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विधि संकाय की एलुमनाई मीट में 100 से अधिक पूर्व छात्र और शिक्षक जुड़े

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के विधि संकाय  द्वारा एलुमनाई मीट का आयोजन चार जुलाई को ऑनलाइन मोड में किया गया।  इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, पटना के डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर अनिरुद्ध प्रसाद थे।

अपने उद्बोधन में प्रोफेसर अनिरुद्ध प्रसाद ने विधि संकाय के इतिहास और इसके संस्थापक अध्यक्षों के उस लगन का जिक्र किया जिसको उन्होंने इस संकाय की स्थापना के साथ ही इसे वैश्विक स्तर पर पहचान देने की सोच के साथ शुरू किया था। प्रोफेसर आर. बी. तिवारी, प्रोफेसर उदय राज राय एवं प्रोफेसर ओ0 पी0 तिवारी के इस विभाग को समृद्ध करने के प्रयासों को उन्होंने सराहा। प्रोफेसर प्रसाद ने कहा की आज की एलुमनाई मीट में उपस्थित हमारे पूर्व छात्रों की उपस्थिति यह दर्शित करती है कि यह विभाग कितना समृद्धि रहा है। उन्होंने इस सम्मेलन में जुड़े पूर्व छात्रों में एक विश्वविद्यालय के कुलपति, कई कार्यरत और सेवानिवृत्त न्यायाधीश, वरिष्ठ अधिवक्ताओं, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को जो इस कार्यक्रम से जुड़े थे, उनकी उपलब्धियों की चर्चा की।

प्रो अनिरुद्ध प्रसाद ने बताया कि इस संकाय की कामयाबी का प्रमाण इस एलुमनाई मीट में शामिल होने वाले विशिष्ट जन हैं। स्वामी विवेकानंद के महत्वपूर्ण उद्बोधन को उन्होंने अपने व्याख्यान में समाहित करते हुए समय, कठोर परिश्रम और अनुशासन पर जोर दिया। प्रोफेसर अनिरुद्ध प्रसाद ने कहा कि शिक्षक हमेशा विद्यार्थी ही रहता है ।

विशिष्ट अतिथि छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मोहन कुमार श्रीवास्तव ने विश्वविद्यालय से विशेष आग्रह किया कि वह विधि विभाग पर विशेष ध्यान दे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी में चार संकल्प होना आवश्यक है इच्छा, लक्ष्य का निर्धारण, अनुशासन एवं अच्छी सोच। शिक्षक का समाज में बहुत महत्व है और यह एक जिम्मेदारी का कार्य है। कच्ची मिट्टी को एक आकृति देने का काम शिक्षक करता है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में लोग एलएल-बी को अंतिम विकल्प के रूप में न लेकर, अपनी पहली पसंद के रूप में देखते हैं। उन्होंने एलुमनाई सेल की स्थापना का सुझाव दिया।

विधि विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता प्रोफेसर जितेंद्र मिश्र ने विभाग के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह विभाग अपने अध्ययन, अध्यापन तथा अनुशासन के लिए अपनी स्थापना काल से ही आज तक जाना जा रहा है। हमारे विद्यार्थी न केवल उत्तर प्रदेश में बल्कि उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली,राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार, हरियाणा में न्यायाधीश के पद को सुशोभित कर रहे हैं बल्कि देश के विभिन्न अकादमिक एवं प्रशासनिक पदों को भी सुशोभित कर रहे हैं।

लगभग 4 घंटे तक चले इस एलुमनाई मीट में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विधि विभाग के एलुमनाई मीट में जुड़े सभी पूर्व छात्रों को विश्वविद्यालय से जुड़ने और इस विश्वविद्यालय को और गौरवपूर्ण स्थान दिलाने के लिए सहयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के क्यू-एस रैंकिंग पर प्रकाश डाला और कहा कि इस रैंकिंग की प्राप्ति में हमारे पूर्व छात्रों का सहयोग रहा है तथा इसे आगे भी जारी रखना चाहिए। इसके लिए कुलपति ने एक मजबूत डेटाबेस बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया और कहा कि जल्द ही स्थितियां सामान्य होने पर एलुमनाई मीट ऑफलाइन मोड में कराने का प्रयास किया जाएगा।

अतिथियों का स्वागत अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता विधि संकाय प्रोफ़ेसर चंद्रशेखर ने किया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन विधि विभाग के प्रो0 अहमद नसीम ने किया। इस पूर्व-छात्र सम्मेलन में चार पीढ़ियों का प्रतिनिधित्व करते हुए 100 से अधिक पूर्व छात्र तथा संकाय के समस्त शिक्षक जुड़े।

पूर्व-छात्र सम्मेलन में प्रमुख रूप से प्रो0 एस के त्रिपाठी, प्रोफेसर डीएन मिश्रा ,प्रो0 अजय कुमार, डॉ विजय प्रताप सिंह ,प्रोफेसर अजेंद्र कुमार श्रीवास्तव ,डॉ अशोक कुमार राय, डॉ कुमार स्कंद पाण्डेय, प्रेम प्रकाश पाण्डेय(पूर्व जनपद न्यायाधीश),श्री एस0के0 पाण्डेय (पूर्व न्यायधीश), भारत भूषण पाण्डेय (जनपद न्यायाधीश अपर) , राजेन्द्र कुमार जुमनानी (पूर्व जनपद न्यायाधीश), राम आसरे , अनुराग दीप, अमित शर्मा, मयंक पाण्डेय, श्रीमती स्वरूपमा चतुर्वेदी (अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय), अनुपम मिश्रा (अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय), अनुपम सहाय, अमित शर्मा, अधिवक्ता जेपी सिंह, धर्मेंद्र कुमार मिश्रा एवं अन्य पुरातन छात्रों ने अपने विचार व्यक्त किए।

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