गोरखपुर 27 जून। गीता प्रेस प्रबंधन दावरा बर्खास्त किए गए सात कर्मचारियों ने सोमवार को गीता प्रेस के सामने आत्मदाह की कोशिश की. कर्मचारियों ने जैसे ही खुद पर मिट्टी का तेल डाला, मौके पर मौजूद सिटी मजिस्ट्रेट और पुलिस ने फौरन आत्मदाह की कोशिश कर रहे कर्मचारियों को हिरासत में लिया।
इस दौरान मौके पर जमकर हंगामा हुआ। कम वेतन भुगतान को लेकर पिछले एक साल से प्रबंधन और कर्मचारियों में विवाद चल रहा है. प्रबंधन ने कुछ दिनों पहले 15 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था. जिस पर अपनी बहाली को लेकर बर्खास्त कर्मचारी आंदोलित थे. वेतन वृद्धि, आवासीय भत्ता और पिछले वर्ष दिसम्बर में हुए एक विद्रोह के कारण निकाले गए कर्मचारियों की बहाली जैसे कई मुद्दों पर प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच तलवारें खिंची हुई हैं.वहीं प्रबंधन आंदोलनकारी कर्मचारियों की बहाल नहीं कर रहा था, जिस पर बर्खास्त कर्मचारियों ने आत्मदाह की कोशिश की.
कर्मचारियों ने गीता प्रेस प्रबंधन पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुये कर्मचारियों के शोषण करने की बात कही है.
मौके पर मौजूद सिटी मजिस्ट्रेट अभय मिश्रा ने कहा है कि बर्खास्त कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया है. बातचीत कर समस्या को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है.
गौरतलब है कि साल 1923 में स्थापित गीता प्रेस,गोविंद भवन कार्यालय की इकाई है, जो कि सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत पंजीकृत है. संस्थान के न्यासियों के मुताबिक, इसका मुख्य उद्देश्य गीता, रामायण उपनिषद, पुराण, प्रख्यात संतों के प्रवचन और व्यक्त्वि विकास की अन्य पुस्तकों के सिद्धांतों के प्रचार- प्रसार के लिए, इन्हें कम दरों पर उपलब्ध कराना है. इन वर्षो में संस्थान ने विभिन्न उपनिषदों और पुराणों की 58 करोड़ प्रतिलिपियों के साथ ही गीता और रामायण की करोड़ों प्रतियां प्रकाशित की हैं.
गीता प्रेस संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती,तमिल, मराठी, बंगाली समेत कई भाषाओं में प्रकाशन करता है. हिंदी में ‘कल्याण’ और अंग्रेजी में ‘कल्याण-कल्पतरु’ मासिक पत्रिकाएं हैं.