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गीता प्रेस प्रबंधन और कर्मचारी प्रतिनिधियों की बातचीत विफल, हड़ताल जारी

पांच ठेका कर्मचारियों की बर्खास्तगी वापस लेने को तैयार नहीं हुआ प्रबंधन
साथियों की बिना शर्त काम वापसी पर ही हड़ताल खत्म करने पर पर दृढ़ हैं कर्मचारी

गोरखपुर, 1 सितम्बर। उप श्रम आयुक्त व एडीएम सिटी की उपस्थिति में गीता प्रेस प्रबन्धन और कर्मचारियों के बीच आज हुई बातचीत विफल हो गई। कर्मचारियों ने 12 स्थायी कर्मचारियों का निलम्बन और पांच ठेका मजदूरों की बर्खास्तगी की अपनी मांग से पीछे हटने से इंकार कर दिया। तीन चक्रों में हुई वार्ता के दौरान उप श्रम आयुक्त द्वारा सुझाए गए फार्मूले पर भी कोई सहमति नहीं बन सकी। अब चार सितम्बर को फिर वार्ता की तिथि निश्चित की गई है।

गीता प्रेस के 200 स्थायी और 337 ठेका कर्मचारी 8 अगस्त से हड़ताल पर हैं जिसके कारण गीता प्रेस बंद है और यहां कोई कार्य नहीं हो रहा है। वर्ष 92 से लम्बित एरियर, वेतन वृद्धि, तीन दशक से अधिक समय से कार्य कर रहे कैजुअल कर्मचारियों को अवैध तरीके से ठेका मजदूर में तब्दील कर देने और उन्हें 2000 से 3000 रूपए मासिक वेतन दिए जाने के खिलाफ कर्मचारियों में तीव्र आक्रोश है। कर्मचारी दिसम्बर 2014 से आंदोलन कर रहे हैं। बाद में प्रबंधन ने उनकी मांगों पर गौर करने और वेतन वृद्धि का भरोसा दिया लेकिन बाद में शर्त लगा दी कि कर्मचारी वर्ष 92 से लम्बित एरियर के दावे को वापस ले लें तभी वेतन वृद्धि की जाएगी। कर्मचारियों ने जब इस शर्त को मानने से इनकार कर दिया तो आठ अगस्त को सहायक प्रबंधक मेघ सिंह से उनका विवाद हुआ। सहायक प्रबंधक मेघ सिंह का आरोप है कि कर्मचारियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। इस आधार पर प्रबंधन ने 12 स्थायी कर्मचारियों को निलम्बित और पांच ठेका कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया। प्रबंधन के इस तानाशाही रवैये के खिलाफ कर्मचारी आठ अगस्त से हड़ताल पर हैं।

आठ अगस्त के बाद उपश्रमायुक्त कार्यालय में उपश्रमायुक्त की उपस्थिति में कई बार प्रबन्धन और कर्मचारी प्रतिनिधियों में बातचीत हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। प्रबंधन बर्खास्त किए गए पांच ठेका मजदूरों को काम पर वापस लेने को तैयार नहीं हैं और कर्मचारी सभी की काम पर वापसी के बिना हड़ताल खत्म करने पर तैयार नहीं है। गीता प्रेस को बंद कर देने, गीता प्रेस को किसी दूसरे स्थान पर शिफ्ट कर देने की धमकियों के बाद भी कर्मचारी अपनी मांग से पीछे नहीं हटे और अपनी एकता को बनाए रखा।

आज उप श्रमायुक्त कार्यालय पर फिर से बातचीत के लिए दोनों पक्षों को बुलाया गया था। प्रशासन की ओर से एडीएम सिटी बीएन सिंह भी वार्ता में शामिल हुए। गीता प्रेस प्रबन्धन की ओर से विधिक सलाहकार एसके माथुर वार्ता में शामिल हुए। बातचीत में प्रबंधन बर्खास्त किए गए पांच ठेका कर्मचारियों को काम पर वापस नहीं लेने की अपनी जिद पर अडा़ रहा। कर्मचारी प्रतिनिधियों ने साफ तौर पर कहा कि 12 स्थायी कर्मचारियों को निलम्बन और पांच ठेका कर्मचारियों की बर्खास्तगी वापस लिए बिना वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे। कर्मचारी प्रतिनिधियों ने यह जरूर कहा कि उनकी ओर से सहायक प्रबंधन से कोई दुव्र्यवहार नहीं किया गया है, फिर भी वह माफी मांगने को तैयार हैं लेकिन निलम्बन और बर्खास्तगी की वापसी की मांग से वह पीछे नहीं हटेंगे।

वार्ता के दौरान उप श्रमायुक्त की ओर से सहमति बनाने के लिए एक फार्मूला रखा गया कि यदि गीता प्रेस प्रबंधन पांच ठेका मजदूरों को काम पर वापस नहीं लेता है तो उनके कुला सेवा काल के आधार पर उतने महीने का वेतन दे। ठेका कर्मचारियों ने यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया और कहा कि यदि प्रबंधन पांच ठेका कर्मचारियों को इस फार्मूले के तहत हटाना चाहता है तो सभी 337 ठेका कर्मचारियों को हटाना पड़ेगा। इसके बाद बातचीत में गतिरोध आ गया।
गीता प्रेस के विधि सलाहकार इस बीच दो बार गीता प्रेस के ट्रस्टियों से बात करने के लिए गए। शाम चार बजे तीसरी बार वार्ता शुरू हुई लेकिन डेढ़ घंटे के बाद भी कोई सहमति नहीं बन सकी। इसके बाद फिर चार सितम्बर को वार्ता की तिथि तय की गई।

आज उपश्रमायुक्त कार्यालय पर मीडिया कर्मियों को भारी जमावड़ा था। तीसरे चक्र के बातचीत के विफल होने के बाद बाहर निकले गीता प्रेस के विधि सलाहकार एसके माथुर ने मीडिया कर्मियों के किसी सवाल का जवाब नहीं दिया। उप श्रमायुक्त और एडीएम सिटी ने भी वार्ता के विंदुओं के बारे में जानकारी देने से मना किया और कहा कि उम्मीद है कि कोई न कोई हल निकल आएगा। गीता प्रेस कर्मचारियों के नेता रमन श्रीवास्तव, रवीन्द्र सिंह ने कहा कि प्रबंधन के अड़ियल रवैये के कारण सहमति नहीं बन पा रही है। हम अपनी मांग से पीछे नहीं हटेंगे। हमारी एकता को तोड़ने की साजिश सफल नहीं होगी।

उधर गीता प्रेस प्रबंधन की ओर से दो दिन पहले लिखित बयान जारी कर कहा गया है कि गीता प्रेस बंद होने की सूचना सही नहीं है। कर्मचारियों की हड़ताल के कारण कामकाज आठ अगस्त से ठप है। विज्ञप्ति में यह भी कहा किया है कि गीता प्रेस आर्थिक संकट में नहीं है। सोशल मीडिया में गीता पे्रस को चंदा देने की अपील प्रबंधन की ओर से जारी नहीं की गई है।

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