सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर, 25 अप्रैल । गोरखपुर के विनोद वन के वन्य जीव, पशु पक्षी 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर की उबलती गर्मी से परेशान हैं। विनोद वन के हिरन हो, अजगर हो, पशु पक्षी या फिर अन्य वन जीव हों, सभी का हाल बेहाल है। ऊपर से वन अधिकारियो और कर्मचारियों की उदासीनता, हिरनों को पानी तक नहीं मिल प रहा है। पीने के पानी वाले स्थान सूखे पड़े है।

गोरखपुर जिला मुख्यालय से तक़रीबन 15 किलोमीटर की दुरी पर कुशीनगर मार्ग पर स्थित कुसम्ही जंगल में स्थित विनोद वन को तीन दशक पहले मुख्यमन्त्री स्व वीर बहादुर सिंह ने महानगर वाशियों के आमोद-प्रमोद के कुछ क्षण बिताने के लिए बनवाया था। तक़रीबन ढाई हजार हेक्टेयर फैले इस विनोद वन में एक मिनी चिड़िया घर बनाया गया था । पहले यहाँ बड़ी संख्या में वन्य जीव व पक्षी देखने को मिलते थे लेकिन आज सरकारी उदासीनता के चलते महज गिने चुने पशु पक्षी यहा बचे है, और वो भी इस गर्मी में बेहाल है। उनकी देख रेख करने में वन विभाग विफल साबित हुआ है | अब ऐसे में ये वन्य जीव कहा पर जाए | ये एक बड़ा सवाल है और इनके देख रेख के लिए बकायदे, हर साल बजट भी आता है, बावजूद इसके ये पैसा कहा जाता है, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

विनोद वन में मौजूद हिरनों की संख्या महज 16 में ही सिमट कर रही गई है। अजगर बाड़ा भी खाली हो गया है। साथ ही मोर के बाड़े में केवल एक ही मोर और चन्द तोते और खरगोश ही बचे है।इनमें खरगोश इलाज़ के अभाव में बीमार है।
इस सम्बन्ध में जब जिले के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) जनार्दन शर्मा ने कहा कि देखिये बजट में जितना धन मिलता है उसे वन्य जीवो पर खर्च किया जाता है।रही बात संसाधनो के अभाव की तो अपने स्तर से इसकी बेहतरी के लिए कोशिश की जा रही है।