लोकसभा चुनाव 2019

वादों के ट्रैक पर दशकों से रुकी है महराजगंज की रेल

रवि प्रताप सिंह

 

महराजगंज. भारत-नेपाल की सीमा से लगने वाला महराजगंज जनपद के लोगों के मन रेल को लेकर एक कसक आज भी है. साल दर साल बढते इंतजार और हर चुनाव में नेताओं के वादों के ट्रैक पर फंसी रेलगाडी दशकों बाद भी महराजगंज नहीं पहुंच सकी है.

90 के दशक में जनपद बनने के साथ ही महराजगंज को रेलवे लाइन से जोडने का मुद्दा जोर शोर से उठा था. महराजगंज जिले दो तरफ से रेल लाइन से जुड़ा है. एक रेल लाइन गोरखपुर से फरेंदा होते नौतनवा अटक आती है. एक दूसरी रेल लाइन गोरखपुर से घुघली, सिसवा होते बिहार की तरफ जाती है. महराजगंज जिला मुख्यालय और नेपाल से सटा जिले का उत्तरी छोर रेल सेवा से वंचित है.

यह मुद्दा चुनाव दर चुनाव बडा तो हुआ लेकिन पुरा नहीं हुआ. इस दौरान ढाई दशक में महराजगंज संसदीय सीट पर सात आम चुनाव भी हुए. हर चुनाव में रेल लाइन यहां मुद्दा बना. पिछले एक दशक से सरकार और यहां सांसद का संयोग भी बना फिर भी रेल महराजगंज नहीं पहुंच पायी।

लोग बताते है कि महराजगंज को रेल से जोडने के लिए पूर्व सांसद स्व० हर्षवर्धन का प्रयास 2013 में थोडा सफल जरुर हुआ था और तत्कालीन रेल बजट में इसे मंजूरी भी मिली। लेकिन फिर यूपी- दिल्ली के खेल में महराजगंज की रेल रुक गई.

इधर एक बार फिर चुनावी दंगल में रेल का वादा जनता से किया जा रहे है. सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रत्याशी महराजगंज जिला मुख्यालय को रेलवे से जोडने का वादा जनता से तो कर रहे लेकिन जनता इनके वादों पर यकीन करे भी तो कैसे, यह बड़ा सवाल है.

(रवि प्रताप सिंह महराजगंज के वरिष्ठ पत्रकार हैं )

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