22 दिन से नौतनवां में  हैं 335 नेपाली नागरिक, नहीं जा पा रहे हैं अपने देश

महराजगंज। नौतनवा में पिछले 22 दिन से रह रहे 335 नेपाली नागरिकों का नेपाल जाने की स्थिति अभी तक नहीं बन पायी है। नेपाल सरकार की ओर से इन नागरिकों को नेपाल आने देने के बारे में कोई निर्णय नहीं हुआ है। बुधवार को इनसे मिलने आए नेपाली अधिकारियों को उनके गुस्से का सामना करना पड़ा। नेपाली नागरिकों ने नेपाल बार्डर पार कर अपने घर नहीं जाने दिए जाने पर नाराजगी जतायी की। उन्होंने नारेबाजी भी की।

 नौतनवां इंटर कालेज में 22 दिन से  335 नेपाली नागरिक रह रहे हैं। ये नागरिक भारत के विभिन्न स्थानों पर काम कर रहे थे और लाॅकडाउन के बीच अपने देश वापस जाने के लिए सोनौली पहुुचे थे लेकिन नेपाल बार्डर बंद होने से अपने देश नहीं जा सके।

ये नेपाली कामगार नोएडा, फरीदाबाद, गुड़गांव आदि स्थानों से होते हुए सोनौली पहुंचे थे लेकिन बार्डर बंद होने के कारण वे भारतीय सीमा में फंस गए। इन नेपाली नागरिकों ने 31 मार्च को सीमा पार करने की कोशिश की। भारतीय सीमा पर तैनात पुलिस और एसएसबी ने उन्हें जाने दिया लेकिन नेपाली सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें लाॅकडाउन का हवाला देते हुए रोक दिया। काफी देर तक जब ये नेपाली नागरिक अपने देश में दाखिल नहीं हो सके तो वे नारेबाजी करने लगे। वे जबरन नेपाल में दाखिल होने की कोशिश भी करने लगे। यह देख नेपाली सुरक्षा कर्मियों ने उन पर लाठीचार्ज किया और उन्हें नो मैंस लैंड की तरफ धकेलते हुए बैरियर गिरा दिया।

रात 8.30 बजे तब ये नेपाली कामगार नो मैंस लैंड पर बैठे रहे। इनके बारे में नेपाली और भारतीय अधिकारियों ने बातचीत की लेकिन कोई हल नहीं निकला। आखिरकार नेपाली कामगारों को भारतीय सीमा में नौतनवा इंटर कालेज लाया गया। तभी से ये नेपाली कामगार यहां पर रह रहे हैं। नौतनवां नगर पंचायत के साथ -साथ विभिन्न नागरिक समूह इनके भोजन-पानी का इंतजाम कर रहे हैं।

बुधवार को इनकी सुधि लेने पहुचे नेपाल के अधिकारी नौतनवां इंटर कालेज पहुंचे। अधिकारियों को देखते ही नेपाली नागरिक भड़क गए। उन्होंने नेपाल सरकार पर अपनी उपेक्षा का आरोप लगाया। नेपाल से आए अधिकारियों में रूपंदेही जिले के प्रशासकीय अधिकृत झबिलाल भट्टराई व धुबा नेपाल एवं बेलहिया इंस्पेक्टर ईश्वरी अधिकारी थे। ये अफसर नेपाली नागरिकों का हालचाल लेने आए थे। कुछ देर में स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और नाराज नेपाली नागरिकों को समझा-बुझाकर शांत कराया।