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प्रदेश को सूखा ग्रस्त घोषित कर आर्थिक मुआवजे का ऐलान करे योगी सरकार -अजय कुमार लल्लू

लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने उत्तर प्रदेश में बहुत कम बारिश होने के करण सूखा के खतरे को देखते हुए योगी सरकार से पूरे प्रदेश को सूखा ग्रस्त घोषित कर एवं तत्काल आर्थिक मुआवजे के ऐलान की मांग की है।

अजय कुमार लल्लू ने कहा कि धान, बाजार, मक्का, गन्ना की पूरी की पूरी फसल बारिश न होने के कारण सूख रही है।  अत्यधिक फसलों को बहुत अधिक नुकसान होने की संभावना है। पेट्रोल और डीजल के रेट बढ़ाने के कारण किसानों को अपन खेत में पम्पिग सेट और ट्यूबेल se पानी चलाने के कारण आर्थिक क्षति बहुत ज्यादा हो रही है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार जल्दी से जल्दी किसानों के लिए जरूरी कदम उठाए, क्योंकि यूपी में बारिश न होने के चलते 51 जिलों में सूखे का खतरा मंडरा रहा है। इन जिलों में सामान्य से 40% से भी कम बारिश हुई है। सामान्य वर्षा के सापेक्ष मात्र 62 प्रतिशत हुई बरसात ने उत्तर प्रदेश में सूखे जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। इतनी बारिश धान की रोपाई के लिए भी पर्याप्त नहीं है।

उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रोपाई नहीं हो सकी है। खेत में पड़ चुकी सूखी दरारें और किसान के माथे की लकीर हालात बयां कर रही है। यूपी में 13 जुलाई तक मात्र 76.60 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो सामान्य वर्षा 199.70 मिलीमीटर से लगभग 62% कम है। आगरा, अलीगढ़, मुरादाबाद, अमरोहा, बिजनौर, मुजफ्फरनगर में ही सामान्य से अधिक बारिश हुई है।

मौसम विभाग के जिलेवार आंकड़ों के अनुसार जुलाई में सबसे अधिक बारिश पश्चिमी यूपी में हुई है। इस में 206.3 मिलीमीटर की सामान्य औसत वर्षा के मुकाबले 249.2 मिमी बारिश हुई है।

जबकि मध्य यूपी में 239.8 मिमी की औसत सामान्य वर्षा के सापेक्ष 191.8 मिमी, बुंदेलखंड में 247.1 मिमी के सापेक्ष 149.4 और पूर्वी यूपी में 281.4 मिमी की सामान्य वर्षा के मुकाबले 161.6 मिमी बारिश रिकार्ड की गई है।

यूपी में अब तक 58 हजार 500 हेक्टेयर के कुल धान के रकबे में से 47 हजार 990 हेक्टेयर में धान की रोपाई की जा चुकी है। अब रोपे गये इस धान को बचाने के लिए वर्षा जल की जरूरत है। मगर बारिश नहीं हो रही है।

इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) वर्किंग ग्रुप की रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत में चावल का उत्पादन 30 फीसदी कम हो सकता है, जबकि मक्के का उत्पादन 70 फीसदी कम हो सकता है।

गोरखपुर-बस्ती मंडल में इस मानसून में अब तक काले बादलों ने उम्मीदों पर पानी ही फेरा है। दोनों मंडलों में सामान्य से बहुत कम बारिश हुई है।

सबसे खराब स्थिति कुशीनगर की है, इस जिले में अब तक सामान्य से 70 फीसदी कम बारिश हुई है। गोरखपुर में सामान्य से करीब 47 प्रतिशत कम बारिश हुई है।

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