‘ प्रतिबद्ध जन हितैषी कार्यकर्ता थे विश्वंभर ओझा ’

देवरिया । सामाजिक कार्यकर्ता- संस्कृतिकर्मी कामरेड विश्वंभर ओझा की स्मृति में मुसैला स्थित एक विद्यालय परिसर में रविवार को मजदूर किसान एकता मंच के तत्वाधान में स्मृति सभा का आयोजन को किया गया। स्मृति सभा में लोगों ने उन्हें शिद्दत से याद करते हुए कहा कि विश्वंभर ओझा एक प्रतिबद्ध जन हितैषी कार्यकर्ता थे जिनका असमय जाना जन आंदोलनों के बड़ी क्षति है।

विश्वंभर ओझा का मालूम हो कि बीते 25 अप्रैल को कोविड से निधन हो गया था। सभा में वक्ताओं ने स्मृतिशेष विश्वंभर ओझा के व्यक्तित्व पर चर्चा करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया।

स्मृति सभा में बोलते हुए संत विनोवा स्नातकोत्तर महाविद्यालय के अवकाश प्राप्त प्राचार्य एवं विश्वंभर ओझा के शिक्षक रहे प्रो. असीम सत्यदेव ने कहा कि विश्वंभर छात्र जीवन से ही एक जुझारू और क्रांतिकारी व्यक्तित्व के धनी रहे। वह हमेशा जन संघर्षों में अगली कतार में रहते थे।उनका अचानक चले जाना स्तब्ध करने वाला है। प्रो.सत्यदेव ने कहा कि उनके सपनों को पूरा करने के लिए हम सब को सामूहिक रूप से काम करना होगा तथा शोक को ऊर्जा में बदलना होगा।

 

गोरखपुर से आए वरिष्ठ नाटककार व शिक्षक राजाराम चौधरी ने कहा कि क्रांतिकारियों के विचार हमेशा जिंदा रहते हैं। विश्वंभर एक क्रांतिकारी नौजवान थे। उन्होंने अपना पक्ष मजदूरों और किसानों के पक्ष में तय किया था। वे एक सांस्कृतिक चेतना से लैस युवा थे। उनका असमय चले जाना पूर्वांचल की बड़ी सांस्कृतिक-सामाजिक क्षति है। गोरखपुर से आए विचारक शिवनंदन ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने विश्वंभर को भले ही हमसे छीन लिया हो लेकिन वह हमारी यादों में सदैव जिंदा रहेंगे उनके विचार हमें प्रेरणा देते रहेंगे।

वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार सिंह ने कहा कि विश्वंभर ओझा जन पक्षधर कार्यकर्ता थे। उन्होंने एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में मुसैला को स्थापित किया। हम सबका दायित्व है कि इस सांस्कृतिक केंद्र को और मजबूत बनाएं। उनकी स्मृति में एक पुस्तिका का प्रकाशन किया जाए तथा एक वार्षिक सांस्कृतिक आयोजन की रूपरेखा बनाई जाए। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने हमारे तमाम साथियों को हमसे छीन लिया है। हमारे देश की चिकित्सा व्यवस्था अगर बेहतर होती तो हमारे इतने साथी और देश के लाखों नागरिक हमसे नहीं बिछड़ते। उन्होंने कहा कि हमें देश-प्रदेश के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के लिए आंदोलन विकसित करना होगा। यदि हम ऐसा कर सके तो यह विश्वंभर ओझा को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

कामरेड बाबूराम विश्वकर्मा ने कहा कि विश्वंभर ओझा की कमी को पूरा करना असंभव है। हमें उनकी यादों से खुद को मजबूत करना होगा तथा उनके सपनों की दुनिया बनाने के लिए संघर्ष करना चाहिए। यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

सभा के अंत में स्व. विश्वंभर ओझा के अग्रज व वरिष्ठ राजनीतिक कार्यकर्ता डा. चतुरानन ओझा ने वक्ताओं के सभी प्रस्तावों पर कहा कि विश्वंभर ने आमजन के पक्ष में खड़ा होकर जो भी कार्यक्रम बनाया था वे सभी कार्यक्रम आगे भी जारी रहेंगे तथा उनके सपनों को पूरा करने का हर संभव प्रयास होगा।

 

श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में डा. दूधनाथ, उद्भभव मिश्र,राजेश शर्मा, नित्यानंद त्रिपाठी, चक्रपाणि ओझा, सर्वेश्वर, जगदीश पाण्डेय, बैजनाथ मिश्र, कृपा शंकर, सुजीत श्रीवास्तव, श्रवण कुमार, मनोज मिश्रा, संतोष, चंद्रकेतु, मनोज भारती, बृजेश कुशवाहा,आमोद राय, मल्ल,मिराज,संदीप,धर्मेंद्र आजाद ,मुन्ना,रामकेवल,राजेश मणि, जूनाब अली, विकास, अजय राय आदि रहे। संचालन राजेश ने किया। उपस्थित लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी।