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प्रवासी मजदूरों का अर्थव्यवस्था में अहम योगदान, प्रवासी स्पेशल ट्रेन सहित उनके लिए बोर्ड बनाए सरकार

‘ कोशी के प्रवासी मजदूरों की स्थिति, योजनाएं व उनके अधिकार ‘ विषय पर कार्यशाला का आयोजन 

सहरसा (बिहार)। ‘ बिहार की अर्थव्यवस्था में प्रवासी मजदूरों का अहम योगदान है। रोजगार के अभाव में उन्हें अमानवीय स्थिति में दूसरे राज्यों में पलायन करना पड़ता है। हर जगह अपमान झेलना पड़ता है।  रास्ते में उनके साथ शुरू अन्याय कार्यस्थल तक जारी रहता है। इतना ही नही संगठित नही होने के कारण नीतिगत अन्याय के शिकार भी होते हैं। ऐसे में संगठित होकर आवाज उठाना ही एक मात्र रास्ता है। ‘

उक्त बातें कोशी नव निर्माण मंच द्वारा सहरसा के शंकर चौक स्थित विवाह भवन में 30-31 जुलाई को आयोजित ‘ कोशी के प्रवासी मजदूरों की स्थिति, योजनाएं व अधिकार ‘ विषय पर आयोजित कार्यशाला में वक्ताओं ने कही।

कार्यशाला में उपस्थित प्रवासी मजदूरों ने कोरोना से लेकर अभी तक होने वाली पीड़ादायक स्थिति को विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि ट्रेन कम है, टिकट नही मिलता जुर्माना पर जुर्माना उन्हें देना पड़ता है। खड़े-खड़े बीमार हो जाते हैं , पुलिस वालों से लेकर ताली बजाने वाले उनसे वसूली करते है। उतरते काम नही मिलता, मिल गया तो पूरी मजदूरी नही मिलती। यदि किसी को दुर्घटना में मृत्यु हो गयी तब राज्य सरकार द्वारा शुरू बिहार राज्य प्रवासी मजदूर दुर्घटना अनुदान योजना में कागजों की पेचिदगियों के बीच मात्र एक लाख के मुआवजे का प्रावधान है जबकि राज्य में आपदा या सड़क दुर्घटना में चार लाख मिलता है। यहाँ सरकार ही भेदभाव कर रही है।

कार्यशाला में गया में अप्रवासी मजदूरों के लिए पायलट सेंटर चला रहे शत्रुघ्न दास ने सरकारी योजनाओं की बात बतायी, वहीं बतौर मुख्य अतिथि आये राष्टीय हमाल पंचायत एवं अन्य असंगठित कामगार यूनियन के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष व भारतीय सामुदायिक कार्यकर्ता मंच के समन्वयक अरविंद मूर्ति ने श्रम कोड की जानकारी सहित राष्ट्रीय और राज्य की स्थिति से अवगत कराया। इस कार्यशाला को प्रवासी मजदूरों के हक की लड़ाई का शुभारम्भ बताया। कोशी नव निर्माण मंच के परिषदीय अध्यक्ष संदीप यादव, सुपौल के जिला अध्यक्ष इंद्र नारायण सिंह, इकबाल भुट्टो, शाहिद परवेज, बिजेन्द्र भारती, अजय इत्यादि ने अपनी बातें रखीं।

कार्यशाला में सभी लोगों ने काफी विमर्श कर यह प्रस्ताव लिया कि सरकार मजदूरों के लिए प्रवासी स्पेशल ट्रेन चलाए जिससे सम्मान के साथ लोग बाहर आ जा सकें। प्रवासी मजदूर दुर्घटना अनुदान योजना की राशि को बढ़ाते हुए सड़क दुर्घटना की राशि 4 लाख करने की मांग की गई। उसकी प्रक्रियायों को सरल किया जाय व मृतक का शव उनके घर तक सरकारी खर्च पर लाने की व्यस्था हो। यह भी मांग की गई कि सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए प्रवासी मजदूर बोर्ड बनाए जिसमें मजदूर इसमें प्रतिनिधि हों। साथ ही हर शहरों का अध्ययन कर जहां जहां भी मजदूर जाते है वहाँ उन राज्यों व शहरों में नोडल पदाधिकारी की नियुक्ति करे जिससे वे लोग संकट की घड़ी में उनसे सहायता प्राप्त कर सकें। बिहार में भवन निर्माण श्रमिको के बन्द हित लाभ योजनाओं को तुरन्त प्रभाव से चालू करे और पंजीकरण को सर्व सुलभ बनाए। सभी प्रवासी मजदूरों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ सहित अन्य कल्यणकारी योजनाओं का लाभ दिया जाए।

कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों ने प्रवासी मजदूरों को संगठित करने का संकल्प लिया। इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए सर्व सम्मति से दुनिदत, सुनील ऋषिदेव, सन्तोष मुखिया, अनिल यादव, श्रवण, राजेन्द्र, अखिलेश, लालबहादुर शर्मा, रामेश्वर सदा, शिशुपाल, नीतीश, रामचन्द्र शर्मा, शिव शंकर मण्डल, रंजीत यादव, गणेश राम की एक समन्वय समिति बनायी। इसके लिए प्रवासी मजदूर चर्चा अभियान की शुरुआत भी की। कार्यशाला का संचालन महेन्द्र यादव ने किया। इस मौके पर धर्मेन्द्र, सतीश, प्रमोद, सिकन्दर आदि उपस्थित थे।