वरिष्ठ रंगकर्मी संजय श्रीवास्तव नादान का निधन

गोरखपुर. वरिष्ठ रंगकर्मी संजय श्रीवास्तव नादान का शनिवार को निधन हो गया. वह कुछ समय से बीमार थे.

सन 1985-86 में पूर्वोत्तर रेलवे ब्वॉयज इंटर कॉलेज में पढ़ते हुए संजय श्रीवास्तव, नगर की नाट्य संस्था, मंजूश्री नाट्य मंच से जुड़े और संस्था के लिए पहला प्ले “नई लहर” किया। तत्पश्चात ‘ यहूदी की लड़की ‘, ‘ घासीराम कोतवाल ‘, ‘ यहां बंदे सस्ते मिलते हैं ‘ , ‘ अमली ‘ , ‘ मैला आंचल ‘, ‘ माटी की गाड़ी’  जैसे अनेक नाटकों में उन्होंने अपने अभिनय का जौहर दिखाया.

अभिनय के साथ-साथ संजय श्रीवास्तव शहर के एक जाने-माने उत्कृष्ट उद्घोषक भी थे.  मंजूश्री के साथ-साथ वह नगर की अन्य संस्थाओं जैसे दर्पण, युवा संगम आदि के भी नाटकों में भाग लिया। अच्छी आवाज के धनी, संजय श्रीवास्तव आकाशवाणी के बी हाइ ग्रेड के अनुमोदित कलाकार थे और उन्होंने आकाशवाणी के लिए कई एक नाटकों में भाग लिया। आकाशवाणी के एक नाटक में डॉक्टर झटका की भूमिका में अविस्मरणीय भूमिका निभाई । संगीत के अच्छे ज्ञाता ना होने के बावजूद वह संगीत संस्थाओं से जुड़े रहे और रागश्री आर्केस्ट्रा के संचालन के रूप में अच्छी पहचान बनाई । अपनी सहृदयता, सरलता व सहजता के कारण लोग उन्हें “नादान” नाम से ज्यादा जानते थे। लोग उन्हें उनके व्यवहार के कारण ज्यादा पसंद करते थे।अपने हर काम को सलीके और तरीके से करना उनकी खूबी थी। इसीलिए वह शहर के कुछ एक लोकल टीवी चैनल्स के प्रबंधक के रूप में अच्छी छाप छोड़ी। वह अपने पीछे अपनी बड़ी बहन व भांजे को छोड़ कर गए।

उनके निधन पर शहर के रंग कर्मियों शैलेश श्रीवास्तव, संत श्रीवास्तव, मानवेंद्र त्रिपाठी, बांसुरी वादक रानू जानसन, विजय डे ,रविंद्र रंधर, पीयूष श्रीवास्तव, राजेश राज, अशोक महर्षि ,अशोक श्रीवास्तव, आसिफ जहीर ,रीता श्रीवास्तव, प्रेमप्रकाश, दीप शर्मा , पीयूष कांत अलग , सर्वेश दुबे , ओम प्रकाश बच्चा , प्रदीप जायसवाल, राजकुमार सिंह ने शोक व्यक्त किया है.