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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रो कमलेश गुप्त के निलम्बन पर रोक लगायी

गोरखपुर। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश गुप्त के निलम्बन और आरोप के आधार पर जारी जांच पर रोक लगा दी है। साथ ही उन्हें प्रोफेसर के रूप में कार्य करने देने और नियमित वेतन भुगतान का भी आदेश दिया है।
ठलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश अजित कुमार ने प्रो कमलेश गुप्त की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने करने को कहा है।
प्रो कमलेश गुप्त ने अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि उन्हें 20 दिसम्बर 2021 को निलम्बित किया गया लेकिन न तो उन्हें आरोप पत्र दिया गया और न चार सप्ताह के अंदर आरोपों की जांच के लिए जांच समिति का गठन किया गया। विश्वविद्यालय के स्टैच्यूट के अनुसार यदि चार सप्ताह के अंदर आरोप पत्र देकर जांच समिति का गठन नहीं किया जाता है तो निलम्बन स्वतः समाप्त हो जाता है। आठ फरवरी 2022 को उनका निलम्बन वापस ले लिया गया लेकिन तीन अक्टूबर 2022 को फिर निलम्बित कर दिया गया। कुलपति उन्हें निलम्बित नही ंकर सकते थे क्योंकि उनके खिलाफ कोई जांच प्रचलित नहीं थी। इस बार भी उन्हें आरोप पत्र नहीं दिया गया और चार सप्ताह के अंदर जांच समिति गठित की गईं। उन्हें पांच महीने बाद 22 मार्च 2023 को आरोप पत्र दिया गया।
विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने काउंटर एफीडेबिट दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का वक्त मांगा।
न्यायाधीश अजित कुमार ने कमलेश गुप्त के तीन अक्टूबर 2022 के निलम्बन आदेश और 22 मार्च 2023 के आरोप पत्र पर जांच की कार्यवाही पर रोक लगा दी। उन्होंने प्रो कमलेश गुप्त को प्रोफेसर के रूप में कार्य करने देने और उनका वेतन नियमित रूप से जारी करने का आदेश दिया। आदेश में यह भी कहा गया है कि विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद चाहेे तो नये सिरे से अनुशासनात्मक समिति गठित कर जांच शुरू कर सकती है।

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