गोरखपुर. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय का 37 वां दीक्षांत समारोह 26 अक्टूबर को समारोह पूर्वक मनाया गया इस. समारोह में कुलाधिपति राज्यपाल राम नाईक और मुख्य अतिथि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन के. सिवन ने 50 छात्र-छात्राओं में मेडल वितरित किया. इनमें 38 छात्राएं हैं. गोरखपुर की मान्या त्रिपाठी और देवरिया की शालू मद्देशिया को 9-9 गोल्ड मेडल मिले.
इस मौके पर गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्मारिका स्पंद का विमोचन किया गया. समारोह में राज्यपाल राम नायक ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा 18 साल पहले शुरू किये गए सर्व शिक्षा अभियान और पीएम नरेंद्र मोदी के ‘ बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ ’ अभियान का परिणाम है कि लड़कियां शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से आगे आ रही हैं.
मुख्य अतिथि इसरो के चेयरमैन के सिवन ने कहा कि मैंने जीवन मे जब जब जो जो चाहा उसकी बजाय कुछ और मिला। इसीलिए मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि जब आपको कोई चीज नही मिलती तो इसका मतलब यही है कि कोई बड़ी चीज आपको मिलने वाली है.
उन्होंने कहा कि कल जब आप राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी कमर कसेंगे तो तीन चीजें हैं जो आपके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे. पहला अपने डर पर विजय प्राप्त करना. दूसरा निर्धारित जोखिम उठाना और तीसरा ऐसी विचारधारा जो नवोन्मेष हो. नई ऊंचाइयों व सफलता को पाने के लिए नवाचार व सकारात्मक सोच का होना आवश्यक है.

इस समय हम जिन खोजों अविष्कारों व लाभों का उपयोग कर रहे हैं वे सभी नवाचार व किसी बिंदु पर हुई आकस्मिक खोजों का परिणाम हैं. मेरी आप सभी लोगों को सलाह है कि कुछ नया करने का खतरा उठाइए बिना इस डर के कि आप सफल होंगे. हो सकता है कि असफलता मिले लेकिन हर असफलता हमें कुछ नया करने के लिए अगला कदम उठाने का मौका देगी. इस क्रम में हमें इस रास्ते पर मनचाहा फल मिलेगा.इसरो चेयरमैन ने कहा कि हमें दो में से किसी एक को चुनना है. या तो हम आरामदायक स्थिति में बने रहें व कुछ भी नया ना करें या फिर आराम की स्थिति से बाहर आकर थोड़ा खतरा उठाएं. यदि आप हमेशा आरामदायक स्थिति में रहना चुनते हैं तो एक समय के बाद प्रतिस्पर्धा के खेल से आप बाहर हो जाएंगे. अपने अजीबोगरीब विचारों को छोड़ मत दीजिए क्योंकि वास्तविकता यह है कि दुनिया के बहुत से सफलतम अविष्कार इन ही अजीबोगरीब विचारों के कारण हुए हैं. हमेशा सीखते रहिए.
शिक्षा एक जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है. इसरो का दर्शन यह है कि विकास कई गुना होना चाहिए और ऐसा विकास पारंपरिक तरीकों से संभव नहीं है. ऐसा केवल कुछ नया करके और इस खतरे को उठाकर ही किया जा सकता है.
शिक्षा एक जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है. इसरो का दर्शन यह है कि विकास कई गुना होना चाहिए और ऐसा विकास पारंपरिक तरीकों से संभव नहीं है. ऐसा केवल कुछ नया करके और इस खतरे को उठाकर ही किया जा सकता है.
मैं फिर कहूंगा कि चांद के लिए उछाल भरो। अगर तुम चूक जाओगे तो सितारों तक पहुंच सकते हो। खुशियां बांटो ।अपने उन सपनों का पीछा करो जो उम्मीद से परे है। और जाओ दिलचस्प अनोखी और शानदार गलतियां करो। नियमों को तोड़ो और दुनिया को अधिक आनंददायक बनाओ.