33.1 C
New Delhi
Trending now

क्या वाकई मैं कुसूरवार हूँ ? नहीं ! बिलकुल नहीं…

मनुष्य बन पाने की जद्दोजहद के साथ आत्मालोचना के भाव…

प्रेम कैद नहीं करता, दायरे नहीं खींचता , तोड़ता नहीं…

महराजगंज के 18 वनटांगिया गांवों में चकबंदी होगी, शासनादेश आने…

सफाई मजदूर एकता मंच के सम्मेलन में न्यूनतम वेतन 26…

लोकरंग -2024 में आएंगे भोजपुरी पॉप रैपर रग्गा मेन्नो, असम,…

FacebookTwitterInstagramPinterestLinkedinFlickrYoutubeEmailVimeoRssSnapchat

Gorakhpur NewsLine

सबद हमारा षरतड़ षांडा
  • Home
  • समाचार
    • जनपद
    • राज्य
  • साहित्य – संस्कृति
    • स्मृति
    • लोकरंग
    • यात्रा संस्मरण
    • व्यंग्य
  • जीएनएल स्पेशल
  • चुनाव
    • लोकसभा चुनाव 2024
    • विधानसभा चुनाव 2022
    • नगर निकाय चुनाव 2023
    • लोकसभा चुनाव 2019
    • गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव 2018
    • यूपी विधानसभा चुनाव 2017
  • विचार
  • स्वास्थ्य
  • पर्यावरण
  • विज्ञान – टेक्नोलॉजी
  • साक्षात्कार
  • सपोर्ट गोरखपुर न्यूज लाइन
Gorakhpur NewsLine
  • Home
  • समाचार
  • योगी आदित्यनाथ-अमनमणि मुलाकात: पूर्वांचल की राजनीति में नया चैप्टर शुरू
समाचार

योगी आदित्यनाथ-अमनमणि मुलाकात: पूर्वांचल की राजनीति में नया चैप्टर शुरू

by गोरखपुर न्यूज़ लाइनMay 4, 2017May 19, 20230121
Share00

अप्रैल महीने के अखिरी दो दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने गृह जिले गोरखपुर में गुजारे. 262 करोड़ से अधिक की विकास योजनाओं का शिलान्यास किया. बीजेपी, आरएसएस और हिन्दू युवा वाहिनी की बैठकों में शामिल हुए.

प्रेस क्लब व एक अखबार के आयोजन में वह शरीक हुए लेकिन इन कार्यक्रमों की बजाय जिस खबर ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी, वो थी 29 अप्रैल को गोरखपुर में उनके मंच पर पूर्व मंत्री अमरमणि के विधायक पुत्र अमनमणि त्रिपाठी की उपस्थिति.

अमनमणि के साथ मंच शेयर करने के लिए मुख्यमंत्री की खासी आलोचना भी हुई. योगी आदित्यनाथ उसी मंच से अपराधियों को उत्तर प्रदेश छोड़ देने की चेतावनी दे रहे थे, जिस पर अमनमणि भी विराजमान थे.

पत्नी सारा सिंह की हत्या के अभियोग का सामना कर रहे अमनमणि अगले दिन 30 अप्रैल को योगी से मिलने फिर गोरखनाथ मंदिर पहुंच गए. उन्हें मुख्यमंत्री को एक फाइल देते और पांव छूते देखा गया. पत्रकारों से अमनमणि ने कहा कि वह ‘महाराज जी’ का आशीर्वाद लेने आए हैं.

आशीर्वाद के बहाने एंट्री की कोशिश ?

यूपी विधानसभा चुनाव के बाद डेढ़ महीने के अंदर अमनमणि त्रिपाठी की योगी आदित्यनाथ से यह तीसरी बार ‘ सार्वजनिक भेंट’ थी. आखिर अमनमणि ‘ महाराज जी ‘ से बार-बार आशीर्वाद क्यों मांग रहे हैं और उन्हें कौन सा आशीर्वाद चाहिए? और योगी आदित्यनाथ अपने ऊपर उठ रहे सवालों के बावजूद अमन मणि को क्यों महत्व दे रहे हैं?

अमनमणि ने मीडिया से बातचीत में बीजेपी में शामिल होने की इच्छा जताई. तो क्या यह वजह अमनमणि के बार-बार योगी के पास जाने की है.

गोरखपुर और पूर्वांचल की राजनीति समझने वाले जानते हैं कि बात इतनी भर नहीं है कि अमनमणि को बीजेपी में जगह चाहिए. बीजेपी की बस तो वैसे ही भरी हुई है. अब उसमें अमनमणि को अटाना आसान भी नहीं.

