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गड़बड़ी के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई किए बिना जल्दीबाजी में दुबारा परीक्षा कराने पर सवाल

गोरखपुर। दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय में नौ विषयों की असिस्टेंट प्रोफेसर की रद परीक्षा को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किए बिना जल्दीबाजी में कराए जाने पर दो अभ्यर्थियों ने सवाल करते हुए कुलाधिपति और कुलपति को पत्र लिखा है। अभ्यर्थियों ने परीक्षा के लिए दो महीने का समय देने कि मांग कि है।

गोरखपुर विश्वविद्यालय में कई विषयों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए 18 दिसम्बर को लिखित परीक्षा हुई थी। परीक्षा में गड़बड़ियों का आरोप लगाया गया था।  शिक्षा शास्त्र और महायोगी गुरू श्री गोरक्षनाथ शोध पीठ में असिस्टेंट प्रोफेसर पद की लिखित परीक्षा में शामिल हुए आदित्य नारायण क्षितिजेश और हितेन्द्र धर दूबे ने 22 दिसम्बर को कुलाधिपति/राज्यपाल को पत्र भेजकर आरोप लगाया कि यह परीक्षा विधि विरूद्ध करायी गयी और इसमें कई अनियमितााएं हुई हैं। दोनों अभ्यर्थियों के अनुसार उन्हें मेल से भेजी गई परीक्षा सम्बन्धी सूचना में कहा गया था कि वस्तुनिष्ठ परीक्षा यूजीसी/सीएसआईआर/ अन्य नियामक संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा हेतु निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार पूछे जायंगे लेकिन परीक्षा में उनके समेत सभी अभ्यर्थियों को अंग्रेजी भाषा में प्रश्न पुस्तिका दी गई जबकि राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा में अंग्रेजी व हिन्दी में प्रश्न पुस्तिका दी जाती है। इस सम्बन्ध में जब उन्होंने आपत्ति की तो परीक्षा शुरू होने के 35 मिनट बाद सक्षम प्राधिकारी आये लेकिन उन्होंने आपत्ति का निराकरण करने के बजाय उन पर  परीक्षा देने का दबाव बनाया। प्रश्न पुस्तिका अंग्रेजी में होने के कारण उनके समेत हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों को काफी दिक्कत हुई। बिना सील लगी प्रश्न पुस्तिका वितरित की गई। प्रश्न पुस्तिका में न कोई संख्या न सिरीज अंकित था जिससे परीक्षा की शुचिता और पारदर्शिता पर सवाल खड़ा होता है। कुछ प्रश्नों के बीच कोई क्रमांक अंकित नहीं था जबकि कुछ प्रश्नों में दुहराव था। इससे साफ लगता है कि प्रश्न पुस्तिका बनाने में गंभीरता का अभाव था।

इस शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर आदित्य नारायण क्षितिजेश ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसकी जानकारी होते ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने नौ विषयों -मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र, शिक्षाशास्त्र, प्राचीन इतिहास, मध्यकालीन इतिहास, भूगोल, सहायक ग्रंथालयी, महायोगी गुरु श्री गोरक्षनाथ शोधपीठ और प्रौढ़ सतत एवं प्रसार शिक्षा कि परीक्षा को रद कर दिया और 26 फरवरी को दुबारा परीक्षा कराने कि घोषणा की। विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि यह निर्णय अभ्यर्थियों द्वारा प्रश्न पत्रों कि भाषा के संबंध में दिए गए प्रत्यावेदन पर गठित समिति समिति कि अनुशंसा पर लिया गया है।

विश्वविद्यालय प्रशासन के इस निर्णय पर सवाल उठाते हुए दो अभ्यर्थियों गंगेश कुमार पांडेय और प्रमोद कुमार ने कुलाधिपति व कुलपति को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि अभ्यर्थियों के प्रत्यावेदन पर गठित समिति कि अनुशंसा अभी तक सार्वजनिक नहीं कि गई है और न ही परीक्षा मे हुई अनियमितता के जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं कि गई। जल्दीबाजी में परीक्षा कि नई तारीख घोषित कर दी गई जिससे अभ्यर्थियों को तैयारी का पर्याप्त समय नहीं मिला। दोनों अभ्यर्थियों ने उच्चतर शिक्षा आयोग कि तरह परीक्षा कराने और 18 दिसंबर कि परीक्षा में हुई गड़बड़ी के जिम्मेदारों पर कार्रवाई करते हुए दो माह बाद परीक्षा कराने कि मांग की है।

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