Friday, September 29, 2023
Homeसाहित्य - संस्कृति' सत्ता निर्लज्जता से साहित्य और मीडिया का दमन कर रही है...

‘ सत्ता निर्लज्जता से साहित्य और मीडिया का दमन कर रही है ‘

आरएसएस का निच्छद्दम राज है और विपक्ष गायब है- प्रो. चौथी राम यादव
‘वनांचल लेखक एवं पत्रकार मंच’ तथा ‘रीडिंग रूम्स पब्लिकेशन, नई दिल्ली’ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘साहित्य और मीडिया में सत्ता की घुसपैठ’ विषयक गोष्ठी का हुआ आयोजन
वाराणसी, 26 सितंबर। लोकसभा चुनाव-2014 के बाद परिस्थितियां तेजी से बदली हैं और यह पहली बार है कि लेखकों के लिखने और बोलने एवं उनकी अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं और लेखकों की हत्याएं हो रही हैं। यह शुद्ध रूप से उग्र हिंदुत्ववादी आरएसएस की सरकार है जो कि अपनी पूर्ववर्ती एनडीए सरकार से भी भिन्न है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय भी लेखकों और मीडिया पर इस तरीके के हमले नहीं हुए। आरएसएस का निच्छद्दम राज है और विपक्ष गायब है।

15
ये बातें वरिष्ठ साहित्यकार एवं आलोचक प्रो. चौथी यादव ने सोमवार को मैदागिन स्थित पराड़कर स्मृति सभागार में ‘वनांचल लेखक एवं पत्रकार मंच’ तथा ‘रीडिंग रूम्स पब्लिकेशन, नई दिल्ली’ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘साहित्य और मीडिया में सत्ता की घुसपैठ’ विषयक गोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता कही। उन्होंने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने चाय का नारा दिया जो बिहार विधानसभा आते आते गाय में बदल गया। पहली बार तो चाय चल गई लेकिन गाय पर जनता ने मोदी को बॉय बॉय कर दिया। उन्होंने संक्षेप में इसे कहा, लोकसभा में चाय-चाय, विधानसभा में गाय-गाय, जनता ने कर दिया बॉय-बॉय।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार संजय अस्थाना ने कहा साहित्य और मीडिया में सत्ता एवं कॉर्पोरेट घरानों की घुसपैठ लेखकों और पत्रकारों के लेखन को प्रभावित कर रही है। इसकी वजह से ये लोग जनता में जाना छोड़ रहे हैं जो एक लोकतंत्र के लिए घातक है। दरअसल भारतीय लोकतंत्र में निचले पायदान पर जीने वाले आदिवासियों और गरीबों में राजनीतिक चेतना बढ़ी है लेकिन सत्ता के दबाव में मीडिया और साहित्य जगत के लोग उसे सामने नहीं ला रहे हैं। पत्रकारों और लेखकों को जनता से जुड़ना होगा। नहीं तो सत्ता का वर्तमान रूप और गहरा संकट खड़ा करता जाएगा।
दिल्ली से आए हस्तक्षेप डॉट कॉम के संपादक और राजनीतिक विश्लेषक अमलेंदु उपाध्याय ने कहा कि सत्ता की घुसपैठ मीडिया और साहित्य में पहले ही हो चुकी है लेकिन पहले सत्ता सभ्य आवरण ओढ़े रहती थी लेकिन लोकसभा चुनाव-2014 के बाद सत्ता निर्लज्ज रूप से क्रूरतापूर्वक साहित्य और मीडिया में न केवल घुसपैठ कर रही है बल्कि दमन भी कर रही है। ये दमन की संस्कृति केवल केंद्रीय सत्ता तक सीमित नहीं है। बल्कि राज्यों में भी सरकारें इसी दमन की संस्कृति को अपना रही हैं।
दिल्ली निवासी पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव ने सत्ता के वर्तमान स्वरूप को सामने रखा। उन्होंने कहा कि साहित्य और मीडिया में सत्ता में काबिज राजनीतिक पार्टियों के दखलंदाजी बढ़ती जा रही जो केंद्र की वर्तमान सरकार में ज्यादा दिखाई पड़ रही है। देश की कुछ प्रतिष्ठित पत्रिकाओं को नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र की वर्तमान सरकार के मुखिया ने चुन-चुनकर अपने लोगों को इन पत्रकारों के उच्च पदों पर बैठाया और उनमें मनमाफिक रिपोर्टों को प्रकाशन कर रहा हैं जो भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है।
सामाजिक एवं राजनीतिक चिंतक चौधरी राजेंद्र ने बात को आगे बढ़ाते हुए नेहरू और इंदिरा के जमाने में साहित्य और पत्रकारिता में सत्ता की घुसपैठ के उदाहरण गिनाए। उन्होंने कहा कि साहित्य से नमक नहीं खरीदा जा सकता। ऐसे में लेखक और मीडिया समाज को क्या बदलेंगे जब मक्सिम बुर्की रूस को टूटने से नहीं बचा पाए। राजनीतिक कार्यकर्ता सुनील यादव ने सवाल उठाया कि सत्ता अगर मीडिया में घुसपैठ कर रही है तो पत्रकारों में भी सत्ता के सामने अपना समर्थन कर दिया। उन्होंने कहा कि साहित्य मीडिया की तुलना में ज्यादा जनपक्षधर है। उन्होंने सत्ता के देखने के नजरिये पर बात की और कहा कि सबसे अहम सवाल सत्ता के पुनर्गठन का है और यह है कि वे औजार क्या हों जिससे सत्ता को बदला जाए। कार्यक्रम का संचालन रीडिंग रूम्स पब्लिकेशन के प्रकाशक अवनीश कुमार ने किया।

