Sunday, October 1, 2023
Homeसमाचारमुक्तिबोध की कविता नए भारत की खोज है: रामजी राय

मुक्तिबोध की कविता नए भारत की खोज है: रामजी राय

प्रेमचन्द पार्क में ‘ मुक्तिबोध: जन्म शताब्दी स्मरण ’ कार्यक्रम का आयोजन
युवा कथाकार मीनल गुप्ता ने कहानी ‘ लाल पशमीना ’ का पाठ किया

गोरखपुर, 6 जून। मुक्तिबोध ने जो कुछ कहा वह उनकी ही बात नहीं थी बल्कि हमारी और आपकी भी बात थी। मुक्तिबोध का ‘ मैं ’ जटिल है। उन्होंने ‘ मैं ’ को अपना ‘ मैं ’ नहीं रहने दिया। उनके यहां व्यक्तित्व के आत्मविस्तार का संघर्ष विश्वदृष्टि के विस्तार के संघर्ष से अनुस्यूत है। मुक्तिबोध की कविता अस्मिता की तलाश नहीं, नए भारत की खोज है। उनके ज्ञान का समाजशास्त्र व्यापक है। वह एक तरह से भारत का सर्वेक्षण, विश्लेषण हैं।
यह बातें समकालीन जनमत के प्रधान सम्पादक रामजी राय ने ‘ मुक्तिबोध: जन्म शताब्दी स्मरण ’ श्रृंखला में आज शाम प्रेमचन्द पार्क में आयोजित कार्यक्रम में प्रख्यात कवि मुक्तिबोध पर बोलते हुए कही। यह आयोजन जन संस्कृति मंच और प्रेमचन्द साहित्य संस्थान ने किया था। इस मौके पर युवा कथाकार मीनल गुप्ता ने अपनी कहानी ‘ लाल पशमीना ’ का पाठ किया जिस पर चर्चा भी हुई।

meenal gupta kahani path
रामजी राय ने कहा कि मुक्तिबोध की बात सबके साथ होते हुए भी अपनी थी और अपनी होते हुए भी सबकी थी। उनक यह द्वंद हर जगह हर रूप में दिखाई देता है। उनकी कविताओं के शिल्प में भी यह दिखाई देता है। एक ही कविता में कई कई शिल्प मिलते हैं। मुक्तिबोध की कविताओं में टूटना और नए का बनना एक साथ होता है। ‘ अंधेरे में ’ कहीं वक्तव्य है तो कहीं उद्बोधन। कहीं सामन्यतया निवेदन तो कहीं जूझ पड़ने का आत्मनिर्णय। कभी लगता है कि कविता के भीतर लेख लिख रहे हैं।  उसी के अनुरूप उनकी भाषा कहीं नाटकीय, कहीं कहानी और कहीं लेख की तरह है। उनके यहां टूटना और नए का बनना एक साथ होता है। कविता एक साथ कब बाहर जाती है कब भीतर चली आती है इसको समझने के लिए सचेत रहना होगा। मुक्तिबोध भाषा और शिल्प में कई-कई स्तर पर सक्रिय रहते हैं।

मुक्तिबोध शताब्दी समरण 2

रामजी राय ने कहा कि कुछ बड़े आलोचकों ने मुक्तिबोध की कविता को समझने में अपनी आलोचना के जरिए बाधा डाली है। मुक्तिबोध की कविता अस्मिता की तलाश नहीं, नए भारत की खोज है। इतिहास का निर्माण स्मृतियों से ही नहीं सचेत विस्मृतियों से भी होता है। मुक्तिबोध के यहां सचेत विस्मृतियां हैं। वह कहते हैं कि बिना संहार के सर्जन असंभव है और समन्वय झूठ है।
उन्होंने कहा कि मुक्तिबोध का मानना था कि जो आजादी आनी थी, वह नहीं आई। ऐसा मुक्तिबोध ही नहीं, प्रेमचंद, फैज और शैलेन्द्र को भी लगता था। वह चेतन, अवचेतन, अचेतन की बात करते हुए कहते हैं कि हमारे चेतन में साधे और समझौते आ गए हैं और अवचेतन से विद्रोही भाव फेंक दिया गया है। मुक्तिबोध दूसरे धरातल पर बहुत कठिन तो एक स्तर पर बहुत सरल कवि हैं। यही वजह है उनकी काव्य पंक्तियों के सबसे ज्यादा पोस्टर बने।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कथाकार मदन मोहन ने कहा कि मुक्तिबोध ऐसे रचनाकार हैं जिनके बिना आधुनिक साहित्य की चर्चा संभव ही नहीं है।

