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कुष्ठ और कालाजार रोगियों को खोजें और समय से कराएं इलाज-सीएमओ

गोरखपुर। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीकांत तिवारी ने कहा है कि समुदाय के बीच आशा कार्यकर्ता की मदद से कुष्ठ और कालाजार के रोगियों को ढूंढ कर समय से इलाज उपलब्ध करवाया जाए। समय से बीमारी की पहचान और अति शीघ्र इलाज की मदद से इन दोनों बीमारियों का उन्मूलन किया जा सकता है।

यह बातें उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सहयोग से जिले के प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों के संवेदीकरण बैठक में कहीं। दो अलग-अलग बैच में कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए जिले के सभी स्वास्थ्य इकाईयों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों ने इन बीमारियों के बारे में तकनीकी जानकारी प्राप्त की। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि यह बात समुदाय के बीच जानी चाहिए कि कुष्ठ और कालाजार का निःशुल्क इलाज उपलब्ध है, इसलिए लक्षण दिखने पर लोग बीमारी की जांच अवश्य करवाएं। उन्होंने बताया कि सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर), पाथ, पीसीआई और जीएचएस जैसी स्वयंसेवी संस्थाएं भी इन बीमारियों की रोकथाम में मदद कर रही हैं।

डब्ल्यूएचओ के नेगलेक्टेड डिजीज प्रोग्राम (एनटीडी) के जोनल कोआर्डिनेटर डॉ. सागर ने चिकित्सा अधिकारियों को कालाजार बीमारी के सभी तकनीकी पक्षों के बारे में विस्तार से जानकारी दी, जबकि अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. गणेश यादव ने कुष्ठ रोग की पहचान और इसके इलाज के तौर-तरीकों के बारे में बताया। इस अवसर पर एक पोस्टर का विमोचन भी किया गया जिसके जरिये ‘‘फोकस कालाजार, ट्रीट कालाजार और बीट कालाजार’’ का नारा दिया गया है। साथ ही संकल्प लिया गया कि सभी लोग कालाजार उन्मूलन अभियान को समर्थन देंगे। इस अवसर पर एसीएमओ डॉ. नंद कुमार, डॉ. अरूण चौधरी, डीपीएम पंकज आनंद, जेई-एईएस कंसल्टेंट डॉ. सिद्धेश्वरी सिंह, जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ. भोला गुप्ता, आरिफ और मधई सिंह प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।

संवेदनशील मंडल है गोरखपुर

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि कालाजार के दृष्टि से गोरखपुर मंडल संवेदनशील है, हांलाकि गोरखपुर जिले में इस वर्ष सिर्फ एक केस सामने आया है। पूरे मंडल में कुल 36 केस हैं, जिनमें सबसे ज्यादा देवरिया और कुशीनगर जिले के हैं। चूंकि इन जिलों से प्रवास भी गोरखपुर में होता है, इसलिए जनपद में भी अतिरिक्त सतर्कता की आवश्यकता है। इसी प्रकार कुष्ठ रोग के प्रति अगर सतर्कता बरती जाए तो महज छह माह से 12 माह की दवा के बाद यह बीमारी ठीक हो सकती है।

उन्होंने बताया कि कालाजार बालू मक्खी से फैलने वाली बीमारी है। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पाई जाती है। यह तीन से छह फीट ऊंचाई तक ही उड़ पाती है। इसके काटने के बाद मरीज बीमार हो जाता है। उसे बुखार होता है और रुक-रुक कर बुखार चढ़ता-उतरता है। लक्षण दिखने पर मरीज को चिकित्सक को दिखाना चाहिए। इस बीमारी में मरीज का पेट फूल जाता है। भूख कम लगती है। शरीर पर काला चकत्ता पड़ जाता है।

कुष्ठ रोग के लक्षण

• शरीर के हिस्से में कहीं भी लाल चकत्ता

• लाल चकत्ता सुन्न होना चाहिए

• चकत्ते के पास की नस में सूजन या दर्द

• पांच से कम चकत्ता या एक नस में सूजन का केस पीबी कुष्ठ रोग है

• पांच या उससे अधिक चकत्ता या एक से अधिक नस में सूजन का केस एमबी कुष्ठ रोग है

कुष्ठ के प्रति भ्रांतियां

• यह छूने से फैलता है। जबकि सच है कि जब कटे हाथ के साथ कुष्ठ रोगी के सम्पर्क में आते हैं तो संक्रमण होता है।

• कुष्ठ का संक्रमण मरीज के थूकने से भी हो सकता है जबकि सच है कि मरीज के बेहद करीब सम्पर्क में रहने पर उसके मुंह या नाक से निकली हवा से इसका प्रसार होता है।

• कुष्ठ रोगी को घर में नहीं रखना चाहिए जबकि कानूनन कुष्ठ रोग के आधार पर तलाक लेने या देने तक की भी मनाही है।

• कुष्ठ का इलाज नहीं है जबकि सच यह है कि अगर बीमारी के शुरूआती दौर में इलाज शुरू हो जाए तो इसके बैक्टेरिया का प्रसार रुक जाता है। इसके दो लाभ होते हैं। एक तो दूसरा व्यक्ति इसके संक्रमण में नहीं आता है जबकि पीड़ित व्यक्ति दिव्यांगता से बच जाता है।