इंसेफेलाइटिस की रोकथाम के लिए ईटीसी के 125 चिकित्साकर्मियो को ट्रेनिंग दी गयी

गोरखपुर. कोविड-19 संक्रमण के बीच इंसेफेलाइटिस की रोकथाम के लिए भी स्वास्थ्य महकमे ने तैयारी शुरू कर दी है. दो अलग-अलग बैच में अरली ट्रीटमेंट सेंटर (ईटीसी) पर तैनात करीब सवा सौ चिकित्सक और स्टॉफ वर्चुअली प्रशिक्षित किये जा चुके हैं।

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. श्रीकांत तिवारी का कहना है कि मानसून के साथ ही दस्तक देने वाली बीमारी इंसेफेलाइटिस की रोकथाम के लिए सबसे निकटतम सुविधा ईटीसी को सुदृढ़ करने की पहल हुई है। प्रशिक्षण में खासतौर से संदेश दिया गया है कि अगर ईटीसी पर आने वाले मरीजों में लक्षण दिखते हैं तो उनकी कोविड-19 जांच भी आवश्यक तौर पर करायी जाएगी । स्वयंसेवी संस्था पाथ के सहयोग से उत्तर प्रदेश सरकार ने यह प्रशिक्षण करवाया है।

प्रशिक्षण में प्रतिभाग करने वाले सीएमओ ने बताया कि स्वास्थ्य सचिव वी. हेकाली झिमोमी और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने सभी प्रशिक्षुओं को संबोधित किया और कोविड-19 के दिशा-निर्देशों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

वेक्टर बोर्न डिजीज प्रोग्राम की डायरेक्टर डॉ. मिथिलेश चतुर्वेदी, आईडीएसपी सेल के ज्वाइंट डॉयरेक्टर डॉ. विकासेंदु अग्रवाल, केजीएमयू से डॉ. रश्मि कुमार और पाथ संस्था से डॉ. अर्पित पाठक व डॉ. सचिन गुप्ते ने कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए बुखार के रोगियों की देखभाल व इंसेफेलाइटिस की स्क्रीनिंग के बारे में विस्तार से जानकारी दी। खास बात यह रही कि सभी प्रशिक्षुओं ने ईटीसी में मौजूद रह कर प्रैक्टिकल वर्चुअल प्रशिक्षण हासिल किया जिसमें पाथ संस्था के स्थानीय प्रतिनिधि राहुल ने सहयोग किया।

गोरखपुर जिले में 23 ईटीसी 

सीएमओ ने बताया कि जनपद में कुल 23 ईटीसी सक्रिय हैं जहां इंसेफेलाइटिस के इलाज की सुविधा उपलब्ध है। इन केंद्रों पर 24 घंटे प्रशिक्षित चिकित्सक व स्टॉफ की तैनाती रहती है। वर्ष 2019 में ईटीसी पर बुखार के 147 रोगी भर्ती हुए जिसमें से मात्र 22 मरीजों को मेडिकल कालेज रेफर करना पड़ा। कुल 125 मरीज ईटीसी से ही स्वस्थ होकर घर चले गए। शासन का निर्देश है कि कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए ईटीसी को सक्रिय किया जाए। इस काम में प्रशिक्षण से काफी फायदा मिलेगा।