जल्द ही विरोध के स्वर सामने आ गए. तीन मई को सारा सिंह की मां सीमा सिंह और मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने लखनऊ में पत्रकार वार्ता कर अमनमणि त्रिपाठी को भाजपा में शामिल किये जाने की कोशिश का आरोप लगाया. दोनों ने कहा कि यदि अमनमणि को बीजेपी में शामिल लिया गया तो वे दिल्ली में बीजेपी कार्यालय पर आमरण अनशन करेंगी.

निधि शुक्ला ने योगी-अमनमणि के मिलन पर निशाना साधा और कहा कि हम लोगों को मिलने का वक्त नहीं मिलता जबकि अमनमणि मुख्यमंत्री से लगातार मिल रहे हैं और उन्हें अपना अभिभावक बता रहे हैं. बिना मुख्यमंत्री कि इच्छा के कोई उनसे कैसे मिल सकता है. उन्होंने अमरमणि त्रिपाठी को गोरखपुर जेल से दूसरी जेल में स्थानांतरित न किए जाने पर भी सवाल उठाया.

हाता बनाम मंदिर के अतीत से बनी वर्तमान की जमीन

अमनमणि की योगी आदित्यनाथ से नजदीकी को समझने के लिए ‘हाता’ और ‘मंदिर’ की राजनीति और उनके बीच की प्रतिद्वंदिता को समझना होगा.

गोरखपुर में ‘ मंदिर ’ का राजनीतिक आशय योगी आदित्यनाथ और हिंदुत्व की राजनीति से है. योगी आदित्यनाथ कट्टर हिंदुत्व की राजनीति के साथ-साथ पूर्वांचल में क्षत्रियों के भी पसंदीदा नेता हैं.

‘हाता’ वह जगह है जहां बाहुबली नेता और पूर्व मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी अपने दो पुत्रों भीष्म शंकर तिवारी और विनय शंकर तिवारी के साथ रहते हैं. हाता गोरखपुर और पूर्वांचल में ब्राह्मण राजनीति का केंद्र माना जाता है.

वह कल्याण सिंह और मुलायम सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. उनके बड़े बेटे भीष्म शंकर तिवारी खलीलाबाद सीट से दो बार सांसद रह चुके हैं. छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी पहली बार चिल्लूपार से विधायक चुने गए हैं. इस सीट से उनके पिता हरिशंकर तिवारी छह बार विधायक रहे हैं. इस चुनाव में गोरखपुर जिले की 9 विधानसभा सीटों में से सिर्फ यही एक सीट थी जहां बीजेपी को हार मिली.

पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के भांजे गणेश शंकर पांडेय विधान परिषद के सभापति रह चुके हैं. वह इस बार महाराजगंज जिले के पनियरा विधानसभा सीट से बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे लेकिन बीजेपी प्रत्याशी ज्ञानेंद्र सिंह से हार गए. सब जानते हैं कि तिवारी परिवार किसी भी पार्टी में रहे उनके लोग सभी दलों में रहते हैं.

गोरखपुर में अस्सी के दशक में जातीय गैंगवार का दौर चला था. एक गुट का नेतृत्व ‘हाता’ के पास था तो दूसरे का नेतृत्व ‘शक्ति सदन’ के पास. शक्ति सदन यानि बाहुबली नेता वीरेंद्र प्रताप शाही.

गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना के वक्त इस जातीय गैंगवार के बीज बोए गए जिसने पहले छात्र राजनीति और बाद में पूर्वांचल की राजनीति को अपने चपेट में ले लिया. कई होनहार छात्र व युवा नेता इस गैंगवार के दुष्चक्र में फंसे और उनकी हत्या हो गई.

हरिशंकर तिवारी को अखबारों में ‘प्रख्यात नेता’ और वीरेंद्र प्रताप शाही को ‘शेरे पूर्वांचल’ लिखा जाता था. नौजवान दोनों के काफिले के वाहनों में बैठने और कंधे पर बंदूक टांगने में गर्व महसूस करते थे. दोनों नेता जब अपने आवास से बाहर आते तो उनके साथ 200-200 गाड़ियों का काफिला चलता जिसमें बंदूक की नालें बाहर दिखाई देतीं.

दोनो गुटों के बीच हिंसा और प्रतिहिंसा का सिलसिला लगभग दो दशक तक चला. यह वह दौर था जब गोरखपुर को दूसरा शिकागो कहा गया.