मीनल गुप्ता की कहानी ‘ लाल पश्मीना ’

कार्यक्रम के दूसरे चरण में युवा कथाकार मीनल गुप्ता ने अपनी कहानी ‘ लाल पश्मीना ’ का पाठ किया। जेएनयू की छात्रा मीनल की यह पहली कहानी है तो कुछ दिन पहले वेबसाइट  मेरा रंग  में प्रकाशित हुई थी। कहानी यहाँ पढ़ें

http://meraranng.in/index.php/2017/05/26/short-story-red-pashmina/

यह कहानी एक ऐसा परिवार की कहानी है जिसमें परिवार के मुखिया अपने विचार और रूचियां सब पर थोपते हैं। उनकी देश के हर मुद्दों-राष्ट्रवाद से लेकर काश्मीर पर खास राय है। उनकी पत्नी एक काश्मीरी फेरीवाले फरहान में अपने भाई का अक्स देखती हैं और पति की नापसंदगी के बावजूद चुपके चुपके उसके कपड़े खरीदती हैं। फेरीवाले द्वारा दिए गए लाल पशमीना को वह हमेशा अपने पास रखती हैं। वह अगली सर्दियों में फरहान के आने की राह देख रही हैं और इस दौरान अखबारों में रोज हिंसा की खबरें उन्हें आशंकित किए रहती हैं।

meenal

कहानी पर चर्चा करते हुए रामजी राय ने कहा कि आज साम्प्रदायिक विद्वेष को हमारे दिल दिमाग में कामन सेंस बना देने की कोशिश की जा रही है। मीनल की कहानी इसी कोशिश से टक्कर लेती है। प्रो अशोक सक्सेना ने कहा कि यह कहानी मध्यवर्गीय सुविधा में जकड़े उन लोगों की कहानी है जो मानसिक रूप से बीमार हैं। उन्होंने कहा अच्छी रचना के लिए सृजनात्मक विस्मृति जरूरी है।

pr ashok saxena

आनन्द पांडेय को यह कहानी सुनकर ‘ काबुलीवाला ’  और ‘ उसने कहा था ’ याद आयी। राजाराम चैधरी और डा. संध्या पांडेय ने कहानी का मर्मस्पर्शी बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कथाकार मदन मोहन ने कहा कि मीनल की कहानी का विषय आज के उन नए कथाकारों से अलग है तो बजबजाते समय में भी खूबियों की तलाश कर रहे हैं। उन्होंने कहानी के बुनावट की प्रशंसा की।

कार्यक्रम के अंत में शोध छात्र संदीप राय ने अपनी कविता ‘ मुस्कान ’ पढ़ी। कार्यक्रम का संचालन मनोज कुमार सिंह ने किया।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments

x cafe porn xxxhindiporn.net hot sex video tamil
bf video dekhna tubanator.com xxxbaba
xnxx v pornstarstube.info antarvasna free clips
baby xvideos pornkar.net mallumv. in
nude dancing kompoz2.com sexual intercourse vedio
marathixxx pornovuku.com vip braze
telugu latest xvideos borwap.pro indian threesome sex
yours porn pornfactory.info nangi sexy video
telugu blu films rajwap.biz xvideos.com desi
sexy images of madhuri desixxxtube.info kutta ladki sex video
download xnxx video indianpornxvideos.net jcb ki khudai
xxx desi video 3gp pakistanipornx.net the villain kannada full movie download
tubxporb motherless.pro secy sex
سكس كر nazikhoca.com صور مصريات عاريات
katrina xvideos collegeporntrends.com sunporno indian