-रजिस्ट्रेशन में रुकावट बनी मदरसा पोर्टल की खामियां, तारीख आगे नहीं बढ़ी तो 114 मदरसों की मान्यता खतरे में पड़ जाएगी
सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर, 15 सितम्बर। मदरसा पोर्टल पर अनिवार्य रुप से मदरसे के रजिस्ट्रेशन की मियाद शुक्रवार को खत्म हो गयी। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गोरखपुर शहर में मौजूद 205 में से 91 मदरसों ने ही रजिस्ट्रेशन करवा कर कर पूरा डाटा अपलोड किया है जिसे विभाग द्वारा अभी लॉक नहीं किया गया हैं। अब यह सवाल उठता हैं कि बाकी बचे 114 मदरसों का क्या होगा? खबर लिखें जाने तक सरकार ने रजिस्ट्रेशन की तारीख नहीं बढ़ायी हैं। रजिस्ट्रेशन तिथि नहीं बढ़ी तो उक्त 114 मदरसों की मान्यता खतरे में पड़ सकती हैं ।
मदरसा पोर्टल की खामियां रजिस्ट्रेशन में बड़ी रुकावट बन रही हैं। लखनऊ के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने 12 सितंबर को 8 खामियों के साथ तो शुक्रवार को सिद्दार्थनगर के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने 7 खामियों के साथ रजिस्ट्रार उप्र मदरसा शिक्षा परिषद को चिट्ठी लिखी ताकि रजिस्ट्रेशन की तिथि आगे बढ़ा कर खामियां दूर की जायें। खबर लिखें जाने तक रजिस्ट्रेशन तिथि नहीं बढ़ायीं गयीं हैं लेकिन तिथि बढ़ने की आस सबको हैं।
पोर्टल के माध्यम से परिषद की मुंशी/ मौलवी/आलिम/कामिल एवं फाजिल स्तर की वर्ष 2018 की परीक्षा सम्पन्न करायी जानी हैं। इसी पोर्टल से राज्य सरकार द्वारा अनुदानित मदरसों के शिक्षकों/कर्मचारियों का वेतन भुगतान किया जायेगा तथा आधुनिकीकरण/मिनी आई0टी0आई0 योजनान्तर्गत शिक्षक/ कर्मचारीयो को भी मानदेय का भुगतान किया जायेगा। जाहिर हैं यह तमाम सहूलियतें रजिस्ट्रेशन करवाने व डाटा अपलोड करने वाले मदरसे को ही मिलेंगी। अगर रजिस्ट्रेशन तिथि नहीं बढ़ी तो जनपद के 114 मदरसे तमाम सरकारी सहूलियत से महरुम हो सकते हैं।
मदरसा पोर्टल में राज्य के तमाम अनुदानित और गैर अनुदानित मदरसों को ऑनलाइन किया जाना हैं। गोरखपुर में 205 मदरसे हैं जिसमें 10 अनुदानित व 195 के करीब गैर अनुदानित मदरसे हैं जिनकी कई बार जांच प्रदेश सरकार करवा चुकी हैं। उत्तर प्रदेश में कुल 6725 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। प्रदेश के 560 मदरसों को सरकार अनुदान देती हैं जिसमें 46 का अनुदान रोक दिया गया हैं। ऑनलाइन पोर्टल पर मदरसों की फोटो भी अपलोड की जा रही हैं। इसके अलावा वेबसाइट पर शिक्षकों के स्वीकृत पद, तमाम तैनात कर्मचारी और रिक्त पदों का भी ब्यौरा भी भरा जा रहा हैं। पोर्टल पर तमाम कर्मचारी और शिक्षक वेतन सहित तमाम बिलों के भुगतान के लिए भी आवेदन कर सकते हैं, इसका निपटारा ऑनलाइन करने की भी व्यवस्था की गई है। यही नहीं अधिकारियों की मंजूरी के बाद कर्मचारियों और शिक्षकों के वेतन को भी सीधे उनके खाते में ट्रांसफर किया जाएगा।
सरकार ने 18 अगस्त को मदरसा पोर्टल madarsaboard.upsdc.gov.in लांच किया और फौरन ही रजिस्ट्रेशन की डेडलाइन भी जारी कर दी। मदरसों को 15 सितम्बर तक पोर्टल पर मदरसों द्वारा अपनी समस्त सूचनायें अपलोड कर देनी की हिदायत दी गयी। वहीं जारी निर्देश में यह भी कहा गया था कि 25 सितम्बर तक मदरसों द्वारा आपत्तियों के सबंध में अपना प्रत्यावेदन प्रस्तुत करना हैं। 30 सितम्बर तक जनपदीय अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी द्वारा परीक्षणोपरांत मदरसों का अग्रसारित डाटा डिजटलीय आईडी पर अग्रसारित किया जाना हैं। 10 अक्टूबर तक मदरसों द्वारा आपत्तियों के क्रम में रजिस्ट्रार/निदेशक को अपना प्रत्यावेदन प्रस्तुत किया जाना हैं वहीं प्राप्त डाटा को रजिस्ट्रार/निदेशक स्तर पर फाइनल लॉक किए जाने की डेडलाइन 20 अक्टूबर तक हैं।
सपा के पूर्व जिला सचिव हाजी तहव्वर हुसैन ने कहा कि उप्र की भाजपा सरकार मुसलमानों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही हैं। जिसका उदाहरण हैं मदरसों की बार-बार जांच करवा कर परेशान करना। मदरसा पोर्टल पर ऑनलाइन डाटा फीड कराना तो खुशी की बात हैं लेकिन भाजपा सरकार संस्कृत विद्यालयों को ऑनलाइन क्यों नहीं करवाती? क्यों नहीं उन विद्यालयों की जॉच की जाती हैं?
श्री हुसैन ने कहा कि भारत के पीएम नरेंद्र मोदी सबका साथ सबका विकास की बात करते हैं और दूसरी तरफ भाजपा सरकार मुसलमानों को तरह-तरह से परेशान करती है, जिसका उदाहरण हैं 46 मदरसों के अनुदान पर रोक लगाना । इन मदरसों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया हैं। इस परेशानी की जिम्मेदार भाजपा सरकार हैं। मदरसे में गरीब परिवार के बच्चे पढ़ते हैं। सरकार से जनता का मोह भंग हो गया हैं तो भाजपा सरकार समाज में नफरत फैला कर मुसलमानों का उत्पीड़न करके जनता का ध्यान हटाना चाहती हैं।
मदरसा शिक्षक मोहम्मद आजम खान का कहना हैं कि मदरसा संचालकों ने अगस्त माह में गोरखपुर के एक मदरसे में बाकयदा मीटिंग करके सरकार के कार्याकलाप पर नाराजगी का इजहार किया था, लेकिन सरकार पर कोई असर नहीं हुआ । उप्र में भाजपा सरकार बनते ही पहले अनुदानित मदरसों की जांच, मदरसा आधुनिकीकरण की जांच, मदरसा मिनी आईटीआई की जांच, मदरसों में स्वतंत्रता दिवस की वीडियो व फोटोग्राफी करवाने का आदेश देना। वीडियो व फोटोग्राफी न करवाने वाले मदरसों पर कार्यवाई व अनुदान बंद करने की धमकी देना, एक जांच से संतुष्ट न होना, कई बार जांच करवाना, जांच के नाम पर वेतन व मानदेय रोक देना, सरकार का मदरसों के साथ सौतेला रवैया हैं। सरकार ने छात्रवृत्ति का फार्म पेचीदा व उलझाऊ कर दिया हैं जिसकी वजह से मदरसे के लोगों ने फार्म भरना ही छोड़ दिया है।
एक मदरसा संचालक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार राज्य में चल रहे मदरसों को लेकर बेहद सख्त है। मदरसों की कई बार जांच हो चुकी हैं। कई जांच पेडिंग हैं। ऐसे में नये-नये फरमान से मदरसा संचालकों को हर बार परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है जिससे बच्चों की पढ़ाई व्यवस्था बाधित हो रही हैं। अभी तक न तो सरकार ने ड्रेस व किताब के मद में बजट में भेजा हैं।