गोरखपुर और उसके आस-पास के जिलों की राजनीति भी इन्हीं दोनों गुटों में क्षत्रिय व ब्राह्मण राजनीति में ध्रुवीकृत रही. गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्र संघ भवन पर रवीन्द्र सिंह और रंगनारायण पांडेय की लगी प्रतिमा उस दौर के इतिहास की याद दिलाती हैं.

वर्ष 1985 में गोरखपुर के वीर बहादुर सिंह जब यूपी के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने इस गैंगवार को खत्म करने का प्रयास किया. उन्होंने वीरेंद्र प्रताप शाही और हरिशंकर तिवारी को जेल भिजवाया. ठेके-पट्टे पर दोनों के वर्चस्व को भी खत्म करने की कोशिश की. इसका नतीजा यह हुआ कि शाही-तिवारी के बीच खूनी संघर्ष का अंत तो हुआ लेकिन राजनीतिक प्रतिद्वंदिता कायम रही.

त्रिपाठी के करीब, तिवारी के खिलाफ कैसे हुए योगी

वीरेंद्र प्रताप शाही की 1996 में हत्या के बाद क्षत्रिय राजनीति नेतृत्व विहीन हो गई. उसी समय गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी के रूप में योगी आदित्यनाथ आए. वर्ष 1998 में सांसद बनने के बाद वह बड़ी तेजी से उभरे. उनके आस-पास वही लोग एकत्र हुए जो कभी वीरेंद्र प्रताप शाही के साथ थे. योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहा तो उनकी टकराहट तबके बीजेपी विधायक व मंत्री शिव प्रताप शुक्ल से हुई जो 1989 से लगातार जीतते आ रहे थे. शुक्ला ‘ हाता ‘ के करीबी समझे जाते हैं. योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में उनके खिलाफ डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल को हिन्दू महासभा से चुनाव मैदान में उतार दिया.

पंडित हरिशंकर तिवारी गोरखपुर जिले के चिल्लूपार विधानसभा से 1982 से लगातार जीतते आ रहे थे. उन्हें कभी एसपी तो कभी बीजेपी ने समर्थन दिया. इसी चुनाव में उन्होंने योगी आदित्यनाथ पर सार्वजनिक रूप से ‘बैठूं तेरी गोद में उखाड़ूं तेरी दाढ़ी’ कह कर व्यंग्य किया था. यह टिप्पणी बीजेपी में रहते हुए बीजेपी का विरोध करने पर की गई थी.

जवाब में योगी आदित्यनाथ ने चिल्लूपार में हरिशंकर तिवारी के खिलाफ मोर्चा खोला. उस चुनाव में हरिशंकर तिवारी तो जीत गए लेकिन 2007 और 2012 के चुनाव में वह पत्रकार से नेता बने ‘मुक्तिपथ वाले बाबा’ राजेश त्रिपाठी से हार गए. यूं तो राजेश त्रिपाठी दोनों बार बीएसपी से लड़े थे लेकिन उन्हें योगी आदित्यनाथ का पूरा समर्थन था.

‘हाता’ ने इसका जवाब 2009 के लोकसभा चुनाव में दिया. पंडित हरिशंकर तिवारी के छोटे पुत्र विनय शंकर तिवारी गोरखपुर सीट से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़े लेकिन वह जीत नहीं सके. इस तरह हाता और मंदिर में कभी आमने-सामने तो कभी परोक्ष राजनीतिक घमासान होता रहा है.

हाता

पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी कभी हरिशंकर तिवारी के खास हुआ करते थे लेकिन बाद में वह उनसे अलग हो गए और अपनी स्वतंत्र राजनीतिक हैसियत बना ली लेकिन कवयित्री मधुमिता शुक्ल की हत्या के आरोप में उन्हें और उनकी पत्नी मधुमणि को आजीवन कारावास की सजा हो गई. दोनों इस समय गोरखपुर के जेल में अपनी सजा काट रहे हैं.

वर्ष 2007 में गोरखपुर में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में योगी आदित्यनाथ गिरफ्तारी के बाद जेल गए तो वहां पहले से बंद अमरमणि ने उनकी खूब आवाभगत की. अमरमणि का जेल में जलवा था और उन्होंने वहां सभी सुविधाओं का इंतजाम कर रखा था. अमरमणि उस समय समाजवादी पार्टी में थे. वह जेल में रहते हुए लक्ष्मीपुर विधानसभा से चुनाव लड़ रहे थे.

जेल में योगी आदित्यनाथ की आवभगत की खबरें जब सार्वजनिक हुई तो त्रिपाठी ने एक बयान प्रेस को जारी किया था जिसमें कहा गया था कि वह जिंदगी भर सांप्रदायिक ताकतों से लड़ते रहे हैं और आगे भी लड़ेंगें. उनकी चिंता थी कि इन खबरों से कहीं लक्ष्मीपुर के मुसलमान उनसे खफा न हो जाएं.