कथाकार मनीष ‘आवारा’ के कहानी संग्रह ‘वापसी’ का हुआ विमोचन
इस कार्यक्रम में युवा कथाकार मनीष ‘आवारा’ के पहले कहानी संग्रह ‘वापसी’ का विमोचन किया गया। सोनभद्र के जिला पंचायत अध्यक्ष अनिल यादव के मुख्य अतिथित्व में आयोजित हुए इस समारोह में मनीष ‘आवारा’ के कहानी संग्रह पर कथाकार रामानुज मिश्र ने संग्रह में शामिल एक कहानी ‘समर्पण’ पर विशेष चर्चा करते हुए कहा कि मनीष की कहानियों में ग्रामीण संवेदना झलकती है और स्त्री पात्रों की प्रधानता है।

12

उन्होंने संग्रह की तकरीबन सभी कहानियों को सशक्त बताया और प्रेमचंद की विरासत से जुड़ा। त्रैमासिक पत्रिका ‘असुविधा’ के संपादक एवं वरिष्ठ साहित्यकार राम नाथ ‘शिवेंद्र’ ने कहा कि यह संग्रह ग्रामीण जीवन को आदर्श तरीके से देखने और पूंजीवाद के हमले के चलते पैदा हुई प्रवृत्तियों को पहचानने का काम करता है। अपने लंबे वक्तव्य में उन्होंने मनीष की कहानियों के साथ गांवों की वर्तमान स्थिति की तुलना करते हुए बताया गांवों में अब कुछ बचा नहीं है और किसानों पर उद्योगों के हो रहे हमलों ने उन्हें बर्बाद कर दिया है। ऐसे में गांव केंद्रित कहानियों का लिखा जाना स्वागत योग्य है। समारोह के मुख्य अतिथि एवं जिला पंचायत अध्यक्ष, सोनभद्र अनिल यादव ने कहा कि मनीष ‘आवारा’ की कहानियां यथार्थ से परिचय कराती हैं और उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में सोनभद्र का नाम ऊंचा किया है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रो. चौथी राम यादव ने मनीष ‘आवारा’ को उनके पहले कहानी संग्रह के लिए शुभकामना दी और कहा कि ग्रामीण परिवेश से जुड़ी उनकी कहानियां हिंदी साहित्य में मुंशी प्रेम चंद की याद दिलाती हैं। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से कमलेश कुमार सिंह, डॉ. विनोद यादव, अजय सिंह, राज किशोर यादव, मोनू, उमा, चंदन, दीपक, अभिषेक, राजीव कुमार, गोलू आदि लोग उपस्थित रहे।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments

x cafe porn xxxhindiporn.net hot sex video tamil
bf video dekhna tubanator.com xxxbaba
xnxx v pornstarstube.info antarvasna free clips
baby xvideos pornkar.net mallumv. in
nude dancing kompoz2.com sexual intercourse vedio
marathixxx pornovuku.com vip braze
telugu latest xvideos borwap.pro indian threesome sex
yours porn pornfactory.info nangi sexy video
telugu blu films rajwap.biz xvideos.com desi
sexy images of madhuri desixxxtube.info kutta ladki sex video
download xnxx video indianpornxvideos.net jcb ki khudai
xxx desi video 3gp pakistanipornx.net the villain kannada full movie download
tubxporb motherless.pro secy sex
سكس كر nazikhoca.com صور مصريات عاريات
katrina xvideos collegeporntrends.com sunporno indian