा दिख रहा है, ठीक 10 वर्ष बाद 2007 की तरह। बस कहानी में कुछ नए पात्र शामिल हो गए हैं।