इस वर्ष के विधानसभा चुनाव में भाजपा लहर के बावजूद अमन मणि त्रिपाठी नौतनवां सीट से निर्दलीय चुनाव जीते तो विनय शंकर तिवारी चिल्लूपार से बीएसपी के टिकट पर.

योगी की जीत के बाद ‘हाता’ पर छापा

22 अप्रैल को पुलिस ने ‘हाता’ पर छापा डाल दिया. पुलिस का कहना था कि वह लूटकांड के एक आरोपी की तलाश में यहां आई थी. इस घटना को तिवारी परिवार ने मुख्यमंत्री के इशारे पर हुई कार्रवाई बताया और इसके खिलाफ 24 अप्रैल को जोरदार प्रदर्शन किया. 77 वर्ष के हो चुके हरिशंकर तिवारी भी धरना-प्रदर्शन में शमिल हुए. नारा लगा- ‘ब्राह्मणों के सम्मान में हरिशंकर तिवारी मैदान में’, ‘बम बम शंकर-हरिशंकर’. धरना-प्रदर्शन में बड़ी संख्या में ब्राह्मणों की मौजूदगी ने बीजेपी को परेशानी में डाल दिया. यह बात उठी कि जिन ब्राह्मणों ने यूपी में पार्टी को जबर्दस्त समर्थन दिया है कि वे कहीं बिदक न जाएं.

harishankar

इसी के बाद से अमनमणि त्रिपाठी को मुख्यमंत्री के मंच पर बुलाया गया. एक दिन पहले तक मंच पर बैठने वाले लोगों में उनका नाम नहीं था. यह अंतिम समय में तय हुआ. अमनमणि के जरिए योगी यह संदेश देना चाहते हैं कि ब्राह्मण उनके साथ हैं. मुख्यमंत्री ने ‘हाता’ के खिलाफ अभी और सख्ती का संकेत दिया है. उन्होंने गोरखपुर प्रेस क्लब के कार्यक्रम में मीडिया से अपील की कि वह माफियाओं को हीरो न बनाएं.

तिवारी परिवार अपनी घेरेबंदी से सावधान है. उसने ब्राह्मण गोलबंदी शुरू कर दी है. बड़हलगंज में तिवारी परिवार ने 30 अप्रैल को संस्कृत आचार्यों के सम्मान और बटुकों का उपनयन संस्कार का कार्यक्रम आयोजित किया. ऐसा आयोजन तिवारी परिवार द्वारा पहली बार किया गया.

तीन दशक बाद इतिहास नए सिरे से अपने को दुहरा रहा है. तीन दशक पहले गोरखपुर के वीर बहादुर सिंह मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने हरिशंकर तिवारी की ताकत को खत्म करने की कोशिश की. योगी आदित्यनाथ भी वही कोशिश करने वाले हैं लेकिन इन तीन दशकों में राप्ती नदी में काफी पानी बह चुका है.

राजनीतिक रंगमंच पर तमाम पात्र अपनी भूमिकाएं बदल चुके हैं. कुछ और पात्र हैं जिन्हें अपनी भूमिका तय करनी है. अमनमणि त्रिपाठी फिर से लिखी जा रही पटकथा के ऐसे ही एक पात्र हैं.

 

(यह स्टोरी फर्स्टपोस्ट में 4 मई 2017 को प्रकाशित हुई थी)

Aman Mani TripathiAmar Mani Tripathiयोगी आदित्यनाथहाता
Share00
previous post
अखिलेश जी ! अब भी ना समझे तो गुमनाम होने से कोई नहीं बचा सकता है
next post
पूर्व एमएलसी पर वेतन नहीं देने और प्रताड़ित करने का आरोप
गोरखपुर न्यूज़ लाइन

Related posts

‘ हाता ’ पर छापे के खिलाफ जोरदार धरना-प्रदर्शन, योगी सरकार के खिलाफ नारेबाजी

गोरखपुर न्यूज़ लाइनApril 24, 2017May 19, 2023

हेलीपैड बनाने में 25 हजार के केले के पौधे काटे, मुआवजा दिया सिर्फ 5 हजार

गोरखपुर न्यूज़ लाइनJune 14, 2017June 14, 2017

हिन्दू युवा वाहिनी भारत के अध्यक्ष सुनील सिंह संतकबीर नगर से चुनाव लड़ेंगे ?

गोरखपुर न्यूज़ लाइनDecember 2, 2018December 2, 2018

संपर्क करें

अगर आप कोई सूचना, लेख, ऑडियो -वीडियो या सुझाव देना चाहते हैं तो इस ईमेल आईडी पर भेजें: gnl2004@gmail.com

सपोर्ट गोरखपुर न्यूज लाइन

Popular Posts

क्या वाकई मैं कुसूरवार हूँ ? नहीं ! बिलकुल नहीं !

गोरखपुर न्यूज़ लाइनApril 23, 2018April 23, 2018
April 23, 2018April 23, 20180
जेल में बंद डॉ कफ़ील अहमद खान का का ख़त -सच बाहर ज़रूर...

मनुष्य बन पाने की जद्दोजहद के साथ आत्मालोचना के भाव वाले कवि...

गोरखपुर न्यूज़ लाइनFebruary 21, 2024February 22, 2024

प्रेम कैद नहीं करता, दायरे नहीं खींचता , तोड़ता नहीं : डॉ...

गोरखपुर न्यूज़ लाइनFebruary 25, 2024February 26, 2024

महराजगंज के 18 वनटांगिया गांवों में चकबंदी होगी, शासनादेश आने पर वनटांगियों...

गोरखपुर न्यूज़ लाइनMarch 1, 2024March 2, 2024

सफाई मजदूर एकता मंच के सम्मेलन में न्यूनतम वेतन 26 हजार करने की...

गोरखपुर न्यूज़ लाइनFebruary 29, 2024
logo
About US
गोरखपुर न्यूज़ लाइन , अलख फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित स्वत्रंत और जन्नोमुखी समाचार वेबपोर्टल हैं. इसकी स्थापना का लक्ष्य लोगों तक पेशेवर तटस्थता , जनसरोकार और स्वीकृत मूल्यों के अधीन रहते हुए समाचार पहुंचाना है और जनता के सवालों को चर्चा के केंद्र में लाना हैं. कॉर्पोरेट पूंजी से पूरी तरह मुक्त रहते हुए हम ऐसे मीडिया का निर्माण चाहते है जो लोगों में सामूहिक चेतना ,पहल , मानवीय संस्कृति का निर्माण करे. हमारी प्रतिबदधता जन संस्कृति के प्रति है. वितीय रूप से हम अपने मित्रों, सहयोगियों और व्यक्तिगत सहयोग पर निर्भरता की घोषणा करते हैं जो हमारे आधार मूल्यों और लक्ष्यों से सहमति रखते हैं.
Contact us: gnl2004@gmail.com
Follow us
FacebookTwitterInstagramPinterestLinkedinFlickrYoutubeEmailVimeoRssSnapchat
@2024 - gorakhpurnewsline.com. All Right Reserved.
Gorakhpur NewsLine
FacebookTwitterInstagramPinterestLinkedinFlickrYoutubeEmailVimeoRssSnapchat
  • Home
  • समाचार
    • जनपद
    • राज्य
  • साहित्य – संस्कृति
    • स्मृति
    • लोकरंग
    • यात्रा संस्मरण
    • व्यंग्य
  • जीएनएल स्पेशल
  • चुनाव
    • लोकसभा चुनाव 2024
    • विधानसभा चुनाव 2022
    • नगर निकाय चुनाव 2023
    • लोकसभा चुनाव 2019
    • गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव 2018
    • यूपी विधानसभा चुनाव 2017
  • विचार
  • स्वास्थ्य
  • पर्यावरण
  • विज्ञान – टेक्नोलॉजी
  • साक्षात्कार
  • सपोर्ट गोरखपुर न्यूज लाइन
Gorakhpur NewsLine
  • Home
  • समाचार
    • जनपद
    • राज्य
  • साहित्य – संस्कृति
    • स्मृति
    • लोकरंग
    • यात्रा संस्मरण
    • व्यंग्य
  • जीएनएल स्पेशल
  • चुनाव
    • लोकसभा चुनाव 2024
    • विधानसभा चुनाव 2022
    • नगर निकाय चुनाव 2023
    • लोकसभा चुनाव 2019
    • गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव 2018
    • यूपी विधानसभा चुनाव 2017
  • विचार
  • स्वास्थ्य
  • पर्यावरण
  • विज्ञान – टेक्नोलॉजी
  • साक्षात्कार
  • सपोर्ट गोरखपुर न्यूज लाइन
@2025 - gorakhpurnewsline.com. All Right Reserved. Designed and Developed by PenciDesign
FacebookTwitterInstagramPinterestLinkedinFlickrYoutubeEmailVimeoRssSnapchat