लोकसभा चुनाव 2019

नदी कटान से एपी तटबंध, घर-खेती बचाने के लिए 50 गांवों में गूंजा चुनाव बहिष्कार का नारा

कुशीनगर। नारायणी (बड़ी गंडक) नदी की कटान से घर, खेत और एपी तटबंध को बचाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा कोई प्रयास नहीं किए जाने और तटबंध को मजबूत करने के लिए परियोजनाओं की स्वीकृति न दिए जाने से स्थानीय लोग नाराज हैं. एपी तटबंध के किनारे बसे 50 गांवों के लोग पिछले छह दिन से चुनाव बहिष्कार आंदोलन चला रहे हैं.  उनका कहना है कि यदि तटबंध को मजबूत करने की परियोजना जल्द स्वीकृत कर काम शुरू नहीं कराया गया तो वे लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं करेंगे.

पिछले दो वर्ष से नारायणी नदी की धारा मुड़ने से एपी तटबंध के पास कटान हो रही है. तटबंध के अंदर बसे कई गांवों के 300 से अधिक घर और सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि कट कर नदी में समा चुकी है. तटबंध के आस-पास अहिरौलीदान, बाघाचैर, नोनिया पट्टी, फरसाछापर, बाघ खास, विरवट कोन्हवलिया, जवही दयाल, बघवा जगदीश, परसा खिरसिया, जंगली पट्टी, पिपराघाट, दोमाठ, मठिया श्रीराम, वेदूपार, देड़ियारी, सिसवा दीगर, सिसवा अव्वल, खैरटिया, मुहेद छापर आदि गांव स्थित हैं.

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जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार ने नदी की कटान को कभी गंभीरता से नहीं लिया. नदी कटान से प्रभावित लोगों का न तो पुनर्वास किया गया और न उन्हें मुआवजा दिया गया. उल्टे जिला प्रशासन ने तटबंध के पास से बालू खनन के तीन पट्टे स्वीकृत कर दिए. ग्रामीणों ने कांग्रेस विधायक अजय कुमार लल्लू की अगुवाई में बालू ,खनन का विरोध किया और महीनों तक आंदोलन चलाया. आंदोलन का प्रशासन ने दमन किया और विधायक सहित दर्जनों लोगों को गिरफतार किया और उनके उपर केस दर्ज किया. इसके बावजूद ग्रामीण आंदोलन करते रहे और प्रशासन बालू खनन नहीं करा सका.

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बालू खनन तो रूक गया लेकिन नदी की कटान अभी भी जारी है। रोज खेत और घर नदी में समा रहे हैं. कटान से 17 किलोमीटर लम्बा एपी तटबंध कई जगह खतरे में आ गया है. लोग तटबंध को कटान से बचाने के लिए धरना-प्रदर्शन कर जिला प्रशासन को कई बार ज्ञापन दे चुके हैं. विधायक अजय कुमार लल्लू इस मांग को विधानसभा में उठा चुके हैं और सम्बन्धित मंत्रियों को ज्ञापन भी दे चुके हैं लेकिन अभी तक तटबंध को बचाने के लिए कोई परियोजना स्वीकृत नहीं की गई है और न उस पर कार्य शुरू किया गया है.

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इससे खफा ग्रामीणों ने 13 मार्च से आंदोलन शुरू कर दिया. वे चुनाव बहिष्कार का नारा बुलंद कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना की तटबंध के कटने से 50 गांवों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा. चुनाव बहिष्कार आंदोलन में हर रोज एक-एक गांव के ग्रामीण नदी तट पर एकत्र होकर प्रदर्शन करते हैं. आंदोलन के छठवें दिन आज बाघाचैर गांव के ग्रामीण प्रदर्शन कर रहे हैं